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1- Ranikhet: रानीखेत: रानीखेत उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित एक शानदार पर्यटक स्थल है जो अपने यहाँ बिखरी हरियाली तथा शांत आबोहवा के कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। रानीखेत समुद्र तल से 1,869 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जिसके चारो और बर्फ से ढकी हुई पहाड़ियाँ दिखाई देती है जो पर्यटकों को सालो से अपनी और आकर्षित करते आये है। इसी कारण रानीखेत में हर साल लाखो देशी विदेशी पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है।
यहाँ का मौसम पूरे साल भर ठंडा होने के कारण ही अंग्रेजो द्वारा रानीखेत को अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया था। वे लोग गर्मियों के समय पर गर्मी से बचने के लिए यहाँ आ जाया करते थे बाद में अंग्रेजो द्वारा यही पर अपने रेजिमेंट का मुख्यालय भी बनवाया गया था। रानीखेत में कुमाऊँ रेजिमेंट की छावनी तथा रेजिमेंट द्वारा ही बनाया गया संग्रहालय भी स्थित है। वही गोल्फ खेलने के लिए यहाँ एक शानदार गोल्फ का मैदान भी बनाया गया है जिसकी गिनती भारत के सबसे अच्छे गोल्फ के मैदानों में की जाती है।
वही रानीखेत प्राकर्तिक सुंदरता में किसी से कम नहीं है। यहाँ से पर्यटक पिंडारी ग्लेशियर, कौसानी तथा चौबटिया घूमने भी जा सकते है। वही नैनीताल भ्रमण के दौरान आप यहाँ के प्रसिद्ध मंदिरो झूला देवी मंदिर व बिन्सर महादेव के दर्शन हेतु भी जा सकते है।
2- Chaukhutiya: चौखुटिया: चौखुटिया शब्द कुमाउँनी भाषा के दो शब्दों चौ तथा खुट से मिलकर बना है जिसमे चौ का अर्थ चार तथा खुट का अर्थ पैर से होता है। अर्थात चार पैरो वाला यहाँ चार पैरो का अर्थ चार रास्तो से है जिसमे से एक रास्ता रामनगर, दूसरा रास्ता रानीखेत, तीसरा रास्ता कर्णप्रयाग तथा चौथे रास्ता तड़ाकताल को जाता है।
चौखुटिया रामगंगा नदी के तट पर स्थित है। यहाँ बनाये गए मंदिर लगभग 9,000 साल पुराने है जिन्हे वास्तुकला के अनुसार बनाया गया है। चौखुटिया के प्रमुख मंदिरों में अग्रेरी मंदिर तथा लखनपुर मन्दिर प्रसिद्ध है। अगरेरी मन्दिर में प्रतिवर्ष अष्टकमी नाम से भव्य मेले का आयोजन किया जाता है जिसमे श्रद्धालु भाग लेने हेतु दूर-दूर से यहाँ आते है तथा अपने व अपने पूरे परिवार उज्जवल भविष्य हेतु कामना करते है।
ये स्थान मछलियों के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है। यहाँ की मछलियाँ खाने में बहुत स्वादिष्ट होती है। वही यहाँ की हरियाली व यहाँ मौजूद शांति की तलाश में पर्यटक हर साल यहाँ पहुँचते है।
3- Dwarahat: द्वारहाट: द्वाराहाट ऐतिहासिक दृस्टि से महत्वपूर्ण स्थल है जो उत्तराखण्ड राज्य के जिला अल्मोड़ा में स्थित है। ये उत्तराखंड का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है जिससे मंदिरो की राजधानी या मंदिरो का गांव कहकर भी जाना जाता है। द्वाराहाट में लगभग 55 प्राचीन मंदिर बने है परन्तु यहाँ मुख्यतः तीन प्रकार के मंदिर विराजित है जो कचहरी, मनिया तथा रत्नदेव है। जबकि यहाँ के प्रमुख मंदिरों में शक्ति मंदिर, बद्रीनाथ मंदिर, मृतुंजय मन्दिर, पाण्डुखोली, मेथोडिस्ट चर्च, केदारनाथ मंदिर, कलिका देवी मन्दिर, गरुण वनदेव मन्दिर, ध्वज मन्दिर, गूजरदेव मंदिर आदि प्रसिद्ध है।
यहाँ मौजूद बाजार काफी पुराना माना जाता है जिसमे अभी भी साहूकारों व सुनारो की दुकाने मौजूद है।द्वाराहाट का सम्बन्ध काफी पुराना माना जाता है जहाँ कत्यूरी वंश व चंद वंश के वंशजो का शासन माना जाता था।
एक मान्यता के अनुसार दुर्लभ मानी जाने वाली संजीवनी बूटी यहाँ मौजूद शक्ति के परिसर के अंदर ही पाई जाती है। यहाँ के महत्वपूर्ण त्योहारों में बसंत पंचमी, चमकादड़ सावित्री, गंगा दशहरा और बसंत पंचमी मुख्य त्यौहार है। यहाँ के खूबसूरती भी पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करती है यह स्थल चारो और से विशाल पर्वतो से ढका हुआ है जिसे देखने हर साल हजारो की संख्या में पर्यटक यहाँ पहुंचते है।
4- Someshwar: सोमेश्वर: सोमेश्वर एक छोटा सा क़स्बा है जो उत्तराखंड के जिला अल्मोड़ा में स्थित है। यह जगह कौसानी से 11 किमी की दूरी पर बसा हुआ है। यही पर कोसी और साई नदियों का संगम होता है जो इसे एक पवित्र धार्मिक स्थल बनाता है।
यह अल्मोड़ा के उत्तरी क्षेत्र का एक प्रमुख बाजार है जहाँ लगभग 400 से भी अधिक दुकाने बनी हुई है। यहाँ से प्रति दिन कई टैक्सी व बसे अल्मोड़ा, बागेश्वर, कौसानी, द्वारहाट तथा अन्य जगहों के लिए जाती है।
सोमेश्वर नगर को भगवान शिव के नगर के रूप में भी जाना जाता है। यहाँ भगवान शिव का एक ऐतिहासिक मंदिर है जिसे सोमनाथ मंदिर अथवा सोमेश्वर मंदिर के रूप में जाना जाता है। यह मंदिर 12 वी शताब्दी के दौरान बनाया गया था जिसका निर्माण राजा सोमचंद्र द्वारा कराया गया था। वही इस शहर का नाम सोमेश्वर राजा सोम और भगवान महेश्वर को मिला कर रखा गया है। मन्दिर के अंदर ही एक तालाब भी मौजूद है जिसका पानी पवित्र तथा हल्का नमकीन माना जाता है।
शिवरात्रि के दौरान इस मन्दिर के प्रांगण में एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है जिसमे भाग लेने हेतु श्रद्धालु दूर–दूर से यहाँ पहुंचते है व अपने परिवार की खुशहाली हेतु भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करते है।
Where to stay in Almora:-
अल्मोड़ा में रहने हेतु सभी प्रकार के होटल भी उपलब्ध है जिसमे पर्यटक अल्मोड़ा भ्रमण के दौरान रह सकते है। इन होटल्स में Kasar Rainbow Retreat, The Pahadi Organic, Imperial Height Hotel, Binsar, Kasaar Jungle Resort, Binsar Ook Paradise, Hotel Aerodyo, Hotel Himsagar, Hotel Shanti Niketan आदि है जो आपको 1,500 से 3,000 रुपए के बीच आसानी से उपलब्ध हो जाते है।
What and Where to eat in Almora:-
वैसे तो अल्मोड़ा यात्रा के दौरान पर्यटक वहाँ के लोकल खाना ही ज्यादा पसन्द करते है। यहाँ मिलने वाली आलू की गुटके, भांग की चटनी, झिंगोरा की खीर, रायता, मडवे की रोटी, सिसूण का साग, कापा तथा यहाँ की प्रसिद्ध बाल मिठाई आदि ही पर्यटकों द्वारा ज्यादा पसंद की जाती है जो यहाँ कही भी आसानी से उपलब्ध हो जाता है। फिर भी अल्मोड़ा में हर किस्म के रेस्टॉरेंट आदि भी उपलब्ध है जहाँ आप अपने पसन्द के खाने का आनंद ले सकते है।
यहाँ के मुख्य रेस्टॉरेंट में Swarnika Restaurant, The Kasar Kitchen, Dolma Restaurant, Oak Barrel Restaurant, Baba Cake, Kasar Rainbow Restaurant तथा The Grill House आदि ऐसे रेस्टॉरेंट्स है जहाँ आप अपनी पसंद का खाना खा सकते है।
How to reach Almora:-
How to reach Almora By Air: पंतनगर हवाई अडडा अल्मोड़ा का निकटतम हवाई अडडा है जो पंतनगर में स्थित है। पंतनगर हल्द्वानी से लगभग 25 किमी की दूरी पर स्थित है तथा अल्मोड़ा से पंतनगर की दूरी लगभग 125 किमी है।
यह हवाई अड्डा देश की राजधानी नई दिल्ली व उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून से जुड़ा हुआ है जहाँ से पंतनगर हेतु नियमित रूप से उड़ाने संचालित की जाती है। पंतनगर हवाई अड्डे के बाहर से नियमित रूप से टैक्सी और बसों का सञ्चालन होता है जहाँ से आप आसानी से अल्मोड़ा तक टैक्सी या उत्तराखंड बस सेवा द्वारा पहुंच सकते है।
How to reach Almora By Train: अल्मोड़ा का अपना कोई रेलवे स्टेशन नहीं है अपितु अल्मोड़ा का नजदीकी रेलवे स्टेशन हल्द्वानी स्थित काठगोदाम में है जिसकी अल्मोड़ा से कुल दूरी लगभग 91 किमी है। रेलवे स्टेशन के बाहर से आप प्राइवेट टैक्सी द्वारा अल्मोड़ा तक पहुंच सकते है। अन्यथा आप ट्रैन से कुछ पहले हल्द्वानी उतरकर हल्द्वानी बस स्टेशन से उत्तराखंड परिवहन की बस द्वारा अल्मोड़ा तक आसानी से पहुंच सकते है।
How to reach Almora By Road: अल्मोड़ा उत्तराखंड के अन्य जिलों के अलावा देश की राजधानी दिल्ली व अन्य बड़े जिलों व नगरों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। दिल्ली व उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून से अल्मोड़ा के लिए उत्त्तखण्ड परिवहन की बस व कई अन्य आरामदायक वॉल्वो बसें नियमित रूप से चलती है।
आप
प्राइवेट टैक्सी द्वारा या स्वयं के वाहन द्वारा भी अल्मोड़ा आसानी से पहुँच सकते
है। दिल्ली की यहाँ से दूरी लगभग 360 किमी है वही देहरादून यहाँ से लगभग 350 किमी कि दूरी पर स्थित है। अल्मोड़ा से नैनीताल 67 किमी0, काठगोदाम 90 किमी0, पिथौरागढ 109 किमी0
की दूरी पर स्थित है।
हैलो, दोस्तों मैं पंकज पंत एक ब्लॉगर। दोस्तों लिखने, पड़ने व म्यूजिक (खासतौर से मैगज़ीन जैसे इंडिया टुडे व क्रिकेट सम्राट वगैरह) का शौक पहले से ही था तो सोचा क्यों न कुछ लिखा जाये और लिखा भी वो जाये जिसे पढ़कर पाठको को आनन्द भी आये व उसे पढ़कर उनके ज्ञान में भी कुछ वृद्धि हो सके। परन्तु लिखने के लिए एक लेखन सामग्री की आवश्यकता होती है तो सोचा किस विषय पर लिखा जाये। सोचते हुए दिमाग में आया की क्यों न अपने ही गृह राज्य उत्तराखंड के बारे में लिखा जाये जिसकी पृष्टभूमि बहुत ही विशाल होने के साथ-साथ यहाँ की संस्कृति और सभ्यता भी बहुत विकसित है। वही ये एक शानदार पर्यटक स्थल होने के अलावा धार्मिक दृस्टि से भी परिपूर्ण है। यहाँ हर साल हजारो की संख्या में मेलो व त्योहारों का आयोजन होता रहता है जिसे देखने व इनमे शामिल होने के लिए देश-विदेश से लाखो-करोडो लोग उत्तराखंड आते है व इन मेलों को देखने के साक्षी बनते है। इस कारण मैंने लिखने की शुरुवात की अपने उत्तराखंड से। अपनी इस वेबसाइट में मैंने उत्तराखंड की संस्कृति एवं सभ्यता, उत्तराखण्ड के प्रमुख पर्यटक स्थल, उत्तराखण्ड के प्रमुख मंदिरो, उत्तराखण्ड के प्रमुख नृत्य व संगीत, उत्तराखण्ड के प्रमुख ट्रेक्किंग स्थलों, उत्तराखण्ड के मुख्य डैम, उत्तराखण्ड की झीलों व ग्लेशियर के अलावा यहाँ की प्रमुख पर्वत चोटियों व अन्य विषयो को पाठको के समक्ष प्रस्तुत किया है। जैसे- जैसे मुझे अन्य कोई जानकारी मिलती जाएगी में उन्हें अपने पाठको के समक्ष प्रस्तुत करता रहूँगा। धन्यवाद पंकज पंत
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