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मीसापुलिमाला ट्रैक
Meesapulimala Trek
मीसापुलिमाला ट्रैक(Meesapulimala Trek) भारत में केरल के इडुक्की जिले के पश्चिमी घाट की सबसे ऊंची तथा दक्षिण भारत की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 2,640 मीटर अर्थात 8,661 फ़ीट है। यह चोटी मुन्नार से लगभग 20 किमी की दूरी पर स्थित है तथा अनामीलाई पर्वत तथा पलानी पर्वत के मध्य तथा सूर्यानल्ली के पास स्थित है। मुन्नार अपने यहाँ के चाय के बागानों के लिए प्रसिद्ध है जो उत्तम किस्म की व खुशबूदार होती है जिसकी मांग पूरे विश्व में है।
मीसापुलिमाला ट्रैक केरल के सबसे चर्चित ट्रैक्स में से एक है जहाँ पर्यटकों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है। यह ट्रैक प्रकर्ति प्रेमियों के लिए भी उत्तम है यहाँ आकर वो तरह-तरह के पक्षियों को तथा यहाँ की खूबसूरती को अपने कैमरा में कैद कर सकते है। इस पूरे ट्रैक पर जाने में 8 से 10 घंटे तक का समय लग जाता है। पूरा ट्रैक लगभग 8.5 किमी लम्बा है। यहाँ पहुँचने के लिए सात पहाड़ियों के माध्यम से होकर जाना होता है जिनके बीच जाकर आप प्राकर्तिक खूबसूरती का आनंद ले सकते है।
ट्रैक पर जाते हुए आपको खूबसूरत रोडोडेंड्रोन के फूल दिखाई पड़ते है जो इस ट्रैक की खूबसूरती को और अधिक बढ़ा देते है। ये आठ पहाड़ो से मिलकर बनी पर्वतमाला है जो एक मुछ की तरह फैली हुई दिखाई पड़ती है। यह ट्रैक रोडो घाटी से होता हुआ जाता है और अगर आप भाग्यशाली हुए तो आपको ट्रेक्किंग के दौरान जंगली थार, सांभर, गौर इत्यादि जंगली जानवर भी देखने को मिल जायेंगे। ये ट्रैक ज्यादा कठिन न होने के कारण किसी भी उम्र के व्यक्ति इस ट्रैक पर आसानी से जा सकते है बस ट्रैक पर जाने हेतु व्यक्ति का शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत होना आवश्यक होता है।
मल्यालम मूवी चार्ली के प्रसिद्ध हो जाने के बाद ये ट्रैक और भी प्रसिद्ध होता गया जिस कारण भारत के साथ विदेशी पर्यटक भी यहाँ ट्रैकिंग और कैंपिंग के लिए आने लगे जिस कारण इस ट्रैक की प्रसिद्धि में भी विस्तार होता गया।
यहाँ की हरी भरी वादियों, देवदार और फर्न के पेड़ व यहाँ की ठण्डी हवा यहाँ के वातावरण को और भी खुशनुमा बना देते है। यहाँ मौजूद सफ़ेद बादल जैसे एक जगह से दूसरी जगह नाचते हुए प्रतीत होते है जो देखना स्वयं में एक सुन्दर अनुभूति होती है।
आप मीसापुलिमाला तक जीप सफारी के द्धारा भी जा सकते है। पैदल जाने हेतु ट्रैक साइलेंट वैली(Silent Valley) से शुरू होता है तथा हरी भरी पहाड़ियों, रोडो घाटी से होता हुआ जाता है। चोटी पर पहुँचकर आप तमिलनाडु व केरल के बॉर्डर की खूबसूरती को आसानी से देख सकती है वही चोटी से नीलकुरिंजी फूलो को भी देख सकते है। वापसी के दौरान का ट्रैक थोड़ा मुश्किल होता है आपको शोला के जंगलो से होते हुए आना होता है जो जंगली जानवरो के लिए प्रसिद्ध है। आते हुए आप अनायेरो झील के पास भी कुछ वक्त गुजार सकते है वही रास्ते मे मौजूद कोलुक्कुमलाई में मौजूद चाय के सुन्दर बागानों को भी देख सकते है।
इस ट्रैक पर जाने के लिए एक अन्य रास्ता भी है जो कुरंगिनी गांव से शुरू होता है। यहाँ से जाने हेतु रास्ता थोड़ा लम्बा होता है। यह तकरीबन 15 किमी का होता है जिस पर जाने में आपको 9 से 10 घंटे तक का समय लग जाता है।
Things to Carry
साथ ले जाने वाली चीजे
गाइड, टैंट, ट्रैकिंग पोल, पानी की बोतल, हाथ के दस्ताने, रैनकोट, कोल्ड क्रीम, लिप बाम, सनस्क्रीन लोशन, धुप से बचाव हेतु अच्छे किस्म के चश्मे, सिरदर्द की दवाइयाँ जैसे क्रोसिन, डिस्प्रिन, कॉटन, बैंड-ऐड, मूव स्प्रे, गौज, क्रैप बैंडेज आदि चीजे है जो आपको ट्रैक पर जाते समय अपने साथ रखनी चाहिए इनकी जरूरत आपको ट्रैक पर जाते वक्त कभी भी पड़ सकती है।
मीसापुलिमाला ट्रैक पर कब जाये
When to go Meesapulimala Trek
वैसे तो मीसापुलिमाला ट्रैक पर आप साल में कभी भी जा सकते है परन्तु यहाँ जाने का सबसे सही समय मई और जून तथा सितम्बर से नवंबर तक का रहता है। इस समय पर यहाँ पर चारो और हरियाली छाई रहती है व आप प्रकर्ति का सही तरह से लुत्फ़ ले सकते हैA वही फोटोग्राफर्स के लिए भी ये समय उत्तम रहता है इस समय वो यहाँ की खूबसूरत घाटी व आस पास की खूबसूरती को कैमरा में कैद कर सकते है।
हैलो, दोस्तों मैं पंकज पंत एक ब्लॉगर। दोस्तों लिखने, पड़ने व म्यूजिक (खासतौर से मैगज़ीन जैसे इंडिया टुडे व क्रिकेट सम्राट वगैरह) का शौक पहले से ही था तो सोचा क्यों न कुछ लिखा जाये और लिखा भी वो जाये जिसे पढ़कर पाठको को आनन्द भी आये व उसे पढ़कर उनके ज्ञान में भी कुछ वृद्धि हो सके। परन्तु लिखने के लिए एक लेखन सामग्री की आवश्यकता होती है तो सोचा किस विषय पर लिखा जाये। सोचते हुए दिमाग में आया की क्यों न अपने ही गृह राज्य उत्तराखंड के बारे में लिखा जाये जिसकी पृष्टभूमि बहुत ही विशाल होने के साथ-साथ यहाँ की संस्कृति और सभ्यता भी बहुत विकसित है। वही ये एक शानदार पर्यटक स्थल होने के अलावा धार्मिक दृस्टि से भी परिपूर्ण है। यहाँ हर साल हजारो की संख्या में मेलो व त्योहारों का आयोजन होता रहता है जिसे देखने व इनमे शामिल होने के लिए देश-विदेश से लाखो-करोडो लोग उत्तराखंड आते है व इन मेलों को देखने के साक्षी बनते है। इस कारण मैंने लिखने की शुरुवात की अपने उत्तराखंड से। अपनी इस वेबसाइट में मैंने उत्तराखंड की संस्कृति एवं सभ्यता, उत्तराखण्ड के प्रमुख पर्यटक स्थल, उत्तराखण्ड के प्रमुख मंदिरो, उत्तराखण्ड के प्रमुख नृत्य व संगीत, उत्तराखण्ड के प्रमुख ट्रेक्किंग स्थलों, उत्तराखण्ड के मुख्य डैम, उत्तराखण्ड की झीलों व ग्लेशियर के अलावा यहाँ की प्रमुख पर्वत चोटियों व अन्य विषयो को पाठको के समक्ष प्रस्तुत किया है। जैसे- जैसे मुझे अन्य कोई जानकारी मिलती जाएगी में उन्हें अपने पाठको के समक्ष प्रस्तुत करता रहूँगा। धन्यवाद पंकज पंत
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