HILL STATION IN UTTARAKHAND
कुमाऊँ के प्रमुख पर्यटक स्थल:
Best Hill Stations in Kumaon Region:लोग गर्मियों की छुट्टियों व अन्य अवकाश आदि के दौरान अपने व अपने परिवार के साथ समय व्यतीत करने हेतु किसी शान्त व मनोरम जगह की तलाश में रहते है। यू तो भारत वर्ष में कई ऐसे स्थान है जो सदियों से पर्यटको को अपनी और आकर्षित करते आये है परन्तु उनमे से एक स्थान उत्तराखण्ड भी है जो पर्यटको के घूमने हेतु आदर्श स्थल है। उत्तराखण्ड एक ऐसा देव स्थल है जिसे ऋषियों और मुनियो ने अपने तप व ज्ञान द्धारा पवित्र किया हुआ है। वही प्रकर्ति प्रेमियों व वन्य जीव प्रेमियों हेतु भी यहाँ कई राष्ट्रीय उद्यान व वन्य जीव उद्यान खोले गए है जहाँ लुप्त प्राय व अन्य जंगली जीवो को व्यक्ति नजदीक से देख सकते है।
वही रोमांचक खेलो के शौक़ीन लोगो के लिए भी उत्तराखंड किसी स्वर्ग से कम नहीं है यहाँ ऋषिकेश, पिथौरागढ़ और कई अन्य जगहों पर राफ्टिंग, ट्रैकिंग, पैराग्लाइडिंग जैसे खेलो का भी आयोजन होता रहता है जिसे देखने व इन खेलो में शामिल होने हेतु भी लाखो लोग उत्तराखंड का रुख करते है। वही उत्तराखंड में कई ऐसे पर्यटक स्थल है जो अपनी खूबसूरती के कारण देश विदेश में प्रसिद्ध है उत्तराखण्ड में मुख्यतः दो क्षेत्र है कुमाऊँ और गढ़वाल।
कुमाऊँ में जहाँ नैनीताल, भीमताल, रानीखेत, कौसानी, बेरीनाग, लोहाघाट, अल्मोड़ा, धारचूला, मुनस्यारी, रामनगर, चौकोरी, जागेश्वर, पंगोट, भवाली, बिन्सर, रामगढ, मुक्तेश्वर आदि पड़ते है। वही गढ़वाल क्षेत्र में औली, मसूरी, खिर्सू, फूलो की घाटी, धनोल्टी, लैंसडौन, चोपता, हर्षिल, चम्बा, ग्वालदम, नई टिहरी आदि आते है जहाँ प्रति वर्ष लाखो लोग पर्यटन हेतु आते है।
Tourist Places in Uttarakhand
नैनीताल
NAINITALनैनीताल: NAINITAL: नैनीताल का नाम विश्व पटल में एक अलग स्थान रखता है। लोग बिना किसी हिचक के कह सकते है की नैनीताल उत्तराखंड के साथ साथ भारत के सर्वश्रेस्ठ पर्यटक स्थलों में से एक है।
नैनीताल समुद्र तल से 1,938 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है ये नगर चारो और खड़े विशाल पर्वतो, यहाँ बसी नैनी झील और यहाँ के वातावरण के कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध है जिस कारण गर्मियों के मौसम में यहाँ के होटल व धर्मशाला फुल मिलते है, जिस कारण यात्रियों को रुकने हेतु यहाँ से दूर जाना पड़ता है। नैनीताल को झीलों की नगरी कहकर भी सम्बोधित किया जाता है। कभी यहाँ पर साठ ताल थे पर मौसम बदलने व ग्लोबल वार्मिंग के कारण इनमे से कई ताल अब सूख चुके है।
यहाँ की नैनी झील अपनी खूबसूरती के कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध है जिसकी लम्बाई 1,358 मीटर, चौड़ाई 458 मीटर तथा गहराई 15 मीटर सें 156 मीटर तक है वही इस झील की कुल परिधि 2 मील है। इस झील के उत्तर दिशा में नैना पीक है जो समुद्र तल से 2,615 मीटर है वही पश्चिम में देवपाठा जिसकी ऊंचाई 2,438 मीटर तथा दक्षिण में अयार पाठा है जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 2,278 मीटर है। इस झील में पर्वतो और वृक्षों की छाया बहुत ही सुन्दर प्रतीत होती है जिस देखने दूर दूर से पर्यटक नैनीताल पहुँचते है। वही इस झील के एक तरफ खूबसूरत विश्व प्रसिद्ध नैना देवी का मंदिर भी है जो देवी के 108 शक्ति पीठो में से एक है।
नैनीताल के प्रमुख पर्यटक स्थल:
Famous Attractions Nearby Nainital:
नैनीताल में नौकुचियाताल, भीमताल, सातताल, नैना देवी टेम्पल, राज भवन, टिफ़िन टॉप, नैनीताल चिड़ियाघर, रोपवे आदि पर्यटक स्थल है जहाँ यात्री नैनीताल यात्रा के दौरान घूम सकते है।
नैनीताल कैसे पहुँचे:
How to reach Nainital:नैनीताल पहुँचने के लिए सबसे नजदीक का रेलवे स्टेशन काठगोदाम है तथा नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर है जहाँ से यात्री बस या टैक्सी द्धारा यहाँ तक आसानी से पहुंच सकते है। पंतनगर से नैनीताल की दूरी लगभग 65 किमी तथा काठगोदाम से नैनीताल तक की दूरी 34 किमी है।
चौकोरी
Chaukauriचौकोरी: Chaukauri: चौकोरी अपने शान्त वातावरण, ऊचे ऊंचे पहाड़, वनस्पतियो से घिरा हुआ एक शानदार पर्यटक स्थल है जो समुद्र तल से लगभग 2,010 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहाँ से आप ऊंची -ऊंची पहाड़ियों जैसे नंदा कोट, नंदा देवी और पंचकूला जैसी चोटियों को नजदीक से देख सकती है। वही यहाँ का शान्ति भरा मौसम यात्रिओ को रोमांचित करने के लिए काफी होता है। चौकोरी उत्तराखंड में कुमाऊँ के सबसे लोकप्रिय पर्यटक स्थलों में से एक है। गर्मियों के समय पर प्रकर्ति प्रेमियों और शांतचित वातावरण को पसंद करने वाले ताँता लगा रहता है।
यह स्थान अपने चाय के बागानों व रोमांचक गतिविधियों के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ पर सबसे पहले चाय लगाने का कार्य अंग्रेजो के कार्यकाल के दौरान शुरू हुआ था। यहाँ की चाय में अत्यन्त स्वाद होने के कारण यहाँ की चाय विदेशो तक को सप्लाई की जाती है।
वही ये स्थल चारो और से वनस्पतियो और जंगल से ढका हुआ होने के कारण यात्री यहाँ आकर हरे–भरे जंगलो व खूबसूरत वादियों में घूमने का भी आनंद उठा सकते है जो किसी थैरपी से कम महसूस नहीं होता।
यहाँ तरह तरह की प्रजातियों के पेड़-पौधे, देवदार के वृक्ष, चाय के बागान आदि है जिन्हे आप करीब से देखने का आनंद सकते है वही इस स्थान पर कई मंदिर भी है जिन्हे आप यहाँ की यात्रा के दौरान जा सकते है। यही पर कपिलेश्वर महादेव का एक प्राचीन भी है जो सौर घाटी में स्थित है तथा भगवान शिव को समर्पित है, को भी देख सकते है।
वही नजदीक में स्थित गंगोलीहाट में माँ काली के दर्शन कर पुण्य की प्राप्ति भी कर सकते है। ये मन्दिर देवदार वृक्षों के बीच स्थित है यहाँ से आप यहाँ के शांत वातावरण को भीतर से अनुभव कर सकते है। आप यहाँ नजदीक में बसे पुरातन गाँवो को भी देख सकते है जो आपको कुमाऊँ की संस्कृति व सभ्यता को करीब से देखने का भी मौका प्रदान करते है।
चौकोरी कैसे जाये
How to reach Chaukauriचौकोरी पहुँचने के लिए सबसे नजदीक का रेलवे स्टेशन काठगोदाम है तथा नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर है जहाँ से यात्री बस या टैक्सी द्धारा यहाँ तक आसानी से पहुंच सकते है। पंतनगर से चौकोरी की दूरी लगभग 224 किमी तथा काठगोदाम से चौकोरी तक की दूरी 188 किमी है। चौकोरी तक आप अपने प्राइवेट वाहन द्धारा आसानी से पहुंच सकते है।
यहाँ की सड़क बड़े शहरों व राज्यों से अच्छी तरह से जुडी हुई है। यहाँ रुकने के लिए आपको अच्छे व मध्यम स्तर के होटल आसानी से मिल जायेंगे परन्तु गर्मियों के मौसम व छुट्टियों के समय यहाँ के होटल फुल रहते है जिस कारण आपको पहले से ही होटल की बुकिंग करा लेनी चाहिए।
रानीखेत
Ranikhet
रानीखेत एक छोटा परन्तु खूबसूरत हिल स्टेशन है जो जिला अल्मोड़ा में स्थित है यह एक बहुत खूबसूरत पर्यटक स्थल है जो देवदार व चीड़ के पेड़ो से भरा हुआ है। रानीखेत की ऊंचाई समुद्र तल से 1824 मीटर है। यह जगह प्रकर्ति प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है यह स्थल शहरी भीड़ भाड़ से दूर एकांत में बसा एक शांत पर्यटक स्थल है जहाँ से आप हिमालय की चोटियों को स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है।
ये स्थल अपने यहाँ बसे प्राचीन मंदिरो, सुन्दर व साफ रास्तो तथा सुन्दर घाटियों के लिए प्रसिद्ध है। वही इस जगह पर भारतीय सेना के कुमाऊँ रेजिमेंट का मुख्यालय भी स्थित है जहाँ एक पुरातन संग्रहालय भी मौजूद है जिस पर युद्ध समय के हथियार, फोटो तथा वहाँ की भव्यता को बहुत ही खूबसूरत तौर पर प्रदर्शित किया गया है। ऐसा कहा जाता है की इस स्थान पर पहले एक विशाल महल था जिसे अंग्रेजकाल में अंग्रेजो द्धारा तोड़कर अपनी छावनी के रूप में विकसित किया गया था।
इस जगह पर एक गोल्फ कोर्स भी है जो भारत के सबसे अच्छे गोल्फ कोर्स में से एक है जिसकी दूरी मुख्य शहर से 5 किमी है इस गोल्फ कोर्स का रेट भी बहुत कम है जहाँ आदमी बहुत कम पैसे देकर जा सकता है व गोल्फ खेलने का लुत्फ़ उठा सकता है।
रानीखेत अपने यहाँ होने वाले साहसिक खेलो के लिए भी प्रसिद्ध है यहाँ बहुत सारे ट्रैकिंग को जाने हेतु जगह है वही पैराग्लाइडिंग करने वालो के लिए भी ये जगह किसी जन्नत से काम नहीं है नए सिखने वालो के लिए भी ये जगह बहुत अच्छी है जो यहाँ आसानी से पैराग्लिडिंग को सिख सकते है।
रानीखेत एक छोटी जगह होने के साथ साथ हरी–भरी व तरह–तरह की वनस्पतियो से भरा हुआ है। यह स्थल सीज़न में सेब, आड़ू, पुलम व अन्य किस्म के फलो व फूलो के लिए प्रसिद्ध है। वही यहाँ के जंगलो में तरह तरह के जंगली जानवर जैसे तेंदुवा, कस्तूरी मृग, गोरल, चकोर, काला तितर, मोनाल तितर जैसे पक्षी भी पाए जाते है।
इस पूरे क्षेत्र में देवदार व चीड़ के पेड़ बहुतायत से पाये जाते है वही यहाँ पास में ही रानी झील है जो एक बड़ी और कृत्रिम झील है जिसमे पर्यटक नौकाविहार का आनन्द भी ले सकते है।
रानीखेत मंदिरो के लिए भी काफी प्रसिद्ध है यहाँ के प्रमुख मंदिरो में झूला देवी मन्दिर और बिन्सर महादेव प्रमुख है बिन्सर महादेव भगवान शिव को समर्पित है।
रानीखेत में घूमने के लिए सबसे अच्छा समय गर्मियों का रहता है मानसून के समय पर भी यहाँ आना अच्छा होता है क्योकि इस समय यहाँ का मौसम खुशनुमा बना रहता है।
रानीखेत के प्रमुख पर्यटक स्थल:
Famous tourist places near Ranikhet:रानीखेत के प्रमुख पर्यटक स्थल: रानीखेत के प्रमुख पर्यटक स्थलों में ताड़ीखेत, सनसेट पॉइंट, खूंट, द्धारहाट, चौबटिया, चिलियनोला, शीतलाखेत, धोलीखेत, दुनागिरि तथा मछखाली है।
रानीखेत यात्रा के दौरान आपको इन स्थलों की यात्रा एक बार जरूर करनी चाहिए इनमे से चौबटिया अपने अपने चारो ओर फैले बाग बगीचों तथा झरनो के लिए प्रसिद्ध है वही चिलियनोला में एक भव्य मंदिर है जिसमे हेड़ाखान हेड़ाखान बाबा का भव्य मंदिर व कई अन्य देवी-देवताओ के प्राचीन व कलात्मक मन्दिर है।
शीतलाखेत अपनी ट्रैकिंग स्थल के लिए प्रसिद्ध है वही यहाँ पर आपको ठहरने के लिए होटल आदि भी किराये पर आसानी से उपलब्ध हो जायेंगे। वही धोलीखेत पिकनिक स्पॉट है जहाँ आप अपने परिवार के साथ पिकनिक पर जाने का लुत्फ़ उठा सकते है। द्धारहाट कलात्मक दृष्टि से महत्वपूर्ण है जहाँ पर आपको पुरानी शैली के 60 से भी ज्यादा मंदिर देखने को मिल जायेंगे। वही मछखाली एक सुन्दर पर्यटक स्थल है जहाँ से पर्यटक हिमालय की खूबसूरती को नजदीक से देखने का आनंद ले सकते है।
रानीखेत कैसे जाये:
How to reach Ranikhet:रानीखेत पहुँचने के लिए सबसे नजदीक का रेलवे स्टेशन काठगोदाम है तथा नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर है जहाँ से यात्री बस या टैक्सी द्धारा यहाँ तक आसानी से पहुंच सकते है। पंतनगर से रानीखेत की दूरी लगभग 110 किमी तथा काठगोदाम से रानीखेत तक की दूरी 84 किमी है। रानीखेत तक आप अपने प्राइवेट वाहन द्धारा आसानी से पहुंच सकते है।
यहाँ की सड़क बड़े शहरों व राज्यों से अच्छी तरह से जुडी हुई है। यहाँ रुकने के लिए आपको अच्छे व मध्यम स्तर के होटल आसानी से मिल जायेंगे परन्तु गर्मियों के मौसम व छुट्टियों के समय यहाँ के होटल फुल रहते है जिस कारण आपको पहले से ही होटल की बुकिंग करा लेनी चाहिए।
कौसानी
Kausani
कौसानी: Kausani: कौसानी उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में स्थित एक गांव है जो गरुण तहसील के अंदर आता है। ये गांव अपनी खूबसूरती के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध है जिस कारण से इसे भारत का स्विट्ज़रलैंड भी कहा जाता है। यह पिंगलानी पर्वत चोटी पर बसा एक छोटा सा गांव है जहाँ से आप नंदादेवी पर्वत चोटी श्रंखला की भव्यता को आसानी से देख सकते है। कौसानी कोसी नदी और गोमती नदी के बीच में बसा हुआ है तथा प्राकर्तिक और धार्मिक पर्यटकों के लिए मुख्य पर्यटक स्थल है।
कौसानी समुद्र तल से 6,075 फ़ीट की ऊंचाई पर बसा हुआ है जो महान हिंदी कवि सुमित्रानंदन पंत जी की जन्म स्थली भी है। वही कौसानी बस स्टेशन से कुछ ही दूरी पर सुमनित्रानन्दन पंत जी के नाम पर एक संग्रहालय की स्थापना भी की गयी है। पहले ये स्थल सुमित्रानंदन पंत का घर था जिसे बाद में संग्रहालय का रूप दे दिया गया था जिसमे उनसे जुडी पुस्तकों और उनसे जुडी यादो को संगृहीत कर रखा गया है।
वही कौसानी चाय के बागानों के लिए भी प्रसिद्ध है यहाँ पैदा होने वाली चाय विश्व प्रसिद्ध है जो गिरियाज उत्तरांचल चाय के नाम से जानी जाती है। ये बागान 208 हेक्टेयर में फैला हुआ है यहाँ की चाय अमेरिका, जर्मनी, कोरिया जैसे देशो में निर्यात की जाती है वही यहाँ तरह तरह के फल जैसे खुमानी, पुलम आड़ू का उत्पादन भी काफी मात्रा में होता है।
महात्मा गाँधी ने यहाँ की यात्रा के दौरान इसकी तुलना स्विट्ज़रलैंड से की थी तथा इसे भारत का स्विट्ज़रलैंड कहा था। उन्हें ये जगह इतनी पसंद आयी की उन्होंने यहाँ रूककर अपनी पुस्तक अनाशक्ति योग की रचना भी यही की थी। वो यहाँ पूरे 12 दिन तक रहे थे यहाँ से आप सूर्योदय का भी शानदार नजारा देख सकते है।
कौसानी अपने यहाँ के मंदिरो के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ के प्रमुख मंदिरो में रुद्रहरि महादेव मन्दिर, कोट भ्रामरी मंदिर, बैजनाथ मन्दिर, पिंगनाथ मंदिर आदि प्रमुख मंदिर है।
कौसानी के प्रमुख पर्यटक स्थल:
Famous Tourist Places near Kausani:
कौसानी के प्रमुख पर्यटक स्थलों में अनाशक्ति आश्रम, लक्ष्मी आश्रम, कोट ब्रह्मारी, चाय बागान, पिंडारी ग्लेशियर, पिनाकेश्वर, सोमेश्वर, रुद्रधारी झरना आदि प्रमुख है।
अनाशक्ति आश्रम: Anashakti Ashram: अनाशक्ति आश्रम कौसानी के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है इसे गाँधी आश्रम के नाम से भी जाना जाता है। जानकारी के अनुसार महात्मा गाँधी यहाँ के प्रवास के दौरान सन 1929 के आसपास 2 हफ्ते के लिए रुके थे।
यहाँ प्रवास के दौरान ही उन्होंने अपनी पुस्तक अनाशक्ति योग लिखी थी। अब यहाँ पर महात्मा गांधी से सम्बन्धित वस्तुए इस आश्रम में बने म्यूसियम के एक तरफ सुरक्षित रखी गयी है।
रुद्रधारी फाल्स: Rudradhari Falls: रुद्रधारी फाल्स यहाँ की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। यह जगह घने देवदार के पेड़ो के बीच में स्थित है वही पौराणिक कथा के अनुसार ये स्थल शिव और विष्णु भगवान का वास था। ये झरना काफी ऊंचाई से गिरता है। ट्रैकिंग के शौक़ीन लोग कौसानी से यहाँ तक 12 किमी के ट्रैक द्धारा यहाँ आसानी से पहुंच सकते है।
चाय बागान: Tea Estate: कौसानी के चाय बागान यहाँ के प्रमुख पर्यटक जगहों में से एक है। कौसानी आने वाले यात्रियो को यहाँ के चाय के बागानों की खूबसूरती को अवश्य देखना चाहिए। यहाँ की चाय में अद्भुत खुश्बू है जिस कारण यहाँ की चाय अमेरिका, फ्रांस, कोरिया तथा यूरोप जैसे देशो को निर्यात की जाती है।
बैजनाथ मन्दिर: Baijnath Temple: बैजनाथ मन्दिर कौसानी के नजदीक के मुख्य आकर्षणों में से एक है जो धार्मिक दृस्टि से कुमाऊँ की प्रमुख जगहों में से एक है। ये स्थान कई मंदिरो और धार्मिक स्थलों से भरा हुआ है। यहाँ पर उत्तराखंड का प्रसिद्ध मंदिर बैजनाथ मंदिर है जिसकी गिनती यहाँ के प्रमुख धामों में से होती है।
पहले ये स्थल कत्यूरी राजवंश की राजधानी हुआ करती थी यहाँ पर बैजनाथ मन्दिर का निर्माण 12 वी शताब्दी के आसपास हुआ था जो यहाँ के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है।
पिनाकेश्वर: Pinakeshwar: पिनाकेश्वर यहाँ का एक प्रमुख पिकनिक स्पॉट है जहाँ यात्री ट्रैकिंग कर पहुंच सकते है। यह स्थल कौसानी से 20 किमी की दूरी पर स्थित है। यह जगह हरे भरे पेड़ो तथा हरियाली से परिपूर्ण है यहाँ लोग अपने परिवार के साथ पिकनिक पर आना पसन्द करते है।
कौसानी कैसे जाये:
How to reach Kausani:कौसानी पहुँचने के लिए सबसे नजदीक का रेलवे स्टेशन काठगोदाम है तथा नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर है। जहाँ से यात्री बस या टैक्सी द्धारा यहाँ तक आसानी से पहुंच सकते है। पंतनगर से कौसानी की दूरी लगभग 162 किमी तथा काठगोदाम से कौसानी तक की दूरी 132 किमी है। कौसानी तक आप अपने प्राइवेट वाहन द्धारा आसानी से पहुंच सकते है। वही यहाँ पर लोकल की जगहों पर घूमने के लिए आपको टैक्सी आसानी से उपलब्ध हो जाएगी।
यहाँ की सड़क बड़े शहरों व राज्यों से अच्छी तरह से जुडी हुई है। यहाँ रुकने के लिए आपको अच्छे व मध्यम स्तर के होटल आसानी से मिल जायेंगे परन्तु गर्मियों के मौसम व छुट्टियों के समय यहाँ के होटल फुल रहते है जिस कारण आपको पहले से ही होटल की बुकिंग करा लेनी चाहिए।
लोहाघाट
Lohaghatलोहाघाट: Lohagat: लोहाघाट उत्तराखंड में बसा बहुत ही सुन्दर शहर है जो जिला चम्पावत के अंतर्गत आता है। लोहाघाट चारो और से देवदार के वृक्षों से ढका हुआ है। लोहाघाट चम्पावत से 13 किमी की दूरी तथा समुद्र तल से 5,500 फ़ीट की ऊंचाई पर बसा हुआ है। इस जगह का नाम चम्पावत महारानी चम्पा के नाम पर रखा गया था। ये नगर लोहावती नदी के तट पर बसा हुआ है। लोहाघाट ही यहाँ का मुख्य व्यापारिक स्थल है जहाँ से आसपास के गावो के लोग दैनिक प्रयोग के सामान की खरीददारी किया करते है।
लोहाघाट यहाँ के प्राचीन मंदिरो, किले, तथा प्राकर्तिक खूबसूरती के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। यहाँ की खूबसूरती को देखकर ही स्वामी विवेकानंद यहाँ पर कई दिनों तक रुके थे तथा यही पर उनके अंग्रेज शिष्य द्धारा सन 1899 को मायावती आश्रम की स्थापना की थी। ये आश्रम घने देवदार के पेड़ो से ढका हुआ है। यहाँ आकर यात्रियों को प्राकर्तिक सुंदरता को भी करीब से देखने का मौका मिलता है। ये स्थल योग साधना के लिए भी काफी महत्वपूर्ण जगह है।
लोहाघाट अंग्रेजो का सबसे मनपसंद स्थान था यहाँ की खूबसूरती देखकर ही उन्होंने इस स्थान पर बड़े–बड़े मकानों का निर्माण भी करवाया था। यहाँ रुकने के लिए होटल व खाने के लिए रेस्टोरेंट भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
लोहाघाट के प्रमुख पर्यटक स्थल:
Famous Tourist places in Lohaghat:
यहाँ के प्रमुख पर्यटक स्थलों में एबॉट माऊंट, अद्युत मायावती आश्रम, बाणासुर का किला, बालेश्वर धाम, श्यामलाताल, ऋषेश्वर मंदिर, हिंग्लादेवी का मंदिर, रीठा साहिब गुरुद्वारा तथा माँ वाराही धाम के लिए प्रसिद्ध है।
एबॉट माउंट: Abbott Mount: एबॉट माउंट लोहाघाट में स्थित एक खूबसूरत पर्यटक स्थल है जहाँ से नंदा देवी पर्वत, त्रिशूल पर्वत तथा नन्दाघुंघटी पर्वत की बर्फ से ढकी चोटियों को देख सकते है। वही यहाँ से सूर्य की पड़ने वाली पहली किरण बहुत ही सुन्दर दिखाई देती है।
एबॉट माऊंट लोहाघाट से 13 किमी की दूरी पर पहाड़ो पर स्थित है जो समुद्र तल से लगभग 7 हजार फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस स्थान पर एक चर्च भी है जो यहाँ पर 1930 के दौरान बनाया गया था। इस जगह का नाम एक अंग्रेज अधिकारी जॉन हेराल्ड एबॉट के नाम पर एबॉट माउंट रखा गया था।
मायावती अद्वैत आश्रम: Mayawati Advait Ashram: मायावती अद्वैत आश्रम लोहाघाट से लगभग 10 किमी की दूरी पर एक शान्त जगह पर बना हुआ है जो योग साधना के लिए एक बड़ा केंद्र है। यह स्थान चारो और से घने देवदार के जंगलो से ढका हुआ यात्रियों को अदभुत शांति प्रदान करता है। यहाँ से आप नंदा देवी, त्रिशूल पर्वत तथा नन्दाघुंघटी पर्वतो की बर्फ से ढकी हुई चोटियों की सुंदरता को काफी करीब से देख सकते है। वही यहाँ का शांत वातावरण पर्यटकों के मन को मोह लेता है। यहाँ जाकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे आप इस भीड़ भाड़ की दुनिया से अलग किसी दूसरे लोक में आ गए है।
यहाँ चारो और फुलवारी और यहाँ स्थित एक छोटी सी झील यहाँ की सुंदरता पर और भी चार चाँद लगा देती है। यहाँ की सुंदरता से प्रभावित होकर यहाँ की सुंदरता से प्रभावित होकर स्वामी विवेकानंद ने लगभग 2 हफ्ते यहाँ पर बिताई थी। वो यहाँ पर सन 1901 में आये थे इस आश्रम की स्थापना स्वामी विवेकानद के अंग्रेज शिष्य जे० एच० सेवियर ने 1899 को की थी।
बाणासुर का किला: Fort of Banasur: बाणासुर का किला जिला चम्पावत के प्रमुख आकर्षकों में से एक है जो 12 वी शताब्दी के दौरान चाँद राजाओ द्धारा बनाया गया था। इस की खूबसूरती को देख कर भारतीय पुरातात्विक विभाग द्धारा इसे इसे संगृहीत कर के रखा हुआ है तथा वो ही इस की देखरेख का कार्य करते है।
यह किला लोहाघाट से तक़रीबन 7 किमी की दूरी पर स्थित है। यहाँ से संपूर्ण लोहाघाट की मनमोहक तस्वीरें देखने को मिल जाती है। यहाँ से आप यहाँ से आप नंदा देवी, त्रिशूल पर्वत तथा नन्दाघुंघटी पर्वत तथा हिमालय की अन्य चोटियों की बर्फ से ढकी हुई चोटियों की सुंदरता को काफी करीब से देख सकते है। इस किले का निर्माण चाँद राजाओ ने अपने राज्य की सुरक्षा हेतु किया था। यहाँ से वो होने वाले संभावित आक्रमण की निगरानी किया करते थे। यहाँ से नेपाल व अन्य राज्यों से होने वाले आक्रमण की सूचना मिल जाया करती थी।
माँ वाराही Temple: Maa Varahi Temple: माँ वाराही मंदिर लोहाघाट से लगभग 45 किमी की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर देश विदेश में बहुत प्रसिद्ध है जिस कारण यहाँ पर फाफी संख्या में श्रद्धालु माँ वाराही के दर्शन हेतु यहाँ आते है। यह मंदिर देवीधुरा में स्थित है। हर साल रक्षा बंधन के समय पर यहाँ पर एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है जिसमे गांव के लोग समूह में रहकर पत्थर से एक दूसरे को मारते है। दोनों समूह के लोगो के पास बचाव हेतु लकड़ी के ढाल होते है जिससे वो इनसे पत्थरो से बचाव करते है।
कुछ समय पहले उत्तराखंड सरकार के आदेश के बाद से पत्थरो से खेलने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है क्योकि इससे काफी लोगो को ज्यादा चोट भी आ जाया करती थी अपितु अब ये खेल पत्थर की जगह पर फूलो से खेला जाने लगा है है। इसे बग्वाल का मेला कहा जाता है। ये पूरे दो दिनों तक चलता है इसमें दोनों समूह नाचते गाते इस मेले रूपी पर्व को मनाते है। माँ वाराही का मन्दिर 52 शक्ति पीठो में से भी एक माना जाता है।
बालेश्वर मन्दिर: Baleshwar Temple: बालेश्वर मन्दिर चम्पावत जिले में स्थित है जो यहाँ पर बने सबसे पुराने व कलात्मक मंदिरो में से एक है तथा वास्तुकला का एक जीवंत उदाहरण है। इस मंदिर को बनाने का श्रेय चंद वंश के राजाओ को जाता है। ये मंदिर इतना कलात्मक व सुन्दर बना हुआ है की श्रद्धालु इसे देखते ही मंत्र्मुघ्द हो जाते है।
इस मंदिर के छत पर काफी कठिन नक्काशी बनी हुई है जिसे देखकर आज कल के इंजीनियर भी आश्चर्यचकित रह जाते है। इसलिए कहा जाता है की यहाँ आने वालो को इस मंदिर के दर्शन जरूर करने चाहिए।
रीठा साहिब गुरुद्वारा: Reetha Sahib Gurudwara: रीठा साहिब गुरुद्वारा चम्पावत जिले में स्थित है जो सिखो के लिए अति महत्वपूर्ण स्थल है। यह गुरुद्वारा ड्यूरी नामक छोटे से गांव में स्थित है तथा चम्पावत से लगभग 72 किमी कि दूरी पर है। यह स्थल समुद्र तल से 7000 फ़ीट की ऊंचाई पर है। इस गुरूद्वारे को लोग रीठा-मीठा गुरूद्वारे के नाम से भी जानते है। यह गुरुद्धारा लोदिया और रतिया नमक नदी के तट पर बसा हुआ है। यहाँ बैसाखी के पर्व पर यहाँ एक विशाल मेले का आयोजन भी किया जाता है जहाँ दूर-दूर से सिख श्रद्धालु इस गुरुद्धारे के दर्शन हेतु आते है।
इस जगह की खासियत यह है की वैसे तो रीठा कड़वा होता है पर यहाँ का यह फल मीठा होता है। इसके पीछे भी एक पुरानी व रोचक कहानी है एक बार गुरु नानक देव इस स्थल पर अपने शिष्यों मरदाना व बाला के साथ आये हुए थे यही उनकी बात बाबा गोरखनाथ के शिष्य ढ़ेरनाथ से चल रही थी इसी बीच उनके शिष्य मरदाना को भूख लग आयी तो उसने अपने गुरु देव नानक साहब से खाने को माँगा। तब नानक देव ने उन्हें रीठा के पेड़ से रीठा खाने के लिए कहा।
गुरु की बात सुन मरदाना को बहुत आश्चर्य हुआ क्योकि रीठा तो खाने में बहुत कड़वा होता है फिर भी गुरु जी की बात मानकर वो खाने के लिए रीठा तोड़ कर ले आये और उसे खाने लगे परन्तु नानक साहिब तो दिव्य पुरुष थे उनकी दिव्य दृष्टि पड़ते ही रीठा का वो फल मीठा हो गया तभी से इस स्थान का नाम रीठा-मीठा साहिब पड़ गया। लोग यहाँ पर आने पर इस गुरूद्वारे के साथ साथ ढ़ेरनाथ के मंदिर के दर्शन कर अपनी मनोकामना की पूर्ति की दुआ मांगते है।
श्यामलाताल: Shyamalatal: श्यामलाताल झील चारो और घने जंगलो के बीच बसी हुई एक प्राकर्तिक झील है जिसे छोटा नैनी झील भी कहा जाता है। यह एक शानदार जगह है जहाँ पास में ही गेस्ट हाउस, विवेकानंद आश्रम आदि मौजूद है। इस झील में आप नौका विहार का आनंद भी ले सकते है। यह झील चम्पावत जाने के रास्ते पर सूखीढांग से कुछ पहले पड़ती है। यहाँ आकर यात्री रास्ते की सारी थकान भूल जाता है तथा प्रकर्ति का शानदार नजारा देख सकते है।
अभी कुछ समय से इस ताल के आस पास का क्षेत्र बदहाल हालत में पहुंच चुका था परन्तु अब कुछ समय से यहाँ के लोगो व प्रशासन के सहयोग यहाँ की व्यवस्थाएं फिर से दुरुस्त करने का कार्य किया जा रहा है।
लोहाघाट कैसे पहुंचे:
How to rech Lohaghat:लोहाघाट पहुँचने के लिए सबसे नजदीक का रेलवे स्टेशन टनकपुर है तथा नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर है जहाँ से यात्री बस या टैक्सी द्धारा यहाँ तक आसानी से पहुंच सकते है। पंतनगर से लोहाघाट की दूरी लगभग 160 किमी तथा टनकपुर से लोहाघाट तक की दूरी 60 किमी है। लोहाघाट तक आप अपने प्राइवेट वाहन द्धारा आसानी से पहुंच सकते है। वही यहाँ पर लोकल की जगहों पर घूमने के लिए आपको टैक्सी आसानी से उपलब्ध हो जाएगी
यहाँ की सड़क बड़े शहरों व राज्यों से अच्छी तरह से जुडी हुई है। यहाँ रुकने के लिए आपको अच्छे व मध्यम स्तर के होटल आसानी से मिल जायेंगे परन्तु गर्मियों के मौसम व छुट्टियों के समय यहाँ के होटल फुल रहते है जिस कारण आपको पहले से ही होटल की बुकिंग करा लेनी चाहिए।
भवाली
Bhowali
भवाली उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित एक छोटा परन्तु बहुत ही खूबसूरत पर्यटक और धार्मिक स्थल है। यह स्थान अपने यहाँ की स्वच्छ जलवायु के लिए जाना जाता है जो चीड़, बुरांस, वाँस व् किस्म-किस्म के फलो के लिए भी पूरे भारत वर्ष में प्रसिद्ध है। यह स्थान चारो और से बड़े-बड़े व विशाल पर्वतो से घिरा हुआ है तथा इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 1,680 मीटर है।
यहाँ से ही नैनीताल, अल्मोड़ा, भीमताल, सातताल, रामगढ, मुक्तेश्वर तथा रानीखेत के लिए अलग-अलग रास्ता कट जाता है। भवाली के चारो और आपको हरियाली ही हरियाली नजर आती है जिस कारण ये जगह पर्यटको को भी बहुत आकर्षित करती है। यहाँ की जलवायु अलग अलग प्रकार के रोगियों के लिए भी बहुत उपयुक्त है खास तौर पर टी०बी० के रोगियों के लिए यहाँ मौजूद चीड़ के पेड़ बहुत लाभप्रद माने जाते है।
ये जगह चीड़ के पेड़ो का घर मानी जाती है वही यहाँ पर आड़ू, खुमानी, पुलम, सेब, आलूबुखारे, काफल व अन्य प्रकार के फलो का भी बहुत अधिक मात्रा में उत्पादन होता है जिस कारण भवाली को फलो की महत्वपूर्ण मंडी भी माना जाता है। यहाँ बहुत मात्रा में बुरांस के पेड़ भी लगे हुए है जिसका जूस स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभप्रद माना जाता है।
यहाँ आकर आप प्रकर्ति की खूबसूरती, ठंडी हवाएं तथा दूर दूर तक फैले विशाल पर्वत यहाँ आने वाले यात्रिओ को मंत्र्मुघ्द कर देते है। शान्ति और एकांत चाहने वाले लोगो के लिए भी ये जगह किसी स्वर्ग से काम नहीं है।
यहाँ का मौसम साल भर खुशनुमा रहता है जो यात्रियों को किसी स्वर्ग से कम महसूस नहीं होता है।
भवाली के प्रमुख पर्यटक स्थल:
Famous tourist places near Bhowali:भवाली अपनी खूबसूरती के कारण देश विदेश में प्रसिद्ध है जिस कारण यहाँ हजारो, लाखो प्रकर्ति प्रेमी प्रतिवर्ष यहाँ आते है। यहाँ कई खूबसूरत जगह है जहाँ पर यहाँ आये हुए यात्री जाये बिना नहीं रह पाते है। यहाँ के प्रमुख पर्यटक स्थलों में विश्व प्रसिद्ध कैंची धाम मन्दिर, श्यामखेत टी गार्डन, रामगढ, सातताल, फोल्क कल्चर संग्रहालय, ऑरबिंदो आश्रम आदि कई अन्य जगहे है जहाँ पर आप जाकर प्रकर्ति को नजदीक से देख उसका पूरा लुत्फ़ उठा सकते है।
कैंची धाम मन्दिर: Kainchi Dham Temple: कैंची धाम मंदिर को धाम की तरह ही माना जाता है जहाँ के ज्यादातर शिष्य भारतीय व अमेरिकन ही है। यह स्थल भवाली से 17 किमी की दूरी पर स्थित है जो नीब करोरी बाबा मंदिर और आश्रम के लिए प्रसिद्ध है। नीब करोरी बाबा के बहुत से शिष्य विदेशी भी है जिसमे एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स व मार्क ज़ुकेरबर्ग भी बाबा की शक्तियों को जानते हुए यहाँ आ चुके है वही स्टीव जॉब्स ने बाबा द्धारा दिए प्रसाद रूपी फल सेब के नाम पर ही अपनी कंपनी का नाम भी एप्पल रखा था।
यहाँ हर साल एक विशाल मेले व् भंडारे का आयोजन किया जाता है जिस में सम्मलित होने देश विदेश से श्रद्धालु कैंची धाम पहुंचते है। यहाँ के शांत वातावरण में आकर उनको शांति व आद्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है।
श्यामखेत टी गार्डन: Shyamkhet Tea Garden: श्यामखेत टी गार्डन भवाली में प्रमुख देखने लायक जगहों में से एक है। ये चाय का बागान अपने ऊंची नीची जगह पर लगी सुगन्धित पत्तियों के कारण पर्यटको को अपनी और आकर्षित करता है। यहाँ की चाय की पत्तियों का विदेशो तक को निर्यात किया जाता है। ये टी गार्डन गोलू देवता के मंदिर के बिल्कुल निकट पर स्थित है।
रामगढ: Ramgarh: रामगढ ऊंची चोटी पर बसा एक छोटा सा सुन्दर गांव है जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 1789 मीटर की है। इसे कुमाऊँ का फल का कटोरा के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ पर तरह तरह के फल जैसे आड़ू, पुलम, सेब, आलू बुखारा, खुबानी जैसे रसीले और स्वास्थ्य के लिए फलदायक फलो का उत्पादन होता है जो कई अन्य राज्यों को निर्यात भी किये जाते है। यहाँ से आप बर्फ से ढकी हिमालय की ऊंची ऊंची चोटियों को देखने कभी आनंद ले सकते है।
सत्तल: Sattal: सत्तल भवाली के पास पिकनिक बनाने के लिए जाना जाता है यहाँ आप अपने परिवार के साथ पिकनिक पर जाने का लुत्फ़ उठा सकते है। यहाँ आप प्रकर्ति के हर पल बदलते रंगो को साफ़ देख सकते है।
यहाँ पर सत्तल नाम की झील भी है जिस पर आप बोटिंग का भी आनंद ले सकते है। ये ताल सात झीलों का एक समूह है तथा सभी झीलों को मिलाकर इसे सत्ताल के नाम से जाना जाता है। सात झीलों के क्रमशः राम, लक्ष्मण, भारत, सीता, सुख्खा व पन्ना झील के नाम से जाना जाता है।
यहाँ पर आपको तरह-तरह के रंग बिरंगे पक्षियों को देखने का मौका भी मिलता है जों देखने में बहुत ही खूबसूरत दिखाई देते है वही प्रकर्ति में चारो और बिखरे रंग को भी करीब से देखा जाया जा सकता है। यह स्थल समुद्र तल से लगभग 1370 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
फोक कल्चर संग्रहालय: Folk Culture Musium: फोक कल्चर संग्रहालय में आप यहाँ की प्राचीन सभ्यता को और उस दौरान घटी घटनाओ को फोटो के माध्यम से देख सकते है। इस म्युसियम का निर्माण 1983 को डॉ यशोधर मठपाल द्धारा कराया गया था। ये संग्रहालय भीमताल में स्थित है। परन्तु ये एक निजी संग्रहालय है जिसे लोक संस्कृतिक संग्रहालय के नाम से भी जाना जाता है।
अरबिंदो आश्रम: Arbindo Ashram: अरबिंदो आश्रम यहाँ पर एक शांत व घने जंगलो के बीच में बना हुआ है जहाँ आकर आप शान्ति और योग का आनंद ले सकते है। यहाँ का सुन्दर तथा प्राकर्तिक माहौल यहाँ आने वालो को मन्त्रमुघ्द कर देता है जिस कारण श्रद्धालु यहाँ पर बार बार आने की कोशिश करते है। यहाँ आकर व्यक्ति स्वयं को तरोताजा महसूस करता है चाहे तो यात्री यहाँ पर ठहर कर आराम भी कर सकते है।
भवाली कैसे पहुंचे:
How to rech Bhowali:भवाली पहुँचने के लिए सबसे नजदीक का रेलवे स्टेशन काठगोदाम है तथा नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर है जहाँ से यात्री बस या टैक्सी द्धारा यहाँ तक आसानी से पहुंच सकते है। पंतनगर से भवाली की दूरी लगभग 63 किमी तथा काठगोदाम से भवाली तक की दूरी 29 किमी है। भवाली तक आप अपने प्राइवेट वाहन द्धारा आसानी से पहुंच सकते है। वही यहाँ पर लोकल की जगहों पर घूमने के लिए आपको टैक्सी आसानी से उपलब्ध हो जाएगी
यहाँ की सड़क बड़े शहरों व राज्यों से अच्छी तरह से जुडी हुई है। यहाँ रुकने के लिए आपको अच्छे व मध्यम स्तर के होटल आसानी से मिल जायेंगे परन्तु गर्मियों के मौसम व छुट्टियों के समय यहाँ के होटल फुल रहते है जिस कारण आपको पहले से ही होटल की बुकिंग करा लेनी चाहिए।
बिन्सर
Binsar
बिन्सर समुद्र तल से 2,412 मीटर की उचाई पर बसा एक बहुत ही खूबसूरत स्थल है। यहाँ से आप हिमालय की पर्वत चोटियों की लगभग 300 किमी लम्बी पर्वत श्रंखला देख सकते है जों यहाँ की सबसे बड़ी खूबसूरती है। बिन्सर अल्मोड़ा से लगभग 33 किमी की दूरी पर स्थित है। गढ़वाली में बिन्सर का अर्थ नव प्रभात से होता है अर्थात नया सवेरा यहाँ प्रातः काल की पहली किरण पर्यटको के मन को मोह लेती है।
यह पहले 11 वी शताब्दी से 18 वी शताब्दी तक चंद राजाओ की राजधानी हुआ करती थी परन्तु अब इसे बिन्सर वन्य जीव पार्क बना दिया गया है। यहाँ आपको तरह तरह के जंगली जानवर जैसे तेंदुआ, चीतल, हिरण, भालू, लोमड़ी, कस्तूरी हिरन, कठफोड़वा, मोनाल जैसे लगभग 200 जीव–जंतु आसानी से देखने को मिल जायेंगे।
बिन्सर वन्य जीव पार्क में कई जीव–जन्तुवो, वनस्पतियो तथा वन्य जीव की कई प्रजातियों का संरक्षण किया जाता है। यह पार्क लगभग 50 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है तथा प्रकर्ति प्रेमियों के लिए घूमने के लिए उपयुक्त जगह है।
ये स्थल घने देवदार के वृक्षों से भरा हुआ है तथा घने जंगलो के बीच से ही आप शिखर पर पहुँच सकते है। यहाँ शिखर पर पहुंचने पर आपको केदारनाथ, चौखम्बा, नंदाकोट, पंचोली, त्रिशूल की बर्फ से ढकी चोटियों को देखने को मिल जायेगा बिन्सर झांडी धार की पहाड़ियों पर स्थित है इस कारण यहाँ के पहाड़ झांडी धार के नाम से जाने जाते है।
यह स्थल अपने शांत वातावरण के लिए भी देश दुनिया में जाना जाता है। ये जगह भीड़ भाड़ वाली जगह से हटकर है इस कारण शांति को पसंद करने वालो व ट्रैकिंग के शौक़ीन लोगो के लिए ये स्थल पसंदीदा जगह बन चुकी है। धीरे धीरे इस स्थान पर आने वालो की भीड़ भड़ती जा रही है।
यहाँ पर बिन्सर महादेव का एक प्राचीन मंदिर भी बना हुआ है जिसे राजा कल्याण चंद्र ने 16 वी शताब्दी के आसपास बनवाया था। ये मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती की स्थली मानी जाती है तथा उन्ही को अर्पित है। वही इसके गर्भ गृह में गणेश, महेशमर्दिनी और हरगौरी की मुर्तिया स्थापित है।
इस मंदिर को राजा पीथू ने अपने पिता राजा बिंदु की याद में बनवाया था जिस कारण इसे बिन्देश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। ये मंदिर घने देवदार के जंगलो के बीच स्थित है। यहाँ आकर श्रद्धालुओं को अद्भुत शांति का अनुभव होता है। इस मंदिर में प्रति वर्ष एक विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है। इस समय वहाँ के मुख्य पंडित व पुजारी बाबा मोहनगिरी जी महाराज है उन्ही के द्धारा यहाँ पर भण्डारे का आयोजन किया जाता है जहा दूर दूर से श्रद्धालु पूजा अर्चना व भण्डारे के प्रसाद ग्रहण करने हेतु आते है।
यहाँ की सबसे अच्छी बात ये है की आप यहाँ पर साल के किसी भी मौसम में आ सकते है। यहाँ पर पूरे साल हर मौसम खुशनुमा बना रहता है परन्तु अक्टूबर से मार्च के महीने में यहाँ की बात ही अलग होती है। उस समय यहाँ का पूरा मौसम रंगीन बना रहता है तथा चारो और हरा भरा दिखाई देता है।
बिन्सर के प्रमुख पर्यटक स्थल:
Famous Tourist places near Binsar:
बिन्सर के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से बिन्सर जीरो पॉइंट, बिन्सर वन्य जीव अभयारण्य, मैरी बुडें एस्टेट, बिन्सर महादेव मन्दिर आदि प्रसिद्ध है।
बिन्सर जीरो पॉइंट: Binsar Jero Point: बिन्सर जीरो पॉइंट पर देवदार के घने जंगलो के बीच से ट्रैकिंग कर के जा सकते है। यहाँ से आप 300 किमी लम्बी हिमालय की लम्बी व् विशाल चोटियों को आसानी से देख सकते है। यहाँ से आप नंदा कोट, केदारनाथ, त्रिशूल, नंदा देवी, शिवलिंग की बर्फ पड़ी चोटियों को देख सकते है वही यहाँ से आप संपूर्ण कुमाऊँ की खूबसूरती को भी निहार सकते है।
बिन्सर वन्य जीव अभयारण्य: Binsar Wildlife Centuary: बिन्सर वन्य जीव अभयारण्य लगभग 50 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसी परिसर में शून्य बिंदु है यहाँ पर आप जैसे तेंदुआ, चीतल, हिरण, भालू, लोमड़ी, कस्तूरी हिरन, कठफोड़वा, मोनाल जैसे लगभग 200 जीव जन्तुओ को आसानी से देखने को मिल जायेंगे। बिन्सर वन्य जीव पार्क में कई जीव-जन्तुवो, वनस्पतियो तथा वन्य जीव की कई प्रजातियों का संरक्षण किया जाता है। यह पार्क लगभग 50 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है तथा प्रकर्ति प्रेमियों के लिए घूमने के लिए उपयुक्त जगह है।
बिन्सर महादेव मन्दिर: Binsar Mahadev Temple: बिन्सर महादेव मंदिर यहाँ के प्रमुख पर्यटक व धार्मिक स्थल में से एक है। ये मंदिर भगवन शिव और माँ पार्वती को समर्पित है। ये मंदिर एक शांत जगह व देवदार के घने जंगलो के बीच में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण राजा पीथू ने अपने पिता राजा बिंदु की याद में करवाया था। यहाँ पर प्रति वर्ष एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है जहाँ दूर-दूर से श्रद्धालु आते है।
रानीखेत: Ranikhet: रानीखेत एक छोटा परन्तु खूबसूरत हिल स्टेशन है जो जिला अल्मोड़ा में स्थित है। यह एक बहुत खूबसूरत पर्यटक स्थल है जो देवदार व चीड़ के पेड़ो से भरा हुआ है। रानीखेत की ऊंचाई समुद्र तल से 1824 मीटर है। यहाँ जाना प्रकर्ति प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है।
यह स्थल शहरी भीड़ भाड़ से दूर एकांत में बसा हुआ एक पर्यटक स्थल है जहाँ से आप हिमालय की चोटियों को स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है। ये स्थल अपने यहाँ बसे प्राचीन मंदिरो, सुन्दर व साफ रास्तो तथा सुन्दर घाटियों के लिए प्रसिद्ध है। इस जगह पर भारतीय सेना के कुमाऊँ रेजिमेंट का मुख्यालय भी स्थित है जहाँ एक पुरातन संग्रहालय भी मौजूद है जिस पर युद्ध समय के हथियार, फोटो तथा वहाँ की भव्यता को बहुत ही खूबसूरत तौर पर प्रदर्शित किया गया है।
बिन्सर कैसे जाये
How to go Binsar
बिन्सर पहुँचने के लिए सबसे नजदीक का रेलवे स्टेशन काठगोदाम है तथा नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर है जहाँ से यात्री बस या टैक्सी द्धारा यहाँ तक आसानी से पहुंच सकते है। पंतनगर से बिन्सर की दूरी लगभग 152 किमी तथा काठगोदाम से बिन्सर तक की दूरी 120 किमी है। बिन्सर तक आप अपने प्राइवेट वाहन द्धारा आसानी से पहुंच सकते है। वही यहाँ पर लोकल की जगहों पर घूमने के लिए आपको टैक्सी आसानी से उपलब्ध हो जाएगी।
यहाँ की सड़क बड़े शहरों व राज्यों से अच्छी तरह से जुडी हुई है। दिल्ली से बिन्सर तक की दूरी 390 किमी है यहाँ रुकने के लिए आपको अच्छे व मध्यम स्तर के होटल आसानी से मिल जायेंगे परन्तु गर्मियों के मौसम व छुट्टियों के समय यहाँ के होटल फुल रहते है जिस कारण आपको पहले से ही होटल की बुकिंग करा लेनी चाहिए।
धारचूला
Dharchula
धारचूला गांव उत्तराखंड के जनपद पिथौरागढ़ में आता है। यह एक तहसील है जो खूबसूरती में कश्मीर से किसी भी तरह से कम नहीं है। यह एक अंतराष्ट्रीय सीमावर्ती तहसील है जिसकी सीमा एक तरफ से नेपाल व दूसरी तरफ से चीन से मिली हुई है यही इसके एक और मुंसियारी तहसील तथा दूसरी और तहसील डीडीहाट पड़ती है।
धारचूला दो शब्दों से मिलकर बना है धार और चूला जिसमे से धार का अर्थ चोटी से है तथा चूला का मतलब स्टोव से है। देखने में धारचूला स्टोव की आकर्ति जैसा प्रतीत होता है। ये जगह शहरों की भीड़भाड़ से दूर एक शांत स्थल है जहाँ पर पर्यटक शांति की तलाश में दूर दूर से आते है। यहाँ की खूबसूरती ऐसी है की यहाँ आये लोगो का यहाँ से जाने का मन ही नहीं होता। सर्दियों में यहाँ पर बहुत अधिक मात्रा में बर्फ गिरती है जिस कारण ये जगह किसी स्वर्ग से कम प्रतीत नहीं होती। यहाँ चारो तरफ की हरियाली व बड़े बड़े व विशाल बर्फ पड़े हुए पर्वत पर्यटको का मन मोह लेते है।
यहाँ से ॐ पर्वत तथा आदि कैलाश पर्वत का सुन्दर नजारा दिखाई देता है वही इस जगह पर स्थित काली नदी में लोग राफ्टिंग का भी आनंद ले सकते है। यही पास में ही मानसरोवर झील है जो हिन्दुवो के लिए एक पावन स्थान है जहाँ पर स्नान करने से मनुष्य के सारे पाप धूल जाते है। यही से ही सिंधु, ब्रह्मपुत्र, सतलज व करनाली नदी का उदय होता है। वही यहाँ पर कई सारे झरने भी बहते हुए दिखाई पड़ जायेंगे।
धारचूला के पास के प्रमुख पर्यटक स्थल:
Popular tourist places near Dharchula:
धारचूला के प्रमुख पर्यटक स्थलों में चिरकिला बाँध, नारायण आश्रम, ॐ पर्वत, मानसरोवर लेक, अस्कोट सेन्चुरी आदि प्रमुख स्थल है जहाँ पर पर्यटक आकर शान्ति व प्राकर्तिक सुंदरता का आनंद ले सकता है। वही यहाँ के स्थल धार्मिक रूप से भी काफी महत्वपूर्ण है यहाँ पर मानसरोवर झील और नर नारायण आश्रम स्थित है जो हिन्दुवो के लिए प्रमुख धार्मिक पर्यटक तीर्थ स्थल है।
चिरकिला बाँध: Chirkila Dam: चिरकिला बाँध काली नदी के ऊपर बना हुआ है जो धारचूला से लगभग 20 किमी की दूरी पर स्थित है। यही इस बाँध के निकट ही एक झील भी बनी हुई है जो इस बाँध को आपस में जोड़ती है वही यहाँ पर लोग पिकनिक बनाने के लिए आते है। ये यहाँ का प्रमुख पिकनिक स्पॉट है वही ये बाँध 1500 किलो वाट की बिजली उत्पन्न करता है जिससे आसपास के गावो को बिजली प्रदान की जाती है।
मानसरोवर झील: Mansarover Lake: मानसरोवर झील एक प्राकर्तिक झील है। ये एक साफ़ पानी की झील है जो हिन्दुओं के लिए एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह झील बौद्ध धर्म को मानने वालो के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। मान्यता के अनुसार इस झील में स्नान करने से मनुष्य के सारे पाप स्वतः ही धूल जाते है। इसमें आसपास के बर्फ से ढके पर्वतो की आकर्ति स्पष्ट दिखाई पड़ती है।
ये झील कैलाश मानसरोवर यात्रा को जाने के रास्ते पर पड़ती है इसे क्षीर सागर के नाम से भी है। यहाँ से कैलाश मानसरोवर पर्वत की दूरी लगभग 40 किमी है। मान्यता के अनुसार इसी झील पर विष्णु भगवान व माँ लक्ष्मी क्षीर शैया पर लेटे हुए पूरी दुनिया का संचालन कर रहे है।
एस्कोट सेंचुरी: Ascot Centuary: एस्कोट सेंचुरी समुद्र तल से 5,412 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है जो घने जंगलो, वनस्पतियो और तरह तरह के जंगली जीवो से भरा हुआ है। इस अभयारण्य का निर्माण सन 1986 में किया गया था। इस पार्क में आपको कई जंगली जीव जैसे हिरन, बंगाल टाइगर, गोराल, काले भालू, बर्फीले हिमालयी तेंदुवा व कई अन्य प्रकार जंगली जानवर देखने को मिल जायेंगे। ये पार्क पिथौरागढ़ से 54 किमी की दूरी पर स्थित है। ये पार्क लगभग 600 स्क्वायर किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है जो नेपाल और भारत के बीच में काली नदी के रूप में सीमा बनाती है। वही धार्मिक स्थल के रूप में भनार, चिपलकोट, निरिकोट भी इसी पार्क की सीमा के अंतर्गत आते है।
नारायण आश्रम: Narayan Ashram: नारायण आश्रम का निर्माण सन 1936 में किया गया था जिसे नारायण स्वामी द्धारा बनाया गया था। यह आश्रम धारचूला से 44 किमी तथा पिथौरागढ़ से 44 किमी की दूरी पर स्थित है जो समुद्र तल से 2734 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह आश्रम सोसा नामक स्थान पर स्थित है। यह आश्रम सर्दियों में भारी बर्फ़बारी के कारण बंद रहता है।
ये आश्रम कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान पड़ने वाला मुख्य गंतव्य है। यहाँ से आप हिमालय की खूबसूरती को नजदीक से देख सकते है। यहाँ से कुछ ही दूरी पर तवाघाट में धौली गंगा और कालीगंगा नदी की संगम स्थली है। यहाँ पर हर साल हजारो भारतीय व विदेशी लोग यहाँ आते है व यहाँ आकर अद्भुत शांति महसूस करते है। यह पहले कैलाश मानसरोवर यात्रा का अहम् पड़ाव था परन्तु बाद में इस यात्रा का मार्ग बदलने के कारण इस स्थान पर लोग कम आने लगे।
ॐ पर्वत: Om Parvat: ॐ पर्वत को छोटा कैलाश भी कहा जाता है जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 6,191 मीटर है। ॐ पर्वत पर बर्फ पड़ने से इस पर्वत पर ॐ की आकर्ति बनती है इस कारण से इसे ॐ पर्वत कहा जाता है। यहाँ जाने के लिए लोग ट्रैकिंग के द्धारा भी जाते है। मान्यता के अनुसार कभी इस पर्वत पर भगवान शिव का अस्तित्व रहा होगा। हिन्दू ग्रंथो के अनुसार माना जाता है की हिमालय पर्वत पर कुल 8 जगह ॐ की आकर्ति बनती है परन्तु अब तक इस ही जगह की खोज हो पाई है जहाँ पर ॐ की आकर्ति बनती है। यहाँ पर बर्फ गिरने से ॐ की ध्वनि प्रकट होती है। यह स्थल हिन्दू के साथ साथ बौद्ध और जैन धर्म के लोगो के बीच समान मान्यता है।
कैलाश मानसरोवर यात्री धारचूला से जाने पर इस पर्वत को रास्ते में देख सकते है। इस पर्वत को भगवान और माँ शिव का घर माना जाता है। यहाँ पहले देवता, दानवो, ऋषि मुनियो तथा योगियों द्धारा तप किया जाता रहा है। इस पर्वत पर कई पर्वतरोहिणियो द्धारा जाया जा चूका है परन्तु वो इससे कुछ दुरी पर ही जाकर रुक जाते है।
धारचूला कैसे जाये:
How to reach Dharchula
धारचूला पहुँचने के लिए सबसे नजदीक का रेलवे स्टेशन टनकपुर है तथा नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर है जहाँ से यात्री बस या टैक्सी द्धारा यहाँ तक आसानी से पहुंच सकते है। पंतनगर से धारचूला की दूरी लगभग 317 किमी तथा टनकपुर से धारचूला तक की दूरी 218 किमी है। धारचूला तक आप अपने प्राइवेट वाहन द्धारा आसानी से पहुंच सकते है। वही यहाँ पर लोकल की जगहों पर घूमने के लिए आपको टैक्सी आसानी से उपलब्ध हो जाएगी यहाँ की सड़क बड़े शहरों व राज्यों से अच्छी तरह से जुडी हुई है।
रामगढ
Ramgarh
रामगढ उत्तराखंड में बसा हुआ एक छोटा सा पर्यटक स्थल है जो शहरों की भीड़ भाड़ घूमने व समय बिताने के लिए एक आदर्श जगह है। लोग अभी इसके बारे मेँ ज्यादा नहीं जानते है। रामगढ नैनीताल से 24 किमी की दूरी पर बसा हुआ एक शानदार गांव है जो अपने प्राकर्तिक द्रश्यो, हरे भरे जंगलो, दूर तक फैले पहाड़ो व फलो के लिए प्रसिद्ध है। इसे कुमाऊँ में फलो का टोकरा के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ पर लगने वाले फलो में खुबानी, आड़ू, पुलम तथा कई किस्म के सेब के उत्पादन के लिए जाना जाता है। यहाँ के फल बहुत स्वादिस्ट होते है तथा इनका निर्यात विदेशो तक को किया जाता है। भोवाली और रामगढ क्षेत्र में कुमाऊँ में सबसे ज्यादा फलो का उत्पादन किया जाता है।
वही ये क्षेत्र प्राकर्तिक सुन्दरता से भरा हुआ है। यहाँ पर देश विदेश के कई जगहों से पक्षियों का आना जाना लगा रहता है इस कारण प्रकर्ति प्रेमियों को ये स्थल बहुत रास आता है। अपने यहाँ चारो तरफ फैली शांति के कारण ये स्थान इतिहासकारो, लेखकों तथा कहानीकारों को बहुत पसंद आता है, इस कारण इस स्थान पर इतिहासकारो का भी आना जाना लगा रहता है। ये लोग यहाँ पर शांति की तलाश में यहाँ आते है जिस कारण ये अपनी पुस्तकों को शांति में बैठकर लिख पाए।
यहाँ की सुंदरता को देखकर यहाँ पर भारत देश के कई मुख्य लोगो द्धारा अपने निवास स्थान भी बनाये गए है। यहाँ पर घर बनाने वालो में स्वर्गीय इन्द्र कुमार गुजराल, कबीर खान और मिनी माथुर द्धारा यहाँ पर अपना सुन्दर आशियाना बनाया गया है। वही रविंद्र नाथ टैगोर को यह जगह बहुत पसंद थी। वो इस जगह पर कई बार आये वही उनके द्धारा यहाँ पर अपनी कई कलाकृतियों की रचना की गई है। रविंद्र नाथ टैगोर यहाँ पहाड़ के ऊपर बने बंगले में कई दिन तक रहे थे। यहाँ से हिमालय की पर्वत चोटियों का विहंगम दृस्य देखने को मिलता है तब इस बंगले का नाम भी रविंद्र नाथ टैगोर के नाम पर टैगोर बंगला पड़ गया।
पंडित जवाहर लाल नेहरू तथा महान कवि महादेवी वर्मा को भी ये जगह बहुत पसंद थी। महादेवी वर्मा जी तो गर्मियों में इसी स्थान पर आया करते थे और उन्होंने अपने लिए यही पर एक घर भी बनवा लिया था परन्तु अपने वही अपने जीवन के अंतिम दिनों में यहाँ न आ पाने के कारण उन्होंने ये बंगला बेच दिया था। परन्तु आज भी रामगढ- मुक्तेश्वर मोटर मार्ग पर पहाड़ो में जंगलो के बीच ये बंगला आज भी दिखाई देता है। वही आचार्य नरेन्द्रदेव जी द्धारा भी अपनी पुस्तक बौद्ध दर्शन को अंतिम रूप यही बैठकर दिया था।
हिन्दुओं के साथ साथ ब्रिटिश अफसरों को भी ये जगह बहुत प्रिय थी। उन्होंने यहाँ पर कई बंगलो का निर्माण करवाया था जो आज भी यहाँ मौजूद है। यहाँ पर अंग्रेजो द्धारा अपनी छावनी का निर्माण भी करवाया गया था जिसके अंश आज भी यहाँ मौजूद है।
रामगढ कैसे जाये
How to reach Ramgarh
रामगढ पहुँचने के लिए सबसे नजदीक का रेलवे स्टेशन काठगोदाम है तथा नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर है जहाँ से यात्री बस या टैक्सी द्धारा यहाँ तक आसानी से पहुंच सकते है। पंतनगर से रामगढ की दूरी लगभग 86 किमी तथा काठगोदाम से रामगढ तक की दूरी 27 किमी है। बिन्सर तक आप अपने प्राइवेट वाहन द्धारा आसानी से पहुंच सकते है। वही यहाँ पर लोकल की जगहों पर घूमने के लिए आपको टैक्सी आसानी से उपलब्ध हो जाएगी यहाँ की सड़क बड़े शहरों व राज्यों से अच्छी तरह से जुडी हुई है।
मुनस्यारी
Musiyari
मुनस्यारी उत्तराखंड का एक छोटा सा सीमान्त क्षेत्र है जो अपनी खूबसूरती के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यह छोटा से सीमान्त क्षेत्र जिला पिथौरागढ़ में स्थित है तथा चारो और से विशाल पर्वतो और बुग्यालों से घिरा हुआ है। मुनस्यारी जोहार घाटी के मुख पर बसा हुआ है। यहाँ की खूबसूरती देख देश-विदेश से प्रति वर्ष हजारो-लाखो लोग मुनस्यारी आते है तथा यहाँ प्रकर्ति में फैले रंग को करीब से महसूस करते है।
मुनस्यारी तीन और से विदेशो से लगी सीमा से जुड़ा हुआ है इसके एक तरफ चीन तथा दूसरी तथा तीसरी तरफ तिब्बत तथा नेपाल आता है जिस कारण सामरिक दृस्टि से भी ये स्थल काफी महत्वपूर्ण है। मुनस्यारी की समुद्र तल से ऊंचाई 2,300 मीटर है जिसका अधिकांश भाग ज्यादातर समय बर्फ से ढका हुआ रहता है इसी कारण से मुनस्यारी को भारत का छोटा कश्मीर कहकर भी जाना जाता है।
मुंसियारी के सामने ही विशाल पंचाचूली पर्वत है जो अपनी पांच चोटियों के लिए प्रसिद्ध है जहाँ पर पांडवो ने स्वर्ग की यात्रा के दौरान अंतिम बार भोजन बनाया था तथा इसी रास्ते से स्वर्ग के लिए निकले थे। इसके बायीं तरफ नंदा देवी तथा त्रिशूल पर्वत, दायी तरफ सुन्दर डानाधार तथा पीछे की और खलिया टॉप है। डानाधार एक बहुत ही खूबसूरत पिकनिक स्पॉट है जहाँ आप अपने परिवार के साथ पिकनिक पर जाने का लुत्फ़ उठा सकते है। यहाँ की खूबसूरती आपको रोमांचित कर देगी।
यहाँ पर कई देशी विदेशी लोग साहसिक खेलो के लिए भी आते है। यहाँ पर राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग, तथा ट्रैकिंग को पसंद करने वाले हर साल यहाँ होने वाले खेलो में सम्मलित होते है तथा इन खेलो का आनंद लेते है।
मुनस्यारी से कई ट्रैक्स के लिए भी रास्ता शुरू होता है। यही से नामिक ग्लेशियर, मिलम ग्लेशियर, रालम ग्लेशियर, पंचाचूली चोटी तथा नंदादेवी चोटियों पर जाने के लिए रास्ता जाता है। वही यहाँ पर आप कई तरह तरह के पक्षियों तथा बुग्यालों की सुन्दरता को भी देख सकते है। यहाँ आने पर आपको ऐसा महसूस होगा जैसे आप कही जन्नत की सैर पर निकले है।
मुनस्यारी को प्रसिद्ध करने का श्रेय सबसे पहले एक बंगाली व्यक्ति मजूमदार बाबू व् एक न्यूज़ीलैण्ड की महिला मार्केल क्लार्क को जाता है जिन्होंने यहाँ आकर यहाँ की खूबसूरती महसूस की तथा इस जगह का प्रचार प्रसार किया।
मुनस्यारी के प्रमुख पर्यटक स्थल:
Famous Tourist Places near Munsiyari
मुनस्यारी के प्रमुख पर्यटक स्थलों में बिर्थी जलप्रपात, कालामुनि टॉप, महेश्वरी कुण्ड, थमरी कुण्ड, मेड़कोट तथा खलिया टॉप प्रमुख स्थल है जहाँ जाकर मनुष्य अपनी सारी थकान भूल जाती है। यहाँ जाकर आपको ऐसा प्रतीत होता है जैसे आप किसी स्वर्ग की यात्रा पर निकले हो जहाँ आपको सामने ही विशाल पर्वत चोटियाँ, विशाल हिमालय पर्वत अपनी आँखो के नजदीक दिखाई देता है।
बिर्थी जलप्रपात: Birthi Jalprapat: बिर्थी जलप्रपात आपको थल से मुनस्यारी की तरफ जाने के रास्ते में दिखाई पड़ता है जो उत्तराखंड में स्थित इतनी ऊंचाई से गिरने वाला सबसे मुख्य जलप्रपात है। यह झरना खलिया टॉप की और से आता है तथा 126 मीटर नीचे जमीन पर आकर गिरता है। यह जलप्रपात मुनस्यारी मुख्य शहर से 35 किमी की दूरी पर स्थित है यहाँ पर आकर आपको अपार शान्ति का अनुभव होता है। ऐसा प्रतीत होता है की इस जगह को खुद कुदरत ने अपने हाथो से संजोया हो वही ये जगह कुमाऊँ के प्रमुख पिकनिक स्पॉट्स में से भी एक है। यहाँ तक पहुंचने के लिए आपको ट्रैक कर जाना होता है। यह ट्रैक चारो और से हरियाली से परिपूर्ण है जहाँ जाकर आपको आनंद के साथ साथ मानसिक शांति भी प्राप्त होती है।
मैडकोट: Medkot: मैडकोट मुनस्यारी से 5 किमी की स्थित अपने प्राकर्तिक गर्म पानी के कुंड के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता अनुसार इस कुंड में स्नान करने से मनुष्यो के सारे चार्म रोग, गठिया रोग बदन दर्द स्वतः ही खत्म हो जाता है। वही ये स्थल शहर की भीड़भाड़ से काफी अलग है जहाँ आकर लोगो को मानसिक एवं आद्यात्मिक शांति का अनुभव होता है।
नंदा देवी मन्दिर: Nanda Devi Temple: नंदा देवी मन्दिर मुनस्यारी के प्रमुख धार्मिक स्थलों मे से एक है जो समुद्र तल से लगभग 7500 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है तथा मुख्य शहर मुनस्यारी से 3 किमी की दूरी पर स्थित है। मुख्य सड़क से लगभग 200 मीटर मीटर चलने पर आप इस मंदिर तक पहुंच सकते है। ये मंदिर माँ नन्दा देवी को समर्पित है। नंदा देवी यहाँ के लोगो की आराध्य देवी भी है। यह मंदिर छोटा होने के बाद भी इसकी बहुत महत्ता है यहाँ आने वाले लोग इस मंदिर के दर्शन करने जरूर आते है। हिमालय की खूबसूरती को देखने वालो के लिए भी ये स्थल सबसे अच्छा है। आप यहाँ से हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों की अलावा पंचाचूली चोटियों को भी करीब से देख सकते है। आपको ऐसा प्रतीत होता है जैसे आप इन पर्वतो के बिलकुल करीब हो और इन चोटियों को अपने हाथो से छू सकते है।
खलिया टॉप: Khaliya Top: समुद्री तल से लगभग 10,500 फ़ीट की उचाई पर स्थित बेहद सुन्दर स्थान है। खलिया टॉप जहाँ आकर इंसान अपने सुख दुःख भूल जाता है तथा यहाँ के सुन्दर व खुशनुमे वातावरण में पूरी तरह डूब जाता है। ऐसी जगह है मुनस्यारी का बेहद खूबसूरत खलिया टॉप। यह यहाँ के सबसे सुन्दर जगहों में से एक है जहा आप वाहन द्धारा या स्वयं ट्रैक कर पहुंच सकते है। ट्रैकिंग के रास्ते पर जाने में आपको ऊपर से इस शहर की खूबसूरती व बीच में पड़ने वाले हरे भरे जंगलो तथा विशाल पर्वतो के दर्शन होते है। यहाँ के लिए मुनस्यारी से खड़ी चढाई पड़ती है परन्तु रास्ते में आप यहाँ के बेहद खूबसूरत नजारो को देखने का अवसर मिलता है।
कालामुनि टॉप: kalamuni Top: कालामुनि टॉप यहाँ पर्यटक स्थलों में से मुख्य है। मुख्य शहर से 14 किमी दूरी तथा 9,600 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहाँ पर माँ काली का एक मंदिर है जो काली माता को समर्पित है। यह मंदिर आस पास के गावो के दृस्टि से काफी महत्वपूर्ण है। यहाँ पर श्रद्धालु अपनी मांगो की पूर्ति के लिए यहाँ पर घंटिया बांधते है तथा अपने मनो की मुरादे मांगते है। यही से आप पंचाचूली पर्वत की चोटियों को भी नजदीक से देखने का आनंद भी ले सकते है। यही शांत प्रिय जगहों को पसंद करने वालो के लिए भी ये जगह स्वर्ग से कम नहीं है यहाँ आकर उन्हें शांति एवं अद्यात्मिक्ता का परिचय होता है।
माहेश्वरी एवं थामरी कुण्ड: Maheshwari & Thamri Kund: माहेश्वरी एवं थामरी कुण्ड मुंसियारी के नजदीक एक प्राचीन कुंड है जो धार्मिक दृस्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है। माहेश्वरी कुंड मदकोट के रास्ते पर स्थित है जबकि थामरी कुंड मुंसियारी से 10 किमी पहले घने जंगलो के बीच व्यवस्थित है। यह कुंड भी मुन्सियारी मदकोट रास्ते पर ही आता है इन दोनों कुंडो के बारे में कुछ विचित्र बाते है। थामरी कुंड से हिमालय का विहंगम द्रस्य देखा जा सकता है। वही धार्मिक दृस्टि से जब यहाँ के गावो में बारिश कम होती है तो गांव वाले यहाँ आकर पूजा पाठ इत्यादि करते है जिससे गांव में फिर से बारिश आने लगती है। वही माहेश्वरी कुण्ड एक खूबसूरत कुंड है जहाँ की दूरी मुख्य शहर से काफी कम होने के कारण आप यहाँ आसानी से आ सकते है। यहाँ आकर आपको अलग ही शांति की प्राप्ति होती है।
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