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उत्तराखण्ड के प्रमुख ग्लेशियर:
Famous Glaciers in Hindi:
हिमालायी राज्य होने के कारण यह चारों और से बर्फ से ढके पर्वतों से घिरा हुआ हैं। यहाँ कई विश्व प्रसिद्ध ग्लेशियर होने के कारण इन्हे देखने प्रतिवर्ष देश–विदेश से लोग भ्रमण पर उत्तराखण्ड आते है। इन ग्लेशियरों से कई विश्व प्रसिद्ध नदियो का उदगम भी होता है।
यहाँ के ग्लेशियर आकर्षण का केन्द्र होते है। जहाँ पर कई साहसिक खेल भी खेले जाते है। यहाँ के कुमाऊँ क्षेत्र के प्रसिद्ध ग्लेशियरो में कांपनी ग्लेशियर, मैकतोली ग्लेशियर, मिलम ग्लेशियर, नामिक ग्लेशियर, पिंडारी ग्लेशियर, रालम ग्लेशियर व सुंदरडुंगा ग्लेशियर आदि आते है।
हिमालायी राज्य होने के कारण यह चारों और से बर्फ से ढके पर्वतों से घिरा हुआ हैं। यहाँ कई विश्व प्रसिद्ध ग्लेशियर होने के कारण इन्हे देखने प्रतिवर्ष देश–विदेश से लोग भ्रमण पर उत्तराखण्ड आते है। इन ग्लेशियरों से कई विश्व प्रसिद्ध नदियो का उदगम भी होता है।
उत्तराखंड के प्रमुख ग्लेशियर व उनका विवरण:
Uttarakhand famous Glaciers:
ग्लेशियर मिलम ग्लेशियर काली ग्लेशियर नामिक ग्लेशियर हीरामणि ग्लेशियर पिनौरा ग्लेशियर पिंडारी ग्लेशियर कफनी ग्लेशियर यमुनोत्री ग्लेशियर गंगोत्री ग्लेशियर डोरियानी ग्लेशियर बंदरपूंछ ग्लेशियर खतलिंग ग्लेशियर चोराबाड़ी ग्लेशियर केदारनाथ ग्लेशियर दूनागिरी ग्लेशियर बद्रीनाथ ग्लेशियर सतोपंथ ग्लेशियर सुखराम ग्लेशियर सुंदरढुंगा ग्लेशियर | स्थान पिथौरागढ पिथौरागढ पिथौरागढ पिथौरागढ पिथौरागढ बागेश्वर बागेश्वर उत्तरकाशी उत्तरकाशी उत्तरकाशी उत्तरकाशी टिहरी और रूद्रप्रयाग रूद्रप्रयाग रूद्रप्रयाग चमोली चमोली चमोली बागेश्वर बागेश्वर |
मिलम ग्लेशियर:
Milam Glacier:मिलम ग्लेशियर जिला पिथौरागढ़ मुनस्यारी तहसील में स्थित है जहाँ से पिंडर की सहायक नदी मिलम व काली की सहायक नदी गौरीगंगा निकलती है।
यह ग्लेशियर लगभग १६ कि०मी० लम्बा है व मूल रूप से कुमाऊँ मंडल का सबसे बड़ा ग्लेशियर है। यह ग्लेशियर समुद्र तल से ५५०० मीटर से ३८७० मीटर है।
यहाँ जाने के रास्ते पर आपको बहुत सारे गांव, जंगल, झीले व पुल मिलेंगे जिनसे होते हुए आप यहाँ तक पहुँच सकते है।
मुनस्यारी से मिलम ग्लेशियर तक की सड़क का कार्य बी० आर० ओ० द्धारा २००८ से किया जा रहा है परन्तु ये अभी तक पूर्ण नहीं ही पाया है परन्तु अब शायद प्रतीत होता है की सड़क बनाने का ये कार्य २०२० तक पूर्ण हो जायेगा।
नामिक ग्लेशियर:
Namik Glacier
नामिक ग्लेशियर पिथौरागढ़ जिले में स्थित है। यह ग्लेशियर 2700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जो नामिक नामक गांव से 25 किमी० की दूरी पर स्थित है।
इसी ग्लेशियर से रामगंगा नाम की नदी का भी उदय होता है जो यहाँ आस पास के गांवो व नामिक नाम के गांव को पीने व सिचाई के लिए पानी उपलब्ध होता है। इस ग्लेशियर में जाने के रास्ते पर आपको कई सारे गांव, झीले, जंगल आदि मिलते है।
यहाँ पर मानव की अनुपस्थिति बहुत कम होने के कारण यहाँ कई सारी जड़ी-बूटियाँ उपलब्ध होती है। इस रास्ते पर कई घने जंगल पड़ते है।
इस ग्लेशियर को सन २०१८ को ट्रैक ऑफ द ईयर का पुरुस्कार भी मिल चुका है यहाँ जाने के लिए ट्रैकर काठगोदाम से ट्रैक शुरू करके बागेश्वर, गोगिना, थल टॉप, नन्दकुन्द होते हुए ग्लेशियर व्यू पॉइंट तक पहुंच सकते है।
पिंडारी ग्लेशियर:
Pindari Glacier:पिंडारी ग्लेशियर उत्तराखंड के जनपद बागेश्वर में स्थित है। इसी हिमनद से पिंडारी नदी का जन्म होता है जो अलकनंदा की एक सहायक नदी है तथा यही नदी गढ़वाल में जाकर अलकनंदा में मिल जाती है।
इन दोनों नदियों अलकनंदा व पिंडारी नदी का संगम कर्णप्रयाग में होता है जो आगे चलकर भागीरथी नदी में मिलकर गंगा के रूप में आगे को बढ़ती है।
यह ग्लेशियर समुद्र तल से लगभग 3267 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस ट्रैक पर जाने में आपको कई सारे गांव, जंगल आदि पड़ते है जिनसे होकर आप पिण्डरी ग्लेशियर तक पहुंच सकते हो।
पिंडारी ग्लेशियर एक विश्व प्रसिद्ध ट्रैक है जहाँ विदेशी लोग काफी संख्या में ट्रैकिंग के लिए आते है। यह ट्रैक लगभग 90 कि०मी० का पड़ता है और इस ट्रैक पर आने व जाने में लगभग 7 दिन लग जाते है।
पिंडारी ग्लेशियर जाने के लिए आपको सोंग, लोहार, धकुरी, खाती, दवाली, फुरकिया आते है तथा अंत में पिंडर ग्लेशियर तक पहुँचा जा सकता है।
कफनी ग्लेशियर:
Kafni Glacier:कफनी ग्लेशियर उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में स्थित है। ये ग्लेशियर समुद्र तल से 3810 मीटर की ऊचाई पर स्थित है जो नंदा देवी से दाक्षिढ-पूर्व में स्थित है।
कफनी ग्लेशियर मिलम और पिंडारी से सटा हुआ है जो पिंडारी ग्लेशियर, सुन्दरढूंगा ग्लेशियर और कफनी ग्लेशियर को आपस में सड़क मार्ग से जोड़ता है।
कफनी ग्लेशियर से कफनी नदी निकलती है जो पिंडारी की सहायक नदी है, जो आगे चलकर अलकनंदा से मिलकर गंगा नदी के रूप में आगे बढ़ती है।
कफनी ग्लेशियर के पैदल जाने वाले ट्रैकर्स रात को बागेश्वर में कैम्पिंग करते है क्योकि बागेश्वर में खाने वगैरह की सभी व्यवस्था आसानी से हो जाती है। 2013 में आई आपदा के बाद यहाँ के रास्ते टूट गए थे जो आज तक पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाए है।
कफनी ग्लेशियर तक पहुँचने के लिए आपको बागेश्वर से लोहारखेत, लोहारखेत से धाकुरी, धाकुरी से खाती, खाती से दवाली पहुँचा जाता है वहाँ से 12 किमी० की पैदल चढाई कर आप कफनी ग्लेशियर तक पहुंच सकते है।
कफनी ग्लेशियर से आस पास की चोटियों नंदकोट व नंदाभनार की चोटियों को देखा जा सकती है जिनकी ऊंचाई क्रमश: 6860 मीटर व 6104 मीटर है।
सुन्दरढूंगा ग्लेशियर:
Sunderdhunga Glacier:
सुन्दरढूंगा ग्लेशियर उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के कपकोट के हिमालयी क्षेत्र में आता है। कुदरत ने यहाँ की खूबसूरती को बहुत ही सुन्दर ढंग से सवारा है।
यहाँ सुबह धूप की पहली किरण यहाँ चारो तरफ अदभुद चमक उत्पन्न कर देती है जो वह जाने वाले यात्रियों को मंत्रमुग्ध कर देती है। यह कपकोट से उत्तर दिशा में स्थित है जो समुद्र तल से 3880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
इसी क्षेत्र में पवित्र देवी और एक कुंड जिसे नंदा कुंड के नाम से पुकारा जाता है अवस्थित है। इस कुंड के चारो और ब्रह्मकमल खिलते है, जिन्हे यहाँ आने वाले श्रद्धालु कुंड के पानी व ब्रह्मकमल को प्रसाद के रूप में अपने साथ घरो को ले जाते है।
यह इतनी खूबसूरत व मन को सुकून देने वाली जगह होने के बाद भी ये स्थान यहाँ के सरकार की नजर से दूर है, जो यहाँ अभी तक एक सड़क का निर्माण भी नहीं करा पायी है।
यहाँ आने वाले यात्रियों को झाड़ियाँ पकड़-पकड़ कर यहाँ तक जाना होता है। यहाँ तक पहुँचने के लिए यात्रिओ को जिला मुख्यालय से सोंग, लोहारखेत, धाकुडी, खाती, जैंतोली, कठेलिया तक पहुंचना पड़ता है।
कठेलिया से 6 कि० मी० का रास्ता बहुत ही खतरनाक है, जहाँ से पथरीले रास्ते, काँटे व उबड़ खाबड़ रास्ता है। यहाँ से झाड़ियों को पकड़-पकड़ कर आप सुन्दरढूंगा ग्लेशियर तक पहुंच सकते है।
यहाँ पर खाने और रहने की कोई व्यवस्था नहीं है, अपितु जैंतोली व कठेलिया मैं आपको के०एम०वी०एन के रेस्ट हाउस जरूर मिल जाएंगे जहाँ आप रात्रि विश्राम कर सकते है।
सतोपंथ ग्लेशियर
Satopanth Glacierसतोपंथ ग्लेशियर नीलकंठ पर्वत की पूर्वी दिशा में स्थित है। यह ग्लेशियर उत्तराखंड के प्रमुख ग्लेशियर में से एक है। यह उत्तराखंड के जिला चमोली के जोशीमठ डिवीज़न में आता है।
यहाँ के आसपास का नजारा किसी स्वर्ग से कम नहीं दिखता है। सतोपंथ दो शब्दों से मिलकर बना है सतो और पंथ। जहाँ सतो का अर्थ सत्य और पंथ का अर्थ रास्ता से है अर्थात सत्य का रास्ता।
यह ग्लेशियर इंडो-तिब्बत बॉर्डर के बहुत नजदीक है। यह ग्लेशियर 13 किमी० के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह ग्लेशियर चारो और से विशाल पर्वतो से घिरा हुआ है जिसके एक और विशाल नीलकंठ पर्वत दूसरी और चौखम्बा पर्वत व तीसरी तरफ बद्रीनाथ पर्वत है।
यहाँ आने वालो के लिए यहाँ पड़ने वाली सतोपंथ झील भी एक मुख्य पर्यटक स्थल है जो त्रिभुज की आकृति की बनी हुई है।
सतोपंथ ग्लेशियर जाने के लिए आपको बद्रीनाथ और माना गांव होते हुए जाना पड़ता है जहाँ रास्ते पर वसुंधरा फॉल्स पड़ता है। वसुंधरा फॉल्स से सतोपंथ ग्लेशियर की दूरी 5 किमी० पड़ती है। यहाँ आने के लिए गर्मियों का समय उत्तम रहता है।
चोराबाड़ी ग्लेशियर:
Chorabadi Glacier:
चोराबरी ग्लेशियर उत्तराखंड के जिला रुद्रप्रयाग में स्थित है। यह ग्लेशियर केदारनाथ मंदिर के समीप है जो यहाँ से 3 किमी दूर पूर्व की दिशा में स्थित है। इसी ग्लेशियर अर्थात हिमनद से मन्दाकिनी नदी निकलती है जो अलकनंदा की एक सहायक नदी भी है।
इसी जगह पर एक खूबसूरत चोराबरी ताल भी है जो ४ कि0मी0 के क्षेत्र में फैला हुआ है। इसे गाँधी सरोवर और कांटी सरोवर के नाम से भी जाना जाता है। इसी सरोवर में महात्मा गाँधी के शरीर की अस्थिया विसर्जित हुई थी, इस लिए इस सरोवर का नाम गाँधी सरोवर पड़ा।
केदारनाथ मंदिर के पास का पूरा क्षेत्र चोराबरी ग्लेशियर के अंतर्गत आता है तथा पूरा हिस्सा तीन तरफ से पहाड़ो से घिरा हुआ है। यहाँ एक तरफ 22 हजार फुट ऊंचा केदारनाथ पर्वत, दूसरी तरफ 21,600 फ़ीट ऊंचा खर्चकुंड तथा तीसरी तरफ 22,700 फ़ीट ऊंचा भरतकुंड है।
यह स्थान पांच नदियों का संगम स्थल भी है जिसमे से मन्दाकिनी, मधुगंगा, सरस्वती, स्वर्णद्वरी व छीरगंगा है परन्तु इनमे से कई का अस्तित्व अब समाप्त हो चुका है और केवल मन्दाकिनी नदी ही बाकी है।
वर्ष 2013 में केदारनाथ में भयंकर आपदा आई थी जिसमे चोराबरी ग्लेशियर से अधिक पानी आने के कारण यहाँ स्थित गाँधी सरोवर पूरी तरह से भर जाने के कारण टूट गया था जिस वजह से केदारनाथ मंदिर में आये हजारो दर्शनार्थी मारे गए थे, जिनमे से कई लोगो के शव आज तक बरामद नहीं हो पाए है। उस त्रासदी में केदारनाथ के अलावा रामबाड़ा व उत्तराखंड के अन्य इलाको में भी भारी तबाही हुई थी।
हैलो, दोस्तों मैं पंकज पंत एक ब्लॉगर। दोस्तों लिखने, पड़ने व म्यूजिक (खासतौर से मैगज़ीन जैसे इंडिया टुडे व क्रिकेट सम्राट वगैरह) का शौक पहले से ही था तो सोचा क्यों न कुछ लिखा जाये और लिखा भी वो जाये जिसे पढ़कर पाठको को आनन्द भी आये व उसे पढ़कर उनके ज्ञान में भी कुछ वृद्धि हो सके। परन्तु लिखने के लिए एक लेखन सामग्री की आवश्यकता होती है तो सोचा किस विषय पर लिखा जाये। सोचते हुए दिमाग में आया की क्यों न अपने ही गृह राज्य उत्तराखंड के बारे में लिखा जाये जिसकी पृष्टभूमि बहुत ही विशाल होने के साथ-साथ यहाँ की संस्कृति और सभ्यता भी बहुत विकसित है। वही ये एक शानदार पर्यटक स्थल होने के अलावा धार्मिक दृस्टि से भी परिपूर्ण है। यहाँ हर साल हजारो की संख्या में मेलो व त्योहारों का आयोजन होता रहता है जिसे देखने व इनमे शामिल होने के लिए देश-विदेश से लाखो-करोडो लोग उत्तराखंड आते है व इन मेलों को देखने के साक्षी बनते है। इस कारण मैंने लिखने की शुरुवात की अपने उत्तराखंड से। अपनी इस वेबसाइट में मैंने उत्तराखंड की संस्कृति एवं सभ्यता, उत्तराखण्ड के प्रमुख पर्यटक स्थल, उत्तराखण्ड के प्रमुख मंदिरो, उत्तराखण्ड के प्रमुख नृत्य व संगीत, उत्तराखण्ड के प्रमुख ट्रेक्किंग स्थलों, उत्तराखण्ड के मुख्य डैम, उत्तराखण्ड की झीलों व ग्लेशियर के अलावा यहाँ की प्रमुख पर्वत चोटियों व अन्य विषयो को पाठको के समक्ष प्रस्तुत किया है। जैसे- जैसे मुझे अन्य कोई जानकारी मिलती जाएगी में उन्हें अपने पाठको के समक्ष प्रस्तुत करता रहूँगा। धन्यवाद पंकज पंत
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