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Dams in Uttarakhand
उत्तराखंड के प्रमुख डैम
Uttarakhand Dam
उत्तराखंड के प्रमुख डैम
उत्तराखण्ड एक पर्वतीय राज्य व ग्लेशियरों व बर्फ से ढके पहाड होने के कारण यह बहुत सी नदिया का उदगम स्थल भी है। इन नदियों के ऊपर बहुत से डैम बने हुए है व कई अभी भी निर्माणाधीन है। इन डैम से यहाँ के लोगो कों अन्य राज्यों की तुलना में कम कीमत पर बिजली, पीने के लिए साफ पानी के अतिरिक्त सिचाई के लिए भी पानी उपलब्ध होता है जिसका उपयोग उत्तराखण्ड के साथ–साथ उत्तर प्रदेश के लोग भी सिचाई के लिए किया करते है।
पर्यावरणविदों द्वारा इन डामों व बैराजों को बनाने का व्यापक रूप से विरोध होता आया है क्योकि इन डामों के बनने से पर्यावरण का भी काफी नुकसान पहुचा है। इन डामों के बनने के कारण कई वृक्षो को काटा गया, कई पहाडों को ब्लास्ट करके उनके बीच में से रास्ता बनाया गया।
उत्तराखंड के प्रमुख डैम की सूची व उनका विवरण निम्न प्रकार है।
Dams and Places of dams in Uttarakhand
नाम | स्थान | नदी का नाम |
टिहरी बाँध | उत्तराखण्ड | भागीरथी नदी |
धौली गंगा बाँध | उत्तराखण्ड | धौली गंगा नदी |
मनेरी डैम | उत्तराखण्ड | भागीरथी नदी |
कालागढ़ डैम | पौड़ी गढ़वाल | रामगंगा नदी |
भीमताल डैम | नैनीताल | भीमताल झील |
धोरा डैम | किच्छा | उधमसिंह नगर |
हरिपुरा डैम | ऊधम सिंह नगर | भाकरा नदी |
इचरी डैम | देहरादून | टौंस नदी |
कोटेश्वर डैम | टिहरी गढ़वाल | भागीरथी नदी |
नानक सागर डैम | उधमसिंह नगर |
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तुमरिया डैम | उधमसिंह नगर |
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जमरानी डैम | नैनीताल | गोला नदी |
टिहरी डैम: Tehri Dam
टिहरी बाँध उत्तराखण्ड के साथ–साथ भारत देश का भी प्रमुख बाँध है। यह बांध गंगा की सहयोगी भागीरथी नदी के ऊपर बनाया गया है जिसकी ऊंचाई तकरीबन 260.5 मीटर तथा लम्बाई 575 मीटर है। यह बाँध पूरे भारत समेत एशिया का सबसे बडा डाम है तथा विश्व में ये 5 वे स्थान पर आता है।
यह उत्तराखण्ड के साथ–साथ पूरे देश को भी बिजली उपलब्ध करवाता है। 1978 को इस बांध को बनाने का काम शुरू हुआ था तथा इसका पहला फेज सन 2006 में बनकर तैयार हुआ था जो 52 वर्ग किमी में फैला हुआ है। इस बांध की कुल क्षमता 2,400 मेगावाट है। इसके अतिरिक्त सरकार द्धारा यहाँ पर 1,000 मेगावाट की अतिरिक्त उत्पादन इकाई लगाने की अनुमति प्रदान की गई है।
वही इस बांध के द्धारा 2,70,000 हेक्टेयर कृषि क्षेत्र के साथ-साथ 102.20 करोड़ लीटर पानी की सप्लाई उत्तराखण्ड, उत्तरप्रदेश व दिल्ली को प्रतिदिन की जाती है। परन्तु जानकारों के अनुसार इस बांध के टूटने से हरिद्धार, ऋषिकेश, बिजनौर, बुलंदशहर तथा मेरठ पूरी तरह से जलमग्न हो जायेंगे। टिहरी डैम 6.8 से 8.5 रिक्टर स्केल की तीव्रता वाले भूकंप के झटके को सहने में भी सक्षम है।
धौली गंगा डैम उत्तराखंड में टिहरी डैम के बाद दूसरा ऐसा डैम है जो सबसे महत्वपूर्ण है। इस डैम की ऊंचाई 56 मीटर तथा लम्बाई 315 मीटर है यह डैम धौली गंगा नदी के ऊपर बना हुआ है।
यह डैम जिला पिथौरागढ़ में स्थित है तथा धारचूला के नजदीक है जो 3.1 स्क्वायर मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह डैम सन 2000 में बनना शुरू हुआ था तथा सन 2005 में बनकर इसमें बिजली उत्पादन के कार्य की शुरुवात हो गई थी। इस बांध से 280 (4X70मेगावॉट) मेगावॉट बिजली का उत्पादन होता है। इसका निर्माण कॉन्क्रीट फेज रॉक फिल डेम की तकनीक से किया गया है। इस तकनीक का निर्माण पहली बार भारत में किया गया था जिसका निर्माण NHPC द्धारा किया गया है वही कुमाऊँ मंडल में भूमिगत पावर हाउस और सुरंगो द्धारा बनी यह पहले परियोजना भी है।
कालागढ़ डैम उत्तराखंड के प्रमुख डैम में से एक है जो पौड़ी गढ़वाल में स्थित है। यह बांध रामगंगा नदी के ऊपर बना हुआ है। यह डैम कोटद्धार से 48 किमी की दूरी पर स्थित है वही प्रकर्ति प्रेमियों के लिए भी ये जगह अविश्वनीय है। यहाँ ठण्ड के मौसम में अलग अलग प्रजाति के पक्षी भी देखने को मिल जायेंगे। पर्यटको के रुकने हेतु यहाँ पर वन विभाग व सिचाई विभाग द्धारा रेस्ट हाउस तैयार किये गए है जिसमे पर्यटक विश्राम भी कर सकते है।
कालागढ़ से ही कार्बेट पार्क घूमने जाने वालो के लिए एक गेट भी बना हुआ है जहाँ से पर्यटक कार्बेट पार्क के अन्दर घूमने भी जा सकते है। इस डैम की सबसे बड़ी खूबी इस डैम का मिटटी का बना हुआ होना है। इस डैम को मैसूर में कावेरी नदी पर बने बृन्दावन गार्डन की तरह ही बना हुआ है। यहाँ एक शानदार पार्क भी बना हुआ है जहाँ कई किस्म के फूल लगे हुए है। वही इस गार्डन में एक 450 मीटर लम्बा फुव्वारा लगा है जिसमे से रात को रंग बिरंगी रोशनी से यहाँ आने वाले पर्यटक भी मन्त्रमुघ्द हो जाते है। यहाँ पर एक छोटा बाजार भी बना है जहाँ से पर्यटक खरीददारी भी कर सकते है।
इस डैम में 66-66 मेगावॉट बिजली बनाने की तीन यूनिट लगी हुई है जिनसे मिलकर कुल 198 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है।
हैलो, दोस्तों मैं पंकज पंत एक ब्लॉगर। दोस्तों लिखने, पड़ने व म्यूजिक (खासतौर से मैगज़ीन जैसे इंडिया टुडे व क्रिकेट सम्राट वगैरह) का शौक पहले से ही था तो सोचा क्यों न कुछ लिखा जाये और लिखा भी वो जाये जिसे पढ़कर पाठको को आनन्द भी आये व उसे पढ़कर उनके ज्ञान में भी कुछ वृद्धि हो सके। परन्तु लिखने के लिए एक लेखन सामग्री की आवश्यकता होती है तो सोचा किस विषय पर लिखा जाये। सोचते हुए दिमाग में आया की क्यों न अपने ही गृह राज्य उत्तराखंड के बारे में लिखा जाये जिसकी पृष्टभूमि बहुत ही विशाल होने के साथ-साथ यहाँ की संस्कृति और सभ्यता भी बहुत विकसित है। वही ये एक शानदार पर्यटक स्थल होने के अलावा धार्मिक दृस्टि से भी परिपूर्ण है। यहाँ हर साल हजारो की संख्या में मेलो व त्योहारों का आयोजन होता रहता है जिसे देखने व इनमे शामिल होने के लिए देश-विदेश से लाखो-करोडो लोग उत्तराखंड आते है व इन मेलों को देखने के साक्षी बनते है। इस कारण मैंने लिखने की शुरुवात की अपने उत्तराखंड से। अपनी इस वेबसाइट में मैंने उत्तराखंड की संस्कृति एवं सभ्यता, उत्तराखण्ड के प्रमुख पर्यटक स्थल, उत्तराखण्ड के प्रमुख मंदिरो, उत्तराखण्ड के प्रमुख नृत्य व संगीत, उत्तराखण्ड के प्रमुख ट्रेक्किंग स्थलों, उत्तराखण्ड के मुख्य डैम, उत्तराखण्ड की झीलों व ग्लेशियर के अलावा यहाँ की प्रमुख पर्वत चोटियों व अन्य विषयो को पाठको के समक्ष प्रस्तुत किया है। जैसे- जैसे मुझे अन्य कोई जानकारी मिलती जाएगी में उन्हें अपने पाठको के समक्ष प्रस्तुत करता रहूँगा। धन्यवाद पंकज पंत
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