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About Gangotri Temple: उत्तराखण्ड को देवी, देवताओं, ऋषि–मुनियों व मंदिरों की भूमि कहा जाता है। गंगोत्री धाम उत्तराखण्ड के प्रसिद्व मन्दिरों व तीर्थ स्थलों में से एक है तथा यहाँ के चार धामों बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री में से एक है। गंगोत्री धाम जिला उत्तरकाशी मे स्थित है। गंगोत्री मन्दिर उत्तरकाशी से लगभग 100 किमी की दूरी पर स्थित है। यही पर गंगा माता का अवतरण हुआ था इसलिए इसका नाम गंगोत्री पडा।
यह स्थल गंगा में के उदगम स्थल के रूप में जाता जाता है। यह मन्दिर समुद्र तल से 3100 मीटर व लगभग 10,200 फीट की ऊॅचाई पर स्थित है (Height of Gangotri Dham
Temple) तथा भोज व देवदार के पेडो से धिरा हुआ है।
Rise of River Ganga and Bhagirathi
River
पृथ्वी पर गंगा नदी का उदगम स्थल यहाँ से लगभग 2,160 किमी दूर गंगोत्री ग्लेशियर(Gangotri Glacier) है जो समुद्र तल से लगभग 4,225 मीटर की ऊॅचाई पर स्थित है।
यहाँ पर श्रीमुख नामक एक पर्वत है। उसी पर्वत पर गोमुख स्थित है। गंगोत्री ग्लेशियर(Gangotri Glacier) के मुहाने को ही गोमुख(Gomukh) कहा जाता है जिसका मुह गाय के मुहॅ के आकार का है। गोमुख का क्षेत्रफल(Area of Gomukh) 28 किमी लम्बा, 4 किमी चौड़ा व 40 मीटर के हिस्से में फैला हुआ है जहाँ छोटे–छोटे बहुत से ग्लेशियर बने हुए है। इनमे से बामक ग्लेशियर, नन्दनवन ग्लेशियर व सतरंगी ग्लेशियर प्रमुख है।
यहाँ से ही भागीरथी नदी का उदगम होता है जिस के पानी मे स्नान करने से सारे पाप धुल जाते है। जो आगे चलकर गंगा नदी का रूप ले लेती है।
यह मन्दिर हिन्दुओ का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। यहाँ पर यात्रा काल में लाखो श्रद्धालु दर्शन हेतु आते है व यहाँ आकर अपनी मन्नते मांगते है। यहाँ से ही गंगा नदी का उदगम होता है जिससे लाखो लोगो को रोजगार व पीने के लिए पानी उपलब्ध होता है। गंगोत्री से गोमुख तक आने के लिए पैदल व खच्चरो से द्धारा आप यहाँ तक पहुँच सकते है।
Establishment of Gangotri Temple
गंगा जी का मन्दिर और सूर्य व विष्णु जी का मन्दिर भी यही पर स्थित है। यहाँ पर सर्वप्रथम गंगा की प्रतिमा की स्थापना आदि गुरू शंकराचार्य जी ने की थी बाद में 18 वीं शताब्दी के शुरूआत मे एक गोरखा अधिकारी अमर सिंह थापा ने करवाया था बाद मे 20 वीं शताब्दी को इस मन्दिर का पुनःनिर्माण जयपुर के राजा माधो सिंह द्वारा करवाया गया था।
अमर सिंह थापा के द्वारा ही यहाँ पर पंडो की नियुक्ति हुई जो यही के पास ही के गांव मुखबा के होते है। पहले टकनौर के राजपूत ही यहाँ पर पूजा व अर्चना आदि का कार्य किया करते थे।
History of Gangotri Temple
मान्यता के अनुसार राजा भागीरथ द्धारा यही की एक शिला पर बैठकर भगवान शिव की तपस्या की गई थी। इस शिला को भागीरथ शिला कहा जाता है। इसी शिला के निकट ही गंगोत्री मन्दिर का निर्माण हुआ है। राजा भागीरथ की तपस्या के फलस्वरूप ही गंगा माता पृथ्वी पर इसी जगह अवतरित हुई थी।
यहाँ पर भगवान शिव अपनी जटाओ को खेलकर बैठ गये थे और गंगा माता को अपनी जटाओं में बांध लिया था। इसी स्थान पर पांडवो द्धारा महाभारत के युद्ध मे मारे गये अपने भाइयो व परिजनो की आत्मा की शन्ति के लिए एक देव यज्ञ करवाया था।
पहले के समय में जब यहाँ पर कोई मन्दिर नही था तब आसपास के गांवो से ही देवी व देवताओ की मुर्तिया यहाँ लाकर रखी जाती थी जो यात्रा काल अर्थात तीन व चार माह के लिए ही यहाँ रखी जाती थी जिनकी श्रद्धालु पूजा अर्चना करते थे तथा यात्रा काल समाप्त होने के बाद वापस पुनः उसी गाँव मे वापस रख दी जाती थी।
बाद मे 80 के दशक के आसपास यहाँ सडक निर्माण व यहाँ का विकास होने के बाद यहाँ पर एक भव्य मन्दिर का निर्माण किया गया। यही मन्दिर के अन्दर पूजारी के रहने के लिए एक छोटा घर था तथा श्रद्धालुवो के लिए लकडी का बना एक ढांचा था जहाँ श्रृद्धालुओ विश्राम
करते थे।
Shape of Gangotri Temple
गंगोत्री मन्दिर 20 फीट ऊॅचे सफेद ग्रेनाइट के चमकदार पत्थरो से बना हुआ है जो देखने मे बहुत ही आकर्षित लगता है। (Construction of Gangotri
Temple) यहाँ शिवलिंग के रूप मे एक चटटान भागीरथी नदी के अन्दर जलमग्न है जो शीत ऋतु के आने के समय पर जब भगीरथी नदी मे पानी बहुत कम रहता है दिखाई पडती है। यहाँ का दृश्य बहुत मनोरम होता है जिसे देखने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे स्वयं देवता वहाँ पर विराजमान है।
गंगोत्री धाम के खुलने और बंद होने का
समय
यहाँ पर पूजा 6 माह हेतु होती है जो मई से अक्टूबर तक ही होती है। यहाँ के कपाट अक्षय तृतीया के दिन खुलते है तथा दिपावली के दिन पूरे विधि विधान से मन्दिर के कपाट बंद कर दिये जाते है। कपाट बंद होने के बाद यहाँ रखी गई मूर्तियो को मुखबा गाँव में रख दिया जाता है तथा कपाट खुलने पर वापस मन्दिर मे लाया जाता है।
Report to Himalayan
Institute for Gangotri Glacier
वाडा हिमालयन इंस्टीटयूट
की गंगोत्री
ग्लेशियर के बारे मे रिर्पोट–
वाडा हिमालयन इंस्टीटयूट की ताजा की ताजा रिर्पोट के अनुसार यहाँ के ग्लेशियर ग्लोबल वार्मिंग(Global Warming) व मनुष्यो द्वारा वहाँ पर प्लास्टिक व गन्दगी आदि फैलाने के कारण लगातार पिघल रहे है। गंगोत्री ग्लेशियर(Gangotri Glacier) के पास हिमस्खलन होने से गोमुख का मुहॅ पूरी तरह टूट चुका है अब भागीरथी नदी गोमुख से न निकलकर बामक नामक ग्लेशियर से निकल रही है।
Gangotri Weather
गंगोत्री धाम का तापमान
यहाँ पर गर्मियों के समय पर तापमान 6 डिग्री से अधिकतम 20 डिग्री तक रहता है दिन के समय मौसम सुहावना रहता है पर रात के समय पर ढंड बढ जाती है वही सर्दियो में यहाँ का तापमान शून्य डिग्री से कम हो जाता है।
दिन के समय पर गुनगुनी धूप रहती है परन्तु रात के समय पर अत्यधिक ढंड पडती हैं। दिसम्बर से मार्च के महीने तक यहाँ पर पूरी तरह से बर्फ रहती है जिस कारण यहाँ का तापमान भी शून्य डिग्री से नीचे पहुच जाता है जिसय कारण यहाँ तक पहुंचना नामुमकिन हो जाता है।
How to reach Gangotri
यहाँ आने हेतु निकटतम हवाई अडडा देहरादून स्थित जौलीग्रान्ट है जहाँ से यहाँ तक की दूरी लगभग 250 किमी(Dehradun to Gangotri
Distance) है। वहाँ से गंगोत्री तक आने हेतु आप बस, टैक्सी व प्राईवेट वाहन द्वारा यहाँ तक पहुच सकते है।
सडक मार्ग हेतु निकटतम बस अडडा ऋषिकेश है। जहाँ सें गंगोत्री धाम की दूरी लगभग 230 किमी है। यहाँ से भी बस या प्राईवेट वाहन द्धारा यहाँ आसानी से पहॅुचा जा सकता है।
हैलो, दोस्तों मैं पंकज पंत एक ब्लॉगर। दोस्तों लिखने, पड़ने व म्यूजिक (खासतौर से मैगज़ीन जैसे इंडिया टुडे व क्रिकेट सम्राट वगैरह) का शौक पहले से ही था तो सोचा क्यों न कुछ लिखा जाये और लिखा भी वो जाये जिसे पढ़कर पाठको को आनन्द भी आये व उसे पढ़कर उनके ज्ञान में भी कुछ वृद्धि हो सके। परन्तु लिखने के लिए एक लेखन सामग्री की आवश्यकता होती है तो सोचा किस विषय पर लिखा जाये। सोचते हुए दिमाग में आया की क्यों न अपने ही गृह राज्य उत्तराखंड के बारे में लिखा जाये जिसकी पृष्टभूमि बहुत ही विशाल होने के साथ-साथ यहाँ की संस्कृति और सभ्यता भी बहुत विकसित है। वही ये एक शानदार पर्यटक स्थल होने के अलावा धार्मिक दृस्टि से भी परिपूर्ण है। यहाँ हर साल हजारो की संख्या में मेलो व त्योहारों का आयोजन होता रहता है जिसे देखने व इनमे शामिल होने के लिए देश-विदेश से लाखो-करोडो लोग उत्तराखंड आते है व इन मेलों को देखने के साक्षी बनते है। इस कारण मैंने लिखने की शुरुवात की अपने उत्तराखंड से। अपनी इस वेबसाइट में मैंने उत्तराखंड की संस्कृति एवं सभ्यता, उत्तराखण्ड के प्रमुख पर्यटक स्थल, उत्तराखण्ड के प्रमुख मंदिरो, उत्तराखण्ड के प्रमुख नृत्य व संगीत, उत्तराखण्ड के प्रमुख ट्रेक्किंग स्थलों, उत्तराखण्ड के मुख्य डैम, उत्तराखण्ड की झीलों व ग्लेशियर के अलावा यहाँ की प्रमुख पर्वत चोटियों व अन्य विषयो को पाठको के समक्ष प्रस्तुत किया है। जैसे- जैसे मुझे अन्य कोई जानकारी मिलती जाएगी में उन्हें अपने पाठको के समक्ष प्रस्तुत करता रहूँगा। धन्यवाद पंकज पंत
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