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चोपता एक खूबसूरत पर्यटक व धार्मिक स्थल है जहाँ साल भर हजारो, लाखो की संख्या में पर्यटक घूमने आते है। चोपता के मौसम (चोपता के मौसम के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करे) के साल भर खुशनुमा बना रहने के कारण भी यहाँ पर्यटको का साल भर ताँता लगा रहता है। यहाँ पर कई साहसिक और मनोरंजक गतिविधिया भी देखने को मिलती है जहाँ पर्यटक ट्रैकिंग, शॉपिंग, वाइल्ड लाइफ जैसी मनोरंजक गतिविधियों का आनंद ले सकते है।
चोपता
को यहाँ की खूबसूरती कारण ही भारत का मिनी स्विट्ज़रलैंड (Mini Switzerland of Uttarakhand) भी
कहा जाता है। यहाँ मौजूद चंद्रशिला-चोपता-तुंगनाथ ट्रैक (Chandrashila-Chopta Trek)
उत्तराखंड में मौजूद सबसे खूबसूरत ट्रैकिंग स्थलों में से एक है।
चंद्रशिला-चोपता-तुंगनाथ ट्रैक कुल 3 किमी का है जो चोपता से शुरू होता है। चोपता एक बेहद खूबसूरत पर्यटक स्थल है जहाँ से हिमालय की बर्फ से ढकी हुई चोटियाँ स्पष्ट नजर आती है।
पर्यटक इस जगह पर आकर असीम शांति का अनुभव करते है। वही यहाँ का तुंगनाथ मन्दिर (Tungnath Temple) एक प्रमुख धार्मिक स्थल है जो पांच केदारो में से एक है। अन्य चार केदारो में केदारनाथ(Kedarnath), मद्महेश्वर (Madmaheshwar Temple), कल्पेश्वर (Kalpeshwar Temple), रुद्रनाथ (Rudranath Temple) शामिल है।
तुंगनाथ मन्दिर चोपता से 3.5 किमी की दूरी(Tungnath to Chopta Distance) पर स्थित है जहाँ पर्यटक ट्रैक द्वारा या खच्चरों की सहायता से पहुंच सकते है। वही चन्द्रशिला की तुंगनाथ से दूरी 2.5 किमी (Chandrashila to Tungnath Distance) है तथा यहाँ तक पहुंचने में आपको 1 से 2 घंटे तक का समय लग जाता है।
चन्द्रशिला पीक (Chandrashila Peak) पर पहुंचकर आप चौखम्बा पर्वत (Chaukhamba Parvat), नंदा देवी पर्वत (Nanda Devi Peak), त्रिशूल पर्वत (Trishul Peak) तथा केदार पर्वत(Kedar Peak) की बर्फ सी ढकी चोटियों को भी करीब से देख सकते है।
प्रकर्ति ने चोपता को अपनी खूबसूरती से सजाया हुआ है। यहाँ आकर मनुष्य अपनी सारी थकान भूल जाता है। यहाँ की विस्तृत घाटिया, दूर-दूर फैले विशाल पर्वत तथा यहाँ चारो
और बिखरे रंग बिरंगे फूल यहाँ की खूबसूरती को और अधिक बढ़ा देती है वही यहाँ चारो
और खड़े देवदार, ओक तथा रोडोडेंड्रोन के घने जंगल यहाँ की खूबसूरती को दुगना कर देते है। इन जंगलो में कई किस्म की जड़ी-बूटियों के अलावा आप यहाँ कई लुप्त प्राय जीव
जन्तुवो को भी देख सकते है।
यहाँ पर चोपता – गोपेश्वर रोड पर स्थित Kanchula Korak Musk Deer Sanctuary स्थित है जो लगभग 5 Sq. Km मे फैला हुआ है जहाँ आप कई प्रकार के हिमालयी पशु व पक्षियों को देख सकते है। यहाँ आप लगभग 15 प्रकार के जानवर तथा लगभग 150 किस्म के पक्षी देख सकते है।
पशु प्रेमी व वन्य जीव प्रेमियों के लिए ये पार्क किसी अचरज से काम नहीं है। वन्य जीव प्रेमी यहाँ दुर्लभ किस्म के जीव जन्तुवो को अपने कैमरे में कैद कर सकते है। इस पार्क में मुख्य रूप से हिमालयन मोनाल, बाघ, तीतर, मस्क डियर, भूरे भालू, थार तथा बर्फ में पाये जाने वाले चीते दिखाई पड़ते है जिनमे से अधिकतर अब लुप्त होने की कगार में है।
चोपता घूमने हेतु एक छोटा सा पर्यटक स्थल है जहाँ आपको कोई बड़ा बाजार या शॉपिंग मॉल (Restaurant in Chopta) उपलब्ध नहीं हो पाता है। यहाँ के बाज़ारो में मुख्यतः यहाँ के लोकल उत्पाद ही ज्यादा दिखाई पड़ते है। यहाँ के बाज़ारो से आप मुख्यतः गर्म कपडे जैसे शॉल, गर्म मफलर, स्वः निर्मित स्वेटर, टोपियाँ तथा जमीन में बिछाने हेतु कॉरपेट जैसे सामान खरीद सकते है।
खाद्य सामग्री में यहाँ के राजमा, फलियाँ और सेब की काफी माँग रहती है। यहाँ के राजमा और सेब का निर्यात विदेशो तक को किया जाता है जो खाने में बहुत स्वादिष्ट होते है। यहाँ आने वाले पर्यटक अपने साथ इन चीजों को ले जाना कभी नहीं भूलते है।
चोपता को अपनी खूबसूरती के कारण ही भारत का मिनी स्विट्ज़रलैंड (Mini Switzerland of Uttrakhand) कहा जाता है। यहाँ की खूबसूरती को देखकर ही हजारो देशी और विदेशी सैलानी हर साल चोपता आते है। फोटोग्राफर्स के लिए भी चोपता किसी जन्नत से कम नहीं है।
यहाँ की खूबसूरती तथा चारो और बिखरी
हरियाली, विशाल घाटिया, यहाँ से दिखाई देने वाले विशाल हिमालय पर्वत की बर्फ पड़ी चोटियाँ तथा देवदार
तथा ओक के घने जंगल यहाँ की खूबसूरती को और अधिक बढ़ा देते है।
वही यहाँ हिमालयी पर्वत क्षेत्र में
स्थित प्राचीन मन्दिर को देखकर पर्यटकों को असीम आनन्द की प्राप्ति होती है। फोटोग्राफर्स इन मंदिरो, यहाँ की खूबसूरती तथा यहाँ जंगलो में
मौजूद लुप्त प्राय जानवरो को अपने कैमरे में कैद कर सकते है।
हैलो, दोस्तों मैं पंकज पंत एक ब्लॉगर। दोस्तों लिखने, पड़ने व म्यूजिक (खासतौर से मैगज़ीन जैसे इंडिया टुडे व क्रिकेट सम्राट वगैरह) का शौक पहले से ही था तो सोचा क्यों न कुछ लिखा जाये और लिखा भी वो जाये जिसे पढ़कर पाठको को आनन्द भी आये व उसे पढ़कर उनके ज्ञान में भी कुछ वृद्धि हो सके। परन्तु लिखने के लिए एक लेखन सामग्री की आवश्यकता होती है तो सोचा किस विषय पर लिखा जाये। सोचते हुए दिमाग में आया की क्यों न अपने ही गृह राज्य उत्तराखंड के बारे में लिखा जाये जिसकी पृष्टभूमि बहुत ही विशाल होने के साथ-साथ यहाँ की संस्कृति और सभ्यता भी बहुत विकसित है। वही ये एक शानदार पर्यटक स्थल होने के अलावा धार्मिक दृस्टि से भी परिपूर्ण है। यहाँ हर साल हजारो की संख्या में मेलो व त्योहारों का आयोजन होता रहता है जिसे देखने व इनमे शामिल होने के लिए देश-विदेश से लाखो-करोडो लोग उत्तराखंड आते है व इन मेलों को देखने के साक्षी बनते है। इस कारण मैंने लिखने की शुरुवात की अपने उत्तराखंड से। अपनी इस वेबसाइट में मैंने उत्तराखंड की संस्कृति एवं सभ्यता, उत्तराखण्ड के प्रमुख पर्यटक स्थल, उत्तराखण्ड के प्रमुख मंदिरो, उत्तराखण्ड के प्रमुख नृत्य व संगीत, उत्तराखण्ड के प्रमुख ट्रेक्किंग स्थलों, उत्तराखण्ड के मुख्य डैम, उत्तराखण्ड की झीलों व ग्लेशियर के अलावा यहाँ की प्रमुख पर्वत चोटियों व अन्य विषयो को पाठको के समक्ष प्रस्तुत किया है। जैसे- जैसे मुझे अन्य कोई जानकारी मिलती जाएगी में उन्हें अपने पाठको के समक्ष प्रस्तुत करता रहूँगा। धन्यवाद पंकज पंत
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