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उत्तराखण्ड का प्रमुख पारंपरिक नृत्य
Uttarakhand traditional Danceदेश के प्रत्येक राज्य की अपनी कुछ खास परम्परायें होती है जिन्हे वो अन्य राज्यों से अलग बनाते है। देश के अलग–अलग भागों में शादी व अन्य अवसरों पर अलग–अलग प्रकार का नृत्य व संगीत होता है उसी प्रकार उत्तराखण्ड का भी अपना नृत्य व संगीत है जो उत्तराखण्ड को दूसरे राज्यो से अलग बनाता है।
उत्तराखंड मे कला व लोक नृत्य सदियों पुराने है। यहाँ राजा-महाराजाओ के समय से ही लोक संगीत प्रचलन में है परन्तु समय के साथ साथ यहाँ के संगीत व नृत्य मे भी काफी बदलाव आया है। यहाँ का लोक संगीत व नृत्य बाजो के साथ किया जाता है। यहाँ के लोक गीत व संगीत अपने मैं विविधता लिए हुए है। यहाँ के लोक संगीत व कला की दिशा मे कई शोध कार्य किये जा चुके है।
यहाँ शादी, पूजा, मेलों मे अलग अलग प्रकार के नृत्य किये जाते है जो कि बराडा नटी, लंगवीर नृत्य, पांडव नृत्य, बाजुबंद नृत्य, रमोला नृत्य, छपेली नृत्य, चाँचरी नृत्य, जोहरा नृत्य, छोलिया नृत्य, जागर नृत्य, जैंठा व जडडा मुख्य नृत्य है।
छोलिया नृत्य: छोलिया नृत्य उत्तराखंड का प्रमुख नृत्य है जो प्राचीन समय के युद्ध व सैनिको के बारे में वर्णित किया जाता है। इस नृत्य मे सभी कलाकार सैनिको की वेशभूसा में नृत्य करते है जो पारम्परिक युद्ध को प्रदर्शित करते है। इस नृत्य मे कलाकार युद्ध मे विजय होने के पश्चात् की ख़ुशी का प्रदर्शन नृत्य करके करते है।
इसमें कलाकार तलवार व ढाल सहित वाद्य ढोल, दमाऊ, तुरही की ताल पर नृत्य करते है। ये नृत्य मुख्यतः पिथौरागढ़ मे प्रति वर्ष किया जाता है। कुमाऊँ व् गढ़वाल के लोग शादी व अन्य उपलक्ष्यो में छोलिया नृत्य के कलाकारों को बुलवाते है।
चाँचरी नृत्य: चांचरी नृत्य उत्तराखंड के कुमाऊँ के जनपदों का प्रमुख नृत्य है। चांचरी को झोड़े का एक रूप मन जाता है जो दीनापुर क्षेत्र की एक नृत्य शैली है। इस प्रकार के नृत्य में पुरुष व महिलाये दोनों सम्मलित रहती है। यह नृत्य धार्मिक भावना को प्रदर्शित करता है। इस नृत्य को पुरुष व महिलाये रंगीन वेशभूषा मैं प्रदर्शित करते है।
जागर नृत्य: जागर नृत्य उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध नृत्य है जो कुमाऊँ व गढ़वाल मे समान रूप से किया जाता है। इस नृत्य मे देवताओ को नृत्य के जरिये पुकारा जाता है। इस नृत्य में जिस पुरुष के अंदर देवता आते है वही पुरुष ये नृत्य करते है। इन लोगो को धामी भी कहा जाता है।
ये नृत्य देवताओं के पेशवाओ के द्वारा भी किया जाता है इन गीतों का ज्ञाता हाथ में डमरू, थाली व् नरसिंघ का चिमटा बजा कर ये नृत्य करते है। जिन पुरुषो व महिलाओ के ऊपर जागर के दौरान देवता आता उनसे गाँव व आस पास के लोग अपनी परेशानी का समाधान आदि पूछते है जिस कारण ये नृत्य धार्मिक भावनाओ के कारण कुमाऊँ व गढ़वाल में समान रूप से किया जाता है।
लंगवीर नृत्य: यह नृत्य उत्तराखंड के गढ़वाल में किया जाता है। यह नृत्य गढ़वाल के टिहरी जिले में मुख्य रूप से किया जाता है। यह नृत्य शक्ति को भी प्रदर्शित करता है। इस नृत्य को मुख्यत: पुरुष ही किया करते है। इस नृत्य में पुरुष एक सीधे व खड़े डंडे पर पेट के सहारे पर नृत्य करता है।
इस नृत्य मैं पुरुष को अलग–अलग करतब दिखाते हुए खुद पर संतुलन बनाते हुए नृत्य करना पड़ता है। यह नृत्य बहुत खतरनाक भी होता है क्योकि इस नृत्य में मनुष्य को संतुलन बनाने की आवश्कता होती है नहीं तो आदमी के चोटिल होने की संभावना बन रहती है।
पांडव नृत्य: जैसा कि नाम से ही स्पष्ट होता है पांडव नृत्य। ये नृत्य पांडवो को समर्पित होता है जो कई लोगो के जोड़ो मे किया जाता है। यह नृत्य महाभारत की घटनाओ पर आधारित होता है जिसमे कई लोग एक साथ समूह बनाकर नृत्य करते है।
इस नृत्य में कई पात्र होते है, जो महाभारत के प्रसंगो जैसो चक्रव्यूह, कमल व्यूह वध के ऊपर आधारित होते है। ये नृत्य 5 दिवस से 9 दिवस तक के बीच में चलता है। ये नृत्य मुख्यतः जौनसार के इलाको में किया जाता है। इस नृत्य में लगभग 20 लोक नाटक होते है।
झुमैलो नृत्य: यह नृत्य उत्तराखंड का प्रमुख लोक नृत्य है जो नवविवाहित महिलाओ के द्वारा किया जाता है। यह नृत्य अपने मायके की यादो व् प्रकृति से जुडी वस्तुवो की याद में किया जाता है।
झोड़ा नृत्य: झोड़ा नृत्य उत्तराखंड का एक प्रमुख नृत्य है जो मुख्यतः कुमाऊँ में किया जाता है। ये नृत्य कुमाऊँ के बागेश्वर जिले में सर्वाधिक प्रसिद्ध है। यह नृत्य चांदनी रात के अँधेरे मैं किया जाता है जो नृत्य रात भर चलता है।
यह गढ़वाल के चांचरी नृत्य की तरह ही रात को किया जाता है। इस नृत्य में मुख्य गायक हुड़की बजता हुआ सब लोगो के बीच में आकर हुड़की बजाते हुए नृत्य करता है। इस नृत्य में स्त्री व पुरुष दोनों ही आकर्षक श्रंगार करते हुए नृत्य करते है।
चौफला नृत्य: चौफला नृत्य उत्तराखंड का एक प्रमुख नृत्य है जो उत्तराखंड के गढ़वाल में किया जाता है। यह एक श्रंगार प्रधान नृत्य है जिसमे स्त्री और पुरुष अलग अलग टोली बनाकर नृत्य करते है।
इस नृत्य में किसी प्रकार के वाद्य यन्त्र की अवश्ययकता नहीं होती अपितु ये नृत्य हाथो की ताली, पैरो की थाप, कंगन व पाजेब की धुन बजाकर किया जाता है। इस नृत्य में पुरुषो को चौफुला व महिलाओ को चौफुलो कहा जाता है। ऐसा माना जाता है की ये नृत्य भगवान शिव द्धारा देवी पार्वती को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है।
पवाडा नृत्य: पवाडा नृत्य उत्तराखंड के कुमाऊँ व गढ़वाल में सामान रूप से किया जाता है। इस नृत्य में वीरो की कथाओ को नृत्य के जरिए पेश किया जाता है। मान्यता के अनुसार वीरगति को प्राप्त वीरो की आत्मा उनके परिजनों के शरीर में आ जाती है।
जिस व्यक्ति के अन्दर वह आत्मा आती है वो अलग अलग शास्त्रों द्वारा कलाबाजी करकर ये नृत्य प्रस्तुत करता है। नृत्य करने वाले को पस्वा कहा जाता है।
तांदी नृत्य: तांदी नृत्य उत्तराखंड के गढ़वाल में उत्तरकाशी व टिहरी गढ़वाल के जौनपुर के एरिया में किया जाता है। यह नृत्य ख़ुशी के अवसर में किया जाता है तथा मुख्यतः माघ के माह मे किया जाता है। यह नृत्य प्रसिद्ध व्यक्ति के कार्यो व तात्कालिक घटनाओ पर आधारित होता है।
हैलो, दोस्तों मैं पंकज पंत एक ब्लॉगर। दोस्तों लिखने, पड़ने व म्यूजिक (खासतौर से मैगज़ीन जैसे इंडिया टुडे व क्रिकेट सम्राट वगैरह) का शौक पहले से ही था तो सोचा क्यों न कुछ लिखा जाये और लिखा भी वो जाये जिसे पढ़कर पाठको को आनन्द भी आये व उसे पढ़कर उनके ज्ञान में भी कुछ वृद्धि हो सके। परन्तु लिखने के लिए एक लेखन सामग्री की आवश्यकता होती है तो सोचा किस विषय पर लिखा जाये। सोचते हुए दिमाग में आया की क्यों न अपने ही गृह राज्य उत्तराखंड के बारे में लिखा जाये जिसकी पृष्टभूमि बहुत ही विशाल होने के साथ-साथ यहाँ की संस्कृति और सभ्यता भी बहुत विकसित है। वही ये एक शानदार पर्यटक स्थल होने के अलावा धार्मिक दृस्टि से भी परिपूर्ण है। यहाँ हर साल हजारो की संख्या में मेलो व त्योहारों का आयोजन होता रहता है जिसे देखने व इनमे शामिल होने के लिए देश-विदेश से लाखो-करोडो लोग उत्तराखंड आते है व इन मेलों को देखने के साक्षी बनते है। इस कारण मैंने लिखने की शुरुवात की अपने उत्तराखंड से। अपनी इस वेबसाइट में मैंने उत्तराखंड की संस्कृति एवं सभ्यता, उत्तराखण्ड के प्रमुख पर्यटक स्थल, उत्तराखण्ड के प्रमुख मंदिरो, उत्तराखण्ड के प्रमुख नृत्य व संगीत, उत्तराखण्ड के प्रमुख ट्रेक्किंग स्थलों, उत्तराखण्ड के मुख्य डैम, उत्तराखण्ड की झीलों व ग्लेशियर के अलावा यहाँ की प्रमुख पर्वत चोटियों व अन्य विषयो को पाठको के समक्ष प्रस्तुत किया है। जैसे- जैसे मुझे अन्य कोई जानकारी मिलती जाएगी में उन्हें अपने पाठको के समक्ष प्रस्तुत करता रहूँगा। धन्यवाद पंकज पंत
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Contact us: pantpankaj1985@gmail.com
10 comments
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tnx
NICE KNOWLEDGE
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