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Kedarnath Temple

by Pankaj Pant
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Kedarnath Temple “The Land of lord Shiva”

केदारनाथ धाम

Kedarnath Temple

KEDARNATH TEMPLE
KEDARNATH TEMPLE

About Kedarnath Dham: केदारनाथ धाम भारतीयों की आस्था का केन्द्र है। यह उत्तराखण्ड के जिला रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है। केदारनाथ धाम हिमालय पर्वत की तलहटी में स्थित है और चारो और से बर्फ से ढके पहाडों से घिरा हुआ है।

केदारनाथ मन्दिर देश के बारह ज्योतिर्लिंग में से एक है और इन बारह ज्योतिर्लिंग में केदारनाथ धाम सर्वोच्च स्थान रखता है। बारह ज्योतिर्लिंगो में होने के साथसाथ यह उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध चार धामो में एक तथा पंच केदारों मे से भी एक है। यहाँ स्थित शिवलिंग स्वयंभू है।

यहाँ भगवान शिव की बैल की पीठ की आकृति पिंड के रूप मे पूजे जाते है। मान्यता के अनुसार जब भगवान शिव बैल के रूप में अन्र्तध्यान हुए थे तो उनके धड से ऊपर का हिस्सा काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ मन्दिर में प्रकट हुआ था।

भगवान शिव की भुजाएँ तुंगनाथ मन्दिर में, मुख रूद्रनाथ मन्दिर मे, नाभि मदमहेश्वर मन्दिर में तथा जटा कल्पेश्वर मे प्रकट हुई थी। इन सब को मिलाकर केदारनाथ सहित पंचकेदार का निर्माण हुआ था। इन पाँच जगहो पर भगवान शिव के विशाल मन्दिर बने हुए है।

Kedarnath Temple History

केदारनाथ का इतिहास

मान्यता के अनुसार इस मन्दिर का निर्माण पांडव वंश के वंशज जनमेजय ने करवाया था। बाद में इस मन्दिर का पुननिर्माण आदि गुरू शंकराचार्य जी द्धारा कराया गया था। उत्तराखण्ड मे बद्रीनाथ और केदारनाथ ही दो ऐसे स्थल है जिनकी मान्यता सबसे अधिक है। मान्यता के अनुसार बद्रीनाथ जी की यात्रा करने से पहले केदारनाथ जी की यात्रा करना आवश्यक होता है अन्यथा वो यात्रा कभी पूर्ण अथवा मान्य नही मानी जाती है अर्थात बद्रीनाथ के साथ केदारनाथ की यात्रा करना भी आवश्यक होता है।

इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से ही मनुष्य को उसके सारे पापो से स्वतः ही मुक्ति मिल जाती है। मान्यता के अनुसार इस मन्दिर का निर्माण 1000 वर्ष से पहले का हुआ माना गया है।

KEDARNTAH PEAK

केदारनाथ पर्वत की ऊंचाई

Kedarnath Height

यह मन्दिर तीन पहाडो से धिरा हुआ है तथा पाँच नदियो का संगम स्थल भी है। इन पाँच नदियो में से कई का अस्तित्व अब समाप्त हो चुका है परन्तु अलकनन्दा की सहायक नदी मंदाकिनी आज भी यहाँ मौजूद है। बाकी नदिया अब मौसम में परिवर्तन ग्लोबल वार्मिंग के कारण खत्म हो चुकी है।

यहाँ मौजूद तीन पर्वतो मे एक केदारनाथ पर्वत है जिसकी ऊॅचाई समुद्र तल से लगभग 3,562 मीटर की ऊॅचाई (Height of Kedarnath Temple) अर्थात लगभग 22,000 हजार फुट है।

दूसरी तरफ खर्चकुंड पर्वत है जो लगभग 21,600 फुट तीसरी तरफ भरतकुंड है जिसकी ऊंचाई 22,700 फुट है। यहाँ पर पहले पाँच नदियो का संगम भी होता है जिनमें से मंदाकिनी, क्षीरगंगा, स्वर्णगौरी, मधुगंगा सरस्वती है। मंदाकिनी नदी के किनारे पर ही केदारनाथ धाम स्थित है।

केदारनाथ मंदिर का ढाँचा

Shape of Kedarnath Temple

यह मन्दिर बडीबडी कटवां पत्थरो को जोडकर बनाया गया है जो भूरे रंग के है। यह मन्दिर लगभग 6 फुट ऊचे चबूतरे के ऊपर बना हुआ है जिसके गर्भगृह के चारो कोनो पर चार मजबूत खम्बे खडे हुए है। ये मन्दिर बेहद मजबूत पत्थरो का बना हुआ है जिसकी दिवारो की मोटाई 12 फुट है।

यहाँ श्रद्धालु चारो तरफ धूमकर यहाँ की प्रदक्षिणा करते है। यहाँ के भीतर का सभामंडल बहुत ही बडा और बहुत शानदार बना हुआ है जिसकी छत एक ही बडे से पत्थर की बनी हुई है। यह मन्दिर 6 फुट ऊचे चबुतरे पर बना हुआ है जिसकी ऊचाई 85 फुट, लम्बाई 187 फुट लंबा और चौड़ाई 80 फुट है।

इस मन्दिर के बाहर नंदी बैल बाहर वाहन के रूप में विराजमान है तथा गर्भ गृह के बाहर पाचो पांडवो के साथ द्रोपदी की मूर्ति बनी हुई है। इस मन्दिर को बनाने मे इन्टरलाकिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया गया था जिस कारण यह मन्दिर आज भी नदी के बीचो बीच खडा हुआ है।

इतने बडे और भारी पत्थरो को उठाकर इतनी ऊॅचाई पर रखना भी किसी अचरज से कम नही है। यहाँ के पुजारी मैसूर के जंगम ब्राहमण होते है।

वाडिया इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट केदारनाथ मंदिर के बारे मे

Report of Wadia Institute about Kedarnath Temple

वाडिया इंस्टीटयूट की रिर्पोट के अनुसार ये मन्दिर हिमयुग के आने के बावजूद भी आज तक खड़ा हुआ है। वो हिमयुग 400 साल रहा जिसमें इस मन्दिर को ज्यादा नुकसान नही पहुँचा जबकि मन्दिर का अधिकांश भाग हिम के अन्दर दबा हुआ रहा था जिसके प्रमाण आज भी जिन्दा है।

मन्दिर के बाहर भीतर आज भी हिमनद के रगड के निशान है। आज भी मन्दिर के बाहर की दीवारो में रगड के निशान दिखाई देते है जबकि भीतरी भाग आज भी समतल दिखाई प्रतीत होता है जैसे कि उस पर पालिश की गई हो।

About Kedarnath Temple Flood in 16 June 2013

केदारनाथ में 16 जून 2013 आई त्रासदी के बारे में

यहाँ की सबसे बडी त्रासदी (Kedarnath Flood) तब आई जब 16 जून 2013 को उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश में प्रकृति का भयंकर प्रकोप आया। यहाँ हुए भयंकर भूस्खलन बाढ के चलते मन्दिर आसपास का सब ध्वस्त हो गया था।

आश्चर्य कि बात ये थी कि मन्दिर को कुछ नही हुआ। मन्दिर को छोडकर आसपास तथा रामबाणा तक सब उस बाढ मे बह गये। उस समय मन्दिर में हजारो लोग उपस्थित थे जो इस बाढ की चपेट में आकर बह गये थे।

उस त्रासदी में हजारो श्रद्धालु अपने परिवार सहित बह गये थे जिनका आज तक भी कुछ पता नही लग पाया है। कई श्रद्धालुवो को आर्मी के विशेष हेलीकाप्टर द्वारा वहाँ से बाहर निकाला गया।

KEDARNATH DHAM

पंचकेदार एवं केदारनाथ धाम से प्रचलित कहानियाँ  

Story of Kedarnath and Panchkedar Temple

हिमालय के पर्वत पर ही भगवान विष्णु के अवतार महातपस्वी नर और नारायण ऋषि तपस्या किया करते थे। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव द्वारा उन्हे यही पर सदा वास करने का वर प्रदान किया था। यह स्थान केदारनाथ पर्वतराज हिमालय के केदार नामक श्रंग पर अवस्थित है। इस स्थल पर आज भी नर और नारायण नाम के दो विशाल पर्वत विराजमान है।

पौराणिक कथा के अनुसार पांडव महाभारत युद्व जीतने के बाद अपने परिवार भाईयों की हत्या के पाप से मुक्ति पाना चाहते थे। इस पाप से उन्हे भगवान शिव ही मुक्ति दिला सकते थे जिस कारण वो भगवान शिव का आर्शीवाद लेना चाहते थे। इस कारण सभी पांडव भगवान शिव का आर्शीवाद लेने हेतु वो निकल पडे थे परन्तु भगवान शिव उनसे रूष्ट थे। सभी पांडव भगवान शिव को ढुंढते हुए काशी तक पहुच गये थे परन्तु जैसे ही भगवान शिव को पता लगा वो वहाँ से निकल गये तथा हिमालय पर गये क्योकि भगवान शिव पांडवो को दर्शन नही देना चाहते थे।

परन्तु पांडव भी अपनी जिद के पक्के थे वो उनको ढुंढते हुए हिमालय तक गये। परन्तु जैसे ही भगवान शिव को पता लगा कि पांडव हिमालय पर ही पहुच गये है तो भगवान फिर से वहाँ से अंतर्धयान हो कर केदारनाथ पहुच गये। जब पांडवो को पता लगा कि भगवान शिव वहाँ भी नही है जो वो उन्हे ढुंढते हुए केदारनाथ भी पहुंच गये। तब भगवान शिव बैल का रूप धारण कर अन्य जानवरो के साथ जाकर मिल गये।

इसी बीच पांडवो का उन पर शक हो गया तब भीम द्वारा अपना शरीर बडा करके अपने पैर दो पहाडो पर फैला लिये। तब अन्य जानवर तो उनके पैरो के बीच से निकल गये परन्तु भगवान शिव उनके बीच से निकलना नही चाहते थे। भीम को उन पर शक हो गया तो वो उस बैल को पकडने लगे। इसी बीच वो भगवान शिव रूपी बैल जमीन में समाने लगा। उसी समय भीम ने पृथ्वी मे समाते हुए बैल की पीठ का भाग पकड ली।

तब भगवान शिव पांडवो की भक्ति पर प्रसन्न हो गये तथा उसी समय वो उनके सामने प्रकट होकर उन्हे आर्शीवाद देने लगे। 

इस कारण से यहाँ भगवान शिव की बैल की पीठ की आकृति पिंड के रूप मे पूजे जाते है। मान्यता के अनुसार जब भगवान शिव बैल के रूप में अन्र्तध्यान हुए थे तो उनके धड से ऊपर का हिस्सा काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ मन्दिर में प्रकट हुआ था।

भगवान शिव की भुजाएँ तुंगनाथ मन्दिर में, मुख रूद्रनाथ मन्दिर मे, नाभि मदमहेश्वर मन्दिर में तथा जटा कल्पेश्वर मे प्रकट हुई थी। इन सब को मिलाकर केदारनाथ सहित पंचकेदार का निर्माण हुआ था। इन पाँच जगहो पर भगवान शिव के विशाल मन्दिर बने हुए है।

KEDARNATH TEMPLE

Time to Open and close Kedarnath Temple

केदारनाथ धाम के खुलने व बंद होने का समय

केदारनाथ धाम का मन्दिर माह जून से नवम्बर के बीच 6 माह के लिए खुलते है। यहाँ के कपाट मई माह मे बैशाखी के बाद मुहूर्त निकालकर खोले जाते है तथा नवम्बर माह मे 15 तारीख से पहले ही प्रातः 4 बजे पूजा अर्चना के बाद कपाट बंद कर दिये जाते है। उसके बाद यहाँ भारी बर्फबारी मौसम के अनुकूल रहने के कारण यहाँ की यात्रा बंद करनी पडती है।

यहाँ का मन्दिर प्रातः 6 बजे से रात्रि 8:30 बजे तक खुलता है। नवम्बर माह मे मन्दिर के बंद हो जाने के कारण यहाँ से केदारनाथ जी की प्रतिमा को ऊखीमठ ले जाया जाता है। उसके बाद 6 माह तक ऊखीमठ मे ही उनकी पूजा अर्चना इत्यादि की जाती है।

यहाँ पर केदारनाथ जी की उनकी पूजा अर्चना रावलो के द्वारा ही की जाती है। केदारनाथ धाम मे दिया जलाया जाता है परन्तु आश्चर्य की बात यह है कि ये दीप 6 माह तक जले रहते है और पूजा भी निरन्तर चलती रहती है।

6 माह बाद कपाट खुलने पर वहाँ मन्दिर की साफ सफाई वैसे ही मिलती है जैसे 6 माह पहले छोडकर गये थे। माना जाता है कि इस दीपक को 6 माह तक वहाँ के देवता जलाए रखते है। 

केदारनाथ मन्दिर कैसे पहुंचे

How to reach Kedarnath Temple

केदारनाथ मन्दिर तक आने के लिए आपको रूद्रप्रयाग से होते हुए गुप्तकाशी आना होता है। गुप्तकाशी से आगे लगभग 20 किमी आपको गौरीकुण्ड पडता है वहाँ तक आप अपने साधन से सकते है। यहाँ से केदारनाथ मन्दिर के लिए 14 किमी की पैदल यात्रा करनी पडती है। यहाँ से मन्दिर जाने हेतु आपको ऊबडखाबड पहाडी मार्ग से होते हुए जाना पडता है।

Kedarnath Weather

केदारनाथ का मौसम

केदारनाथ घूमने के लिए मई से अक्टूबर तक का मौसम सबसे अच्छा रहता है इस समय पर यहाँ का मौसम ठण्डा व खुशनुमा रहता है जिस कारण पर्यटको को यहाँ घूमने में आनंद की प्राप्ति होती है।

वही गर्मियों के समय यहाँ का तापमान 7 डिग्री से 15 डिग्री के बीच रहता है वही सर्दियों के समय पर यहाँ का तापमान 0 डिग्री से भी नीचे चला जाता है जिस कारण यहाँ आने पर श्रद्धालुओं को गर्म कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है।

इस मौसम में यहाँ बर्फवारी भी बहुत अधिक होती है जिस से पूरा मंदिर व आसपास का पूरा क्षेत्र बर्फ से ढक जाता है। जिसे देखने भी काफी पर्यटक केदारनाथ धाम आते है।

वही बरसात के समय पर यहाँ बारिश बहुत अधिक होती है जिस कारण पर्यटको को यहाँ आने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 

Map of Kedarnath

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