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About Nag Tibba Trek
नाग टिब्बा ट्रैक(Nag Tibba Trek) निचले हिमालयी क्षेत्र की तीन प्रमुख चोटियों में से एक है जिनमे अन्य में
धौलाधार पर्वत व पीर पंजाल पर्वत चोटी शामिल है। नाग टिब्बा ट्रैक उत्तराखंड के आस पास के राज्यों जैसे दिल्ली, हरियाणा व उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के लोगो के लिए
भी एक आदर्श ट्रैकिंग व पर्यटक स्थल है। इन राज्यों से उत्तराखंड की दूरी कम होने के कारण
अधिकतर वीकेंड के समय लोग यहाँ बड़ी संख्या में आते है तथा यहाँ पर प्रकर्ति का
आनंद लेते है।
इस ट्रैक पर जाने में दो दिन तक का समय लग जाता है समय कम लगने के कारण आसपास
के राज्यों से ट्रैकिंग, प्रकर्ति प्रेमियों व साहसिक खेलो के शौक़ीन लोगो के लिए नागटिब्बा ट्रैक मुख्य
स्थान रखता है। नाग टिब्बा का अर्थ नागो अर्थात साँपो की चोटी से है। यहाँ पर एक नाग देवता का मंदिर भी बना हुआ है जो आस पास के गाँवो के लिए
महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल भी है।
नाग टिब्बा चोटी से आप बन्दरपूँछ पर्वत चोटी, केदारनाथ की चोटी, गंगोत्री समूह की चोटियाँ, सुन्दर दून घाटी व बर्फ से ढके पहाड़ो की सुन्दरता को
भी करीब से देखा जा सकता है। नाग टिब्बा पर्वत की ऊचाई समुद्र तल से 3,022 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है जो देहरादून के पंतवारी गांव से शुरू होता है तथा देहरादून से 85 किमी की दूरी पर स्थित है।
पंतवारी गांव उत्तराखंड के जिला टिहरी गढ़वाल के धनोल्टी तहसील में पड़ता है। देहरादून से पंतवारी गांव तक पहुंचने में लगभग 2-3 घंटे तक का समय लग जाता है।
पंतवारी गांव से ही नाग टिब्बा पर्वत चोटी के लिए ट्रैक की शुरुवात होती है। नाग टिब्बा ट्रैक की सबसे अच्छी बात ये है की इस ट्रैक पर साल भर में कभी भी
जाया जा सकता है। सिर्फ बरसात के मौसम में यहाँ जाना थोड़ा दिक्कत भरा
हो सकता है क्योकि पहाड़ पर चढ़ते हुए फिसलने का डर बना रहता है। अन्यथा आप कभी भी इस ट्रैक पर जा सकते है। वैसे मार्च से जून व सितम्बर से दिसम्बर तक का समय इस ट्रैक पर
जाने के लिए सबसे अनुकूल रहता है।
बेस कैंप से नाग टिब्बा की चोटी पर जाने के लिए 10 किमी की यात्रा करनी पड़ती है जो ज्यादा कठिन नहीं है। जिस कारण इस ट्रैक पर 10 साल की उम्र से ज्यादा के लोग आसानी से जा सकते है। बीच में आपको जंगलो से होते हुए जाना पड़ता है जो इस ट्रैक को और भी खूबसूरत बढ़ा देता है। बीच बीच में आपको पानी के स्त्रोत भी मिल जायेंगे जहाँ से आप पीने के लिए
पानी वगैरह भर सकते है।
Things to Carry
नाग टिब्बा ट्रैक पर जाते समय आपको स्वयं सावधानी बरतने के साथ रोजाना के प्रयोग होने वाली
जरूरत की चीजों को भी अपने साथ ले जाना आवश्यक होता है। साथ ही आपको छोटी मोटी शारीरिक परेशानियों के लिए सर दर्द, पैट ख़राब व अन्य रोगो के उपचार
हेतु फर्स्ट ऐड की चीजे व दवाइयां भी जरूर ले जानी चाहिए ताकि आवश्यकता अनुसार
जरूरत के समय ये प्रयोग में लाई जा सके।
वहाँ का मौसम प्रति घंटे के हिसाब से बदलता रहता है ऊंचाई पर होने के कारण
वहाँ ठण्ड भी अधिक रहती है। इस कारण आपको ठण्ड व बारिश से बचाव हेतु रैनकोट, फुल स्लीव्स पतली जैकेट्स, मंकी कैप, ट्रैकिंग शूज, गर्म मोज़े, मफलर, तौलिए, धुप से बचाव हेतु अच्छे किस्म के चश्मे, कोल्ड क्रीम, लिप बाम, सनस्क्रीन लोशन, एल०ई०डी टॉर्च, गर्म पानी की बोतल, ट्रैकिंग पोल, सिरदर्द की दवाइयाँ जैसे क्रोसिन, डिस्प्रिन, कॉटन, बैंड-ऐड, मूव स्प्रे, गौज, क्रैप बैंडेज आदि चीजे है जो आपको ट्रैक पर जाते समय
अपने साथ रखनी चाहिए। इनकी जरूरत आपको ट्रैक पर जाते वक्त कभी भी पड़ सकती है।
यात्रा कार्यक्रम
प्रथम दिन: देहरादून से पंतवारी से नाग टिब्बा(ट्रैक 4 किमी)
दूसरा दिन: नाग मंदिर से नाग टिब्बा पीक से वापस पंतवारी(ट्रैक 6 किमी)
नाग टिब्बा ट्रैक
पर कैसे जाये
How to go Nag Tibba Trek
पहला दिवस: इस ट्रैक को शुरू करने के लिए
आपको सबसे पहले पंतवारी तक पहुंचना होता है जो देहरादून से 85 किमी की दूरी पर पड़ता है व यहाँ तक आने में 2 घंटे तक का समय लग जाता है। पंतवारी से सबसे पहले आप
नाग टिब्बा मंदिर के लिए जा सकते है। नाग टिब्बा मन्दिर की उचाई समुद्र तल से 4642 फ़ीट पड़ती है।
रास्ते में आप कई प्रकार के पक्षी, मस्क डियर व खूबसूरत हिमालय पर्वत दिखाई पड़ते है। नाग
पंचमी के दिन इस मंदिर में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है जिस में भाग लेने
दूर-दूर से श्रद्धालु आते है। आप यहाँ पर रात गुजर सकते है व अगले दिन से ट्रैक की
शुरुवात कर सकते है।
दूसरा दिवस: आपके दूसरे दिन की शुरुवात नाग
मंदिर से होती है। यहाँ से आपको 6 किमी का ट्रैक कर नाग टिब्बा
समिट तक पहुंचना होता है। यहाँ तक पहुंचने में 4 से 5 घंटे तक का समय लग जाता है। इस चोटी पर पहुंच कर आप
चौखम्बा पर्वत, स्वर्गारोहिणी पर्वत, बन्दरपूँछ पर्वत, नंदा देवी पर्वत व सुन्दर दून घाटी को स्पष्ट देख सकते है।
यहाँ से सूर्योदय का अत्यन्त
सुन्दर नजारा देखा जाया जा सकता है। सूर्योदय यहाँ के मुख्य आकर्षणों में से एक है। यहाँ पर घूमने के बाद आप अपने गंतव्य पंतवारी को वापस आ
सकते है।
नाग टिब्बा ट्रैक पर कैसे जाये
How can go to Nag Tibba Trek
By Train: वाया ट्रेन: यहाँ जाने के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन देहरादून में
स्थित है। यहाँ से आप प्राइवेट
वाहन, टैक्सी अथवा सरकारी बस सेवा द्धारा पंतवारी गांव तक
पहुंच सकते है। पंतवारी गांव से आपके
ट्रैकिंग की शुरुवात होती है।
By Air: वायु मार्ग: यहाँ जाने के लिए
निकटतम हवाई स्टेशन जॉली ग्रांट में स्थित है।
यहाँ से आप सरकारी बस सेवा अथवा प्राइवेट टैक्सी टैक्सी द्धारा आसानी से पंतवारी
तक पहुँच सकते है।
नाग टिब्बा ट्रैक पर कब जाये
नाग टिब्बा ट्रैक पर जाने के लिए सबसे अच्छा समय
मार्च से जून और सितम्बर से लेकर दिसम्बर तक का होता है। उसके बीच सावन का मौसम होने के कारण ट्रैक पर फिसलन
रहती है जिस कारण ट्रैकर्स को जाने में काफी परेशानियों व फिसलन के कारण गिरने का
डर बना रहता है। सही मौसम पर यहाँ आकर आप यहाँ पर प्रकर्ति का भरपूर
आनंद ले सकते है।
हैलो, दोस्तों मैं पंकज पंत एक ब्लॉगर। दोस्तों लिखने, पड़ने व म्यूजिक (खासतौर से मैगज़ीन जैसे इंडिया टुडे व क्रिकेट सम्राट वगैरह) का शौक पहले से ही था तो सोचा क्यों न कुछ लिखा जाये और लिखा भी वो जाये जिसे पढ़कर पाठको को आनन्द भी आये व उसे पढ़कर उनके ज्ञान में भी कुछ वृद्धि हो सके। परन्तु लिखने के लिए एक लेखन सामग्री की आवश्यकता होती है तो सोचा किस विषय पर लिखा जाये। सोचते हुए दिमाग में आया की क्यों न अपने ही गृह राज्य उत्तराखंड के बारे में लिखा जाये जिसकी पृष्टभूमि बहुत ही विशाल होने के साथ-साथ यहाँ की संस्कृति और सभ्यता भी बहुत विकसित है। वही ये एक शानदार पर्यटक स्थल होने के अलावा धार्मिक दृस्टि से भी परिपूर्ण है। यहाँ हर साल हजारो की संख्या में मेलो व त्योहारों का आयोजन होता रहता है जिसे देखने व इनमे शामिल होने के लिए देश-विदेश से लाखो-करोडो लोग उत्तराखंड आते है व इन मेलों को देखने के साक्षी बनते है। इस कारण मैंने लिखने की शुरुवात की अपने उत्तराखंड से। अपनी इस वेबसाइट में मैंने उत्तराखंड की संस्कृति एवं सभ्यता, उत्तराखण्ड के प्रमुख पर्यटक स्थल, उत्तराखण्ड के प्रमुख मंदिरो, उत्तराखण्ड के प्रमुख नृत्य व संगीत, उत्तराखण्ड के प्रमुख ट्रेक्किंग स्थलों, उत्तराखण्ड के मुख्य डैम, उत्तराखण्ड की झीलों व ग्लेशियर के अलावा यहाँ की प्रमुख पर्वत चोटियों व अन्य विषयो को पाठको के समक्ष प्रस्तुत किया है। जैसे- जैसे मुझे अन्य कोई जानकारी मिलती जाएगी में उन्हें अपने पाठको के समक्ष प्रस्तुत करता रहूँगा। धन्यवाद पंकज पंत
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