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Badrinath Temple

by Pankaj Pant
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Badrinath Temple
BADRINATH-DHAM
BADRINATH TEMPLE

Badrinath Temple- बद्रीनाथ मन्दिर (Badrinath Temple) उत्तराखण्ड के अन्य प्राचीन सिद्ध मन्दिरो मे से विशेष स्थान रखता है। ये उत्तराखण्ड के चार धामो मे से एक है जिनकी गिनती विश्व के सबसे प्राचीन सिद्ध मन्दिरो में होती है जिनके दर्शन करने हेतु भारत के साथ-साथ पूरे विश्व से श्रद्धालु उत्तराखण्ड आते है तथा भगवान विष्णु (God Vishnu) से आर्शीवाद प्राप्त कर अपनी मन्नत मांगते है। बद्रीनाथ मन्दिर उत्तराखण्ड के जिला चमोली मे स्थित है। बद्रीनाथ धाम को चार धामों के अतिरिक्त चार छोटे धाम पंच बद्री में इसकी गिनती की जाती है। पंच बद्रीयों में बद्रीनाथ को छोडकर अन्य बद्रियों में, योग्घ्यानबद्री, भविष्य बद्री, वृद्ध बद्री और आदि बद्री है। इन सब को जोडकर इन्हे पंच बद्री के नाम से जाना जाता है। ये वैष्णव के 108 दिव्य देसम मे से भी प्रमुख है।

Badrinath Height and Badrinath Temple Timing

बद्रीनाथ की समुद्र तल से ऊंचाई व मंदिर के खुलने का समय

यह मन्दिर अलकनन्दा नदी के तट पर स्थित तथा एक प्राचीन एवं सिद्ध हिन्दू मन्दिर है। यह मन्दिर समुद्र तल से 3,133 मीटर अथवा 10,280 फुट की ऊॅचाई (Badrinath Height) पर स्थित है। इस मन्दिर के अन्दर भगवान विष्णु के एक रूप बद्रीनारायण की पूजा होती है। इस साल 2019 को श्री बद्रीनाथ धाम (Badrinath Dham) के कपाट 10 मई 2019 का सुबह सवा चार बजे खोले गये थे जिनके दर्शन हेतु पहले दिन ही श्रद्धालुवो की लम्बी कतारें देखी गई थी।

इसी साल भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भी 19 मई 2019 को मन्दिर के दर्शन किये गये थे। मन्दिर कपाट बंद हो जाने के उपरान्त वहॉ केवल इंडियन आर्मी के कुछ जवान ही सुरक्षा हेतु रहते है उत्तराखण्ड सरकार द्वारा ही श्री बद्रीनाथ धाम(Badrinath Temple) को संचालित किया जाता है।      


God Vishnu in Badrinath Dham Temple

बद्रीनाथ धाम में श्री विष्णु भगवान

बद्रीनाथ धाम में श्री विष्णु भगवान के बद्रीनारायण के रूप की पूजा होती है जहाँ भगवान विष्णु की 1 मीटर लम्बी प्रतिमा मन्दिर मे विराजमान है। मान्यता के अनुसार इस मन्दिर की स्थापना आदि गुरू शंकराचार्य द्वारा 8 वीं शताब्दी के आसपास की गई थी। यहाँ रखी हुई मूर्ति को स्वयं प्रकट हुई मूर्ति के रूप में माना जाता है। जहाँ मूर्ति में भगवान के चार हाथ बने हुए है। दो हाथ उपर को उठे हुए है एक हाथ मे शंख दूसरे हाथ में चक्र है तथा अन्य दो हाथ योगमुद्रा की स्थिती मे रखे हुआ है।

इस मूर्ति के ललाट पर हीरा भी जडा हुआ है। इस मन्दिर के गर्भगृह में कुबेर जोकि धन के देवता है, देवर्षि नारद, लक्ष्मी, गरूड, नवदुर्गा और आदि गुरू शंकराचार्य जी के अलावा भी अन्य की मूर्ति भी लगी हुई है।

बद्रीनाथ धाम को दूसरा बैकुण्ठ भी माना जाता है जहाँ भगवान विष्णु निवास करते है। पहला बैकुण्ठ क्षीरसागर को माना जाता है जहाँ भगवान विष्णु निवास करते है वही बद्रीनाथ धाम को सृष्टि का आठवां बैकुंठ भी माना जाता है।

यही पर भगवान विष्णु 6 माह तक निद्रा में रहते है 6 महीने तक जागते है। बद्रीनाथ धाम के बारे में मान्यता है कि जो एक बार बद्रीनाथ धाम चला जाता है उसे दुबारा से माता के गर्भ में नही जाना पडता है। इस लिए व्यक्ति को जीवन मे एक बार बद्रीनाथ धाम की यात्रा अवश्य करनी चाहिये।

बद्रीनाथ धाम अलकनन्दा नदी के तट पर बसा हुआ है। मान्यता के अनुसार जब गंगा नदी का धरती पर आगमन हुआ था तब वो यहाँ आकर 12 हिस्सों में आकर बट गई थी, जिसमें से एक धारा यहाँ अलकनन्दा के नाम से बद्रीनाथ धाम के बगल से निकलती है। उन 12 धाराओं में से अब केवल अलकनन्दा भागीरथी का ही अस्तित्व बाकी है बाकी की धारायें अब मौसम में परिवर्तन ग्लोबल वार्मिंग के कारण विलुप्त हो चुकी है।

LORD VISHNU

Famous fair in Badrinath Dham

बद्रीनाथ धाम का मुख्य पर्व

बद्रीनाथ धाम(Badrinath temple) के मुख्य पर्वो मे माता मूर्ति का मेला मुख्य है जो गंगा मां के धरती पर अवतरित होने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस पर्व के दौरान भगवान विष्णु की माता की पूजा की जाती हैं। गंगा के अवतरित होने पर वो बारह हिस्सो मे बट गई थी जिसकी एक धारा जोकि अलकनन्दा नाम से यही से बहती है। 

यह मन्दिर नर और नारायण नामक पर्वतो के बीच में स्थित है जिसके अन्दर मन्दिर तीन भागों में बटा हुआ है। यहाँ एक गर्भग्रह, दर्शनमण्डप
और सभा मण्डप में बटा हुआ है। मन्दिर परिसर के अलगअलग हिस्सो में 15 देवी देवताओ की मूर्तियां विराजमान है। इस मन्दिर में रखे दिये का भी अपना अलग महत्व है। ये दीपक अखण्ड दीप कहलाता है जो मन्दिर के कपाट 6 माह तक बंद होने के बावजूद भी जलता रहता है।

मान्यता के अनुसार इस दीपक को यहाँ के देवता जलाये रखते है। इसलिए कहा जाता है कि बद्रीनाथ जैसा स्थान मृत्युलोक में पहले कभी था और ना ही भविष्य में कभी होगा।

History of Badrinath Temple


पौराणिक कथानुसार बद्रीनाथ धाम की स्थापना

पौराणिक कथाओ के अनुसार बद्रीनाथ की भूमि पहले भगवान शिव की स्थली हुआ करती थी। एक बार भगवान विष्णु अपने लिए ध्यान के लिए एक शान्त मनोरम स्थान की खोज में निकले हुए थे। इस के लिए उन्होने एक बालक का रूप धारण कर लिया बालक के भेष में अपने लिए स्थान की खोज हेतु निकल पडे। धूमतेधूमते वह इस स्थान पर पहुँच गये तथा उन्हे यह स्थान बहुत पसन्द आया।

यह स्थान नीलकंठ पर्वत अथवा ऋषि गंगा और अलकनंदा के बीच स्थित है। इस स्थान पर आकर वो बालक के भेष में आकर रोने लगे। उनके रोने की आवाज सुनकर माता पार्वती भगवान शिव वहाँ पहुँच गये। वहाँ पहुचकर माता पार्वती उस बालक रोने का कारण पूछने लगी और कहने लगी कि तुम किस कारण रो रहे हो और तुम्हे क्या चाहिये।

उस समय उस बालक ने अपनी चतुराई दिखलाते हुए माता पार्वती से अपने ध्यान हेतु वह भूमि अर्थात केदार भूमि मांग ली जिस भूमि पर मां पार्वती भगवान शिव रह रहे थे। तब उस भूमि को माता पार्वती द्वारा उस भूमि को उस बालक को दान में दे दी था स्वयं केदारनाथ में आकर रहने लगे। यही स्थान बाद में बद्रीनाथ अथवा बद्रीविशाल के नाम से जाना जाने लगा।


Badrinath Temple History

बद्रीनाथ धाम के बारे में अन्य कहानी

एक अन्य कहानी के अनुसार एक बार देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु से रूठकर अपने मायके चले गई थी। तब भगवान विष्णु माता लक्ष्मी को मनाने हेतु तपस्या करने के लिए चले गये थे। तपस्या करते करते वो गहन ध्यान में चले गये तथा उस स्थान पर भयंकर बर्फबारी होने लगी। तब मां पार्वती उन्हे ढुढती हुई यहाँ पहुच गई तथा भगवान विष्णु को आधा बर्फ में दबा हुआ पाया।

उनको ठंड से बचाने उनकी तपस्या के टुटने के कारण माता लक्ष्मी ने वहाँ पर बडे से बदरी के पेड का रूप धारण कर लिया तथा उन्हे बर्फबारी से बचा लिया। तपस्या से उठने के बाद उन्होने माता लक्ष्मी को बदरी के पेड के रूप में देखकर उन्हे वरदान दिया कि अब से तुम भी मेरे साथ इस स्थान पर पूजे जाओगे। तभी से इस स्थान का नाम बदरी का नाथ अर्थात बदरीनाथ पडा।

BADRINATH DHAM
PHOTOS OF BADRINATH DHAM

Badrinath Temple History


अन्य कहानी बद्रीनाथ धाम के बारे में

एक अन्य कथा के अनुसार पहले इस स्थान पर असंख्य बेरो के पेड थे। इस कारण इस जगह का नाम बद्री वन पड गया।

यहाँ की एक अन्य कथानुसार नर और नारायण दो पुत्र थे जिनके पिता धरम थे। वो दोनो हमेशा अपने आश्रम की कामना किया करते थे। वो हिमालय पर्वतो के बीच मे शान्त जगह पर अपने मन्दिर का निर्माण करना चाहते थे।

जब वह अपने लिए स्थान की तलाश कर रहे थे तब उन्हे वहाँ चार स्थल अर्थात घ्यान बद्री, योग बद्री, भविष्य बद्री और वृद्ध बद्री दिखाई पडे अन्त मे उन्हे अलकनंदा के पीछे गर्म और ठंडा मौसम मिला। उन्होने इस स्थान को बद्री विशाल का नाम दिया। आज भी वहाँ नर और नारायण नाम के दो पर्वत आज भी स्थित है।

यह मंदिर प्राचीन शैली मे बना हुआ है बहुत विशाल है। यह मन्दिर भगवान विष्णु को समर्पित है जो अलकनंदा नदी के तट से 15 मीटर की ऊॅचाई पर बसे एक टीले पर स्थित है। आदि गुरू शंकराचार्य के द्वारा की गई व्यवस्था के अनुसार इस मंदिर का पूजारी दक्षिण भारत के केरल राज्य से होता है। ये पुजारी नम्बूदरी समुदाय के होते है।

इसी स्थान पर भगवान शिव को ब्रहम हत्या के पाप से भी मुक्ति मिली थी। इसी कारण यहाँ एक स्थान ब्रहमकपाल के नाम से जाना जाता है। यह एक ऊॅची शिला है जहाँ श्रद्धालु आकर अपने पितरो का श्राद्ध तर्पण आदि किया करते है।

मान्यता के अनुसार यहाँ श्राद्ध तर्पण करने से पितरो को जन्म मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। यही पर बर्फ से ढका एक विशाल पर्वत भी है जिसे नीलकंठ पर्वत कहकर पुकारा जाता है। यह पर्वत गढवाल क्वीन के नाम से भी जाना जाता है।

बद्रीनाथ धाम मे आकर श्रद्धालुवो की सारी इच्छाऐ पूरी हो जाती है इस कारण यहाँ पर हर साल लाखो श्रद्धालु भगवान विष्णु के दर्शन हेतु यहाँ आते है। इस जगह के बारे में एक अन्य के अनुसार भगवान विष्णु के अंश नर और नारायण द्वारा इसी स्थान पर तपस्या की गई थी तपस्या के कारण ही ये दोनो अगले जन्म मे अर्जुन और श्री कृष्ण के रूप मे जन्मे थे। 

मान्यता के अनुसार यही वो स्थान है जहाँ पर महर्षि वेदव्यास द्वारा महाभारत नामक महाकाव्य लिखा गया था। कुछ प्राचीन ग्रन्थों के अनुसार यहाँ पर पहले एक बौद्ध मठ था जिसे बाद गुरू शंकराचार्य जी द्वारा 8 वीं शताब्दी के दौरान यह मठ एक हिन्दू मंदिर में बदल गया था।

Best Time to Visit Badrinath

बद्रीनाथ धाम जाने का समय

बद्रीनाथ मन्दिर वर्ष भर मे केवल 6 माह ही खुलता है जिसकी अवधि जून से शुरू होकर नवम्बर तक होती है। इसके बाद वहॉ अत्यन्त बर्फबारी मौसम के प्रतिकूल होने के कारण वहॉ आने जाने का रास्ता बंद हो जाता है जिस कारण श्रद्धालुवो के लिए रास्ते बंद कर दिये जाते है।

बरसात के समय यहाँ जगह जगह पर पत्थर व बोल्डर गिरने की समस्या आती है जिस कारण आपको बरसात के सीज़न में जाने से बचना चाहिए। इसके अलावा आप जून से नवम्बर तक कभी भी मंदिर के कपाट बंद होने तक मंदिर में जा सकते है।

PHOTOS OF BADRINATH DHAM
PHOTOS OF BADRINATH DHAM

Hotels in Badrinath

बद्रीनाथ के होटल व धर्मशाला

बद्रीनाथ धाम में श्रद्धालु लोगो के रहने व खाने की सम्पूर्ण व्यवस्था है यहाँ कई होटल व धर्मशाला भी बनी हुई जहाँ पर श्रद्धालु विश्राम हेतु कमरे बुक कर सकते है इसके अतिरिक्त यहाँ हर प्रकार के लोगो लिए होटल (Hotels in Badrinath) मिल जायेंगे जिसका रात्रि किराया सामान्य से लेकर कुछ अधिक तक होता है

वही बद्रीनाथ मंदिर में मंदिर प्रशासन की और से भण्डारे की भी व्यवस्था रहती है यहाँ हर समय भण्डारो का आयोजन चलता रहता है जहाँ कोई भी श्रद्धालु इन लंगरों में भोजन कर सकता है। इनके अन्य कई बड़ी बड़ी धार्मिक संस्थाओं द्धारा भी यहाँ पर समय समय पर भण्डारो का आयोजन चलता रहता है।

Badrinath Weather

बद्रीनाथ का तापमान

बद्रीनाथ में दर्शन हेतु सही समय मई से जून तथा सितम्बर से अक्टूबर तक का रहता है गर्मियों के समय यहाँ का मौसम बहुत खुशनुमा बना रहता है दिन में कुछ गर्मी पड़ती है परन्तु सुबह व शाम को मौसम ठंडा हो जाता है गर्मियों के समय यहाँ का तापमान 7 डिग्री सेल्सियस से 20 डिग्री सेल्सियस (Badrinath Temperature) तक रहता है

Winter Temperature in Badrinath: वही सर्दियों के समय यहाँ पर बहुत अधिक मात्रा में बर्फवारी होती है तथा बहुत अधिक ठण्ड पड़ जाती है जिस कारण यहाँ का तापमान 0 डिग्री से 5 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है जिस कारण पर्यटको को बहुत अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है अक्टूबर माह से यहाँ पर ठण्ड की शुरुवात हो जाती है

Mansoon Temperature in Badrinath: वही मानसून की शुरुवात यहाँ जून के माह से हो जाती है तथा सितम्बर तक रहता है इन महीनो में यहाँ चारो और हरियाली फैली रहती है जिस कारण यहाँ पर घूमने का आनंद ही अलग होता है

How to reach Badrinath

बद्रीनाथ कैसे जाये

नई दिल्ली से हरिद्धार 206 किमी हरिद्धार से ऋषिकेश 24 किमी ऋषिकेश से देवप्रयाग 74 किमी देवप्रयाग से श्रीनगर 34 किमी श्रीनगर से रुद्रप्रयाग 33 किमी  रुद्रप्रयाग  से कर्णप्रयाग 31 किमी कर्णप्रयाग से नंदप्रयाग 21 किमी नंदप्रयाग से चमोली 10 किमी चमोली से जोशीमठ 48 किमी जोशीमठ से बद्रीनाथ 42 km

Badrinath Route Map


Distance between Badrinath to other Places:

बद्रीनाथ की अन्य मुख्य शहरों से दूरी

Distance from other Places to Badrinath

किमी

Rudraprayag to Badrinath

157 किमी

Dehradun to Badrinath

337 किमी

Badrinath to Dehradun

337 किमी

Rishikesh to Badrinath  

297 किमी

Badrinath to Haridwar

317 किमी

Delhi to Badrinath

542 किमी

Haridwar to Badrinath

317 किमी

Guptkashi to Badrinath

200 किमी

Auli to Badrinath Distance

55 किमी

Badrinath to Gangotri Distance

457 किमी

Kedarnath to Badrinath Distance

40.8 किमी

Joshimath to Badrinath Distance

46 किमी

Badrinath to Delhi

542 किमी

BADRINATH DHAM

चार धाम में शामिल केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री के बारे विस्तार से जानने के लिए यहाँ क्लिक करे-

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