Deo Tibba Trek
देव टिब्बा ट्रैक
Deo Tibba Trek: हिमाचल अपनी प्राकर्तिक खूबसूरती, बर्फीले पहाड़ो, नदियों, झरनो के कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। यहाँ की संस्कृति व रहन सहन पर्यटकों को हमेशा से अपनी और आकर्षित करती आयी है। हिमांचल की तरफ पड़ने वाले हिमालय क्षेत्र में कई ऐसे खूबसूरत ट्रैक्स है जिस पर सालो से देशी-विदेशी पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। ये ट्रैक सदियों से पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करते आये है इनमे से एक बेहद खूबसूरत ट्रैक है देव टिब्बा ट्रैक।
देव टिब्बा ट्रैक हिमाचल के खूबसूरत ट्रैक्स में से एक है जो जिला कुल्लू में स्थित है। यह ट्रैक मनाली के हिमालय पर्वत श्रेणी के पीर पंजाल पर्वत श्रेणी में स्थित है जो समुद्र तल से 6,001 मीटर अर्थात 14,700 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह ट्रैक छोटा चन्द्रतल ट्रैक के नाम से भी जाना जाता है। इस ट्रैक पर आपको कई सारी औसधिय गुणों से भरपूर जड़ी-बूटियाँ, वनस्पतियाँ और कई जंगली जीव जन्तु भी देखने को मिल जायेंगे। यहाँ उपलब्ध जड़ी बूटियों का इस्तेमाल कई सारे असाध्य रोगो के लिए दवाइयाँ बनाने के काम में आते है।
इस ट्रैक की शुरुवात मनाली के जगतसुख गांव से शुरू होती है। जगतसुख गांव मनाली से 5 किमी की दूरी पर स्थित है तथा ये गांव इस ट्रैक का बेस पॉइंट भी है। यह पूरा ट्रैक लगभग 62 किमी के आसपास पड़ता है। इस पूरे ट्रैक में आने व जाने में 5 से 7 दिन तक का समय लग जाता है। पूरे ट्रैक में ट्रैकर्स को हरी भरी वादियों के साथ बड़े-बड़े घास के मैदान दिखाई पड़ते है जो पर्यटकों को मन्त्रमुघ्द कर देते है।
वही इस ट्रैक पर जाते हुए आपको कई खूबसूरत व बर्फ से ढके हुए विशाल पर्वत भी देखने को मिलते है जो देखने में बेहद खूबसूरत प्रतीत होते है। इस पर्वतो मेँ मुख्यतः इन्द्रासन व जगतसुख जैसे पर्वत चोटियाँ आती है। सूर्य देवता की सुबह की पहली किरण जब इन पर्वतो पर पड़ती है तो ये हिमाछादित पर्वत सोने की भांति चमक उठते है जिन्हे देखते ही पर्यटक आनंद विभोर हो उठते है। वही सुबह की मंद-मंद चलती हुई हवाएँ पर्यटको के मन को छू जाती है।
देव टिब्बा ट्रैक(Deo Tibba Trek) हिमांचल के अन्य ट्रैक्स की अपेक्षाकृत थोड़ा आसान माना जाता है।इस कारण इस ट्रैक पर किसी भी उम्र के लोग आसानी से जा सकते है। बस ट्रैक पर जाने हेतु ट्रैकर्स को मानसिक व शारारिक रूप से मजबूत होना आवश्यक है। इस ट्रैक के आसान होने के कारण ट्रैकर्स पहली बार में ही इस ट्रैक पर जा सकते है। यह ट्रैक कुल्लू के खूबसूरत गाँवो तथा सुन्दर घाटियों से घिरा हुआ है इन घाटियों में मुख्यतः पाण्डुरोपा, सेतन, रौरीखौड़ी तथा चिक्का गांव मुख्य है। इन गाँवो में हिमाचल की संस्कृति व सभ्यता को नजदीक से देखा जाया जा सकता है वही मार्ग के मध्य में एक प्राचीन गांव जोगीदुग पड़ता है जो की पुरातन मान्यता के अनुसार “थक्षग नाग” व अन्य अठारह नागो का निवास स्थल माना गया है।
Things to Carry
साथ ले जाने वाली वस्तुएँ
ट्रैक पर जाते समय आपको स्वयं सावधानी बरतने के साथ रोजाना के प्रयोग होने वाली जरूरत की चीजों को भी अपने साथ ले जाना आवश्यक होता है। साथ ही आपको छोटी-मोटी शारीरिक परेशानियों के लिए सर दर्द, पैट ख़राब व अन्य रोगो के उपचार हेतु फर्स्ट ऐड की चीजे व दवाइयां भी जरूर ले जानी चाहिए ताकि आवस्यकता अनुसार जरूरत के समय ये प्रयोग में लाई जा सके।
वहाँ का मौसम प्रति घंटे के हिसाब से बदलता रहता है जिस कारण वहाँ ठण्ड भी अधिक रहती है। इस कारण आपको ठण्ड व बारिश से बचाव हेतु रैनकोट, फुल स्लीव्स पतली जैकेट्स, मंकी कैप, ट्रैकिंग शूज, गर्म मोज़े, मफलर, तौलिए, धुप से बचाव हेतु अच्छे किस्म के चश्मे, कोल्ड क्रीम, लिप बाम, सनस्क्रीन लोशन, एल०ई०डी टॉर्च, गर्म पानी की बोतल, ट्रैकिंग पोल, सिरदर्द की दवाइयाँ जैसे क्रोसिन, डिस्प्रिन, कॉटन, बैंड-ऐड, मूव स्प्रे, गौज, क्रैप बैंडेज आदि चीजे है जो आपको ट्रैक पर जाते समय अपने साथ रखनी चाहिए। इनकी जरूरत आपको ट्रैक पर जाते वक्त कभी भी पड़ सकती है। ट्रैक पर जाने से 2 या 3 दिन पहले आपको अधिक मात्रा में पानी भी पीना चाहिए जिससे आप Dehydration से बचे रह सके।
यात्रा कार्यक्रम
Itinerary to Deo Tibba Trek
जगतसुख/खनोल से छिक्का – (9 किमी, लगभग 8 से 9 घण्टे)
चिक्का से सेरी – (11 किमी, लगभग 6 से 7 घंटे)
सेरी से टेण्टा – (10 किमी ,लगभग 6 से 7 घंटे)
टेण्टा से छोटा चन्द्रताल से टेण्टा -(6 किमी, लगभग 5 से 6 घंटे)
टेण्टा से छिक्का – (9 किमी, लगभग 9 से 10 घंटे)
छिक्का से जगतसुख – 17 किमी, लगभग 9 से 10 घंटे)

Deo Tibba Trek पर कैसे जाये
How to go to Tibba Trek
प्रथम दिवस: First Day: यह ट्रैक मनाली के जगतसुख से शुरू होता है। जगतसुख से आपको ट्रैक द्धारा छीका तक जाना होता है जो जंगलो के बीच में से होकर गुजरता है। यहाँ पर नाग देवता की सुन्दर आकर्ति एक पत्थर पर प्राकर्तिक रूप से बनी हुई है वही यहाँ पर नाग देवता का एक मंदिर भी बना हुआ है। यहाँ आकर ट्रैकर्स को असीम शांति की प्राप्ति होती है।
छीका में ही आप रात्रि विश्राम कर सकते है। यहाँ रुकने के लिए भी जगह बनी हुई है छीका की ऊंचाई समुद्र तल से 10,498 फ़ीट है। तथा जगतसुख से छीका तक पहुचने में लगभग 7 से 8 घंटे तक का समय लग जाता है।
दूसरा दिवस: Second Day: आपके अगले दिन की सुरुवात छीका से होती है तथा आपको सेरी तक जाना होता है। इस दिन के पूरे ट्रैक में आपको चारो और फैली हुई हरियाली के साथ कई झरने भी देखने को मिल जायेंगे। ये रास्ता पाण्डु रोपा के बीच से होता हुआ जाता है। सेरी पहुंचकर आपको यहाँ पर एक विशाल चरागाह दिखाई देता है तथा इसके चारो और विशाल बर्फ से ढके पर्वत दिखाई पड़ते है जो ट्रैकर्स के लिए जीवन भर के लिए कभी न भूलने वाला अनुभव होता है।
इस दिन का पूरा ट्रैक लगभग 11 किमी का होता है जिस पर जाने में 6 से 7 घंटे तक का समय लग जाता है। सेरी समुद्र तल से 11,800 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है। आप सेरी के खुले व विशाल चारागाह में तथा आसमान में चारो तरफ बिखरे हुए तारो और सामने ही बहते हुए झरनो के बीच टेंटों में रात्रि विश्राम का आनंद ले सकते है।
तीसरा दिवस: Third Day: आपके अगले दिन की शुरुवात सेरी से होती है तथा इस दिन आपको सेरी से टेण्टा तक जाना होता है। ये इस पूरे ट्रैक का मुख्य भाग है तथा अन्य दिनों की अपेक्षा कुछ कठिन भी है।इस ट्रैक के दौरान कही कही आपको चढ़ाई पर जाना होता है व कही पर लम्बी ढलाने है। ये पूरा ट्रैक लगभग 10 किमी का होता है जिस पर जाने में आपको लगभग 10 घंटे तक का लम्बा समय लग सकता है। यहाँ पर बड़े बड़े विशाल बोल्डर रास्ते में गिरे हुए दिखाई पड़ जायेंगे टेण्टा की उचाई समुद्र तल से 12,800 फ़ीट है।

चौथा दिवस: Fourth Day: चौथे दिन की यात्रा अब तक की सबसे महत्वपूर्ण यात्रा मानी जाती है। यह ट्रैक टेंट से शुरू होकर चन्द्रताल तक जाता है। इस ट्रैक पर आपको सीधी चढ़ाई पर जाना होता है व लगभग 4500 मीटर तक की ऊंचाई पर जाना होता है। इतनी ऊंचाई पर जाते हुए ऑक्सीज़न की मात्रा भी कम होने लगती है तथा ट्रैकर्स के बीमार होने की सम्भावना भी बनी रहती है जिस कारण ट्रैकर्स को अधिक से अधिक पानी पीने की सलाह दी जाती है।
यहाँ बेस कैम्प लगभग 4,500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहाँ आपको चारो और बर्फ से ढके पहाड़ दिखाई देंगे वही साफ़ नीले पानी की एक झील भी दिखाई पड़ती है जो ट्रैकर्स को मन्त्रमुघ्द कर देती है।आप यहाँ पर मिनी चन्द्रताल व देव टिब्बा के आस पास घूमकर उसी दिन वापस टेण्टा मेँ वापस आ सकते है तथा उस दिन वही रात्रि विश्राम कर सकते है। यह पूरा ट्रैक लगभग 5 से 6 किमी का होता है जिसमे जाने में 5 से 6 घंटे तक का समय लग जाता है।
पाँचवा दिन: Fifth Day: यह आपके पूरे ट्रैक का अंतिम भाग होता है। आपको टेण्टा से छीका तक वापस आना होता है टेण्टा से छीका की दूरी लगभग 9 किमी होती है तथा आने में 6 से 7 घंटे तक का समय लग जाता है। यही पर आप रात्रि विश्राम आदि कर सकते है तथा अगले दिन छीका से जगतसुख होते हुए मनाली में आपके ट्रैक का समापन हो जाता है।
देव टिब्बा ट्रैक
कैसे जाये
How to go to Deo Tibba Trek
By Air: हवाई मार्ग द्धारा: देव टिब्बा ट्रैक पर जाने के लिए सबसे पास स्थित हवाई अड्डा भुन्तर में है जो की मनाली से 52 किमी की दूरी पर स्थित है। नई दिल्ली और चंडीगढ़ से आपको कुल्लू के भुंतर के लिए आसानी से हवाई सुविधा मिल जाएगी भुन्तर हवाई अड्डे से बाहर से लगातार सरकारी बसे भी मनाली के लिए चलती रहती है तथा प्राइवेट टैक्सी वाले भी 24 घंटे आपको हवाई अड्डे के बाहर ही खड़े मिल जायेंगे।
आप यहाँ से बस या टैक्सी कर आसानी से मनाली तक पहुंच सकते है। प्राइवेट टैक्सी वाले आपसे मनाली तक पहुंचाने के लिए अधिकतम 1000 रुपए से 1500 रुपया तक का किराया लेते है।
By Bus: सड़क मार्ग द्धारा: देव टिब्बा ट्रैक पर जाने के लिए सबसे पास स्थित बस स्टेशन मनाली है जो देश के अधिकतर भागो से आसानी से जुड़ा हुआ है। दिल्ली से मनाली की दूरी लगभग 550 किमी है।दिल्ली से मनाली के लिए आपको हर समय बस की सेवा उपलब्ध हो जाएगी।
वही चंडीगढ़ से भी आप मनाली तक आसानी से पहुंच सकते है। चंडीगढ़ से मनाली की दूरी 310 किमी है जहाँ आपको पहुंचने में लगभग 8 घंटे का तक का समय लग जाता है। जहाँ से आपके ट्रैक की शुरुवात होती है।
देव टिब्बा ट्रैक पर कब जाये
When
to go Deo Tibba Trek
देव टिब्बा ट्रैक पर जाने के लिए सबसे अच्छा मौसम अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक का होता है उसके बाद बारिश का सीजन होने के कारण ट्रैक पर फिसलने का खतरा रहता है।
अप्रैल से अक्टूबर के दौरान यहाँ का मौसम अधिकतर साफ़ रहता है जिस कारण आप यहाँ प्रकर्ति का भरपूर आनंद ले सकते है।
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