Triund Trek
त्रिउंड ट्रैक

About Triund Trek: हिमाचल को कुदरत ने अपने कुछ अनमोल खजानो से पिरोया हुआ है यहाँ की खूबसूरती को देख आप को लगेगा की आप किसी दूसरी ही दुनिया में आ गए है। यहाँ कई ऐसे खूबसूरत स्थान है जो पर्यटको को अपनी और आकर्षित करते है। उन्ही में से एक खूबसूरत स्थान है त्रिउंड लेक ट्रैक(Triund Lake Trek)।
यह ट्रैक हिमाचल प्रदेश के जिला काँगड़ा में स्थित है तथा काँगड़ा के एक बेहद खूबसूरत स्थान धर्मशाला के मैक्लोडगंज या धर्मकोट से शुरू होता है। त्रिउंड ट्रैक(Triund Trek) धर्मकोट हिल स्टेशन का ही एक हिस्सा है। त्रिउंड पीक से आप पूरी काँगड़ा घाटी का मनमोहक द्रस्य देख सकते है। वही मैक्लोडगंज एक खूबसूरत हिल स्टेशन है जहाँ पर्यटकों के घूमने हेतु भगसू फॉल्स व भगसु मन्दिर है।भगसू स्थित झरने के ऊपर से ही त्रिउंड ट्रैक(Triund Trek) का रास्ता भी शुरू होता है। यह ट्रैक समुद्र तल से 2,828 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
ट्रैकर्स इस ट्रैक को आसानी से 1 दिन में पूरा कर सकते है। इस ट्रैक पर आप अपने परिवार के साथ भी घूमने अथवा पिकनिक बनाने हेतु जा सकते है परन्तु यहाँ पर जाकर आपको 1 रात रूककर ही आना चाहिए। यहाँ पर रात को अँधेरी रात में तारो के बीच रुकना व अगले दिन सुबह उठकर जब आप देखेंगे तो सामने चारो और बर्फ से ढकी हुई चोटियाँ व नीचे काँगड़ा की घाटी देखने को मिलती है जिसकी यादें आप जीवन भर कभी नहीं भूल पाएंगे। यहाँ पर आपको चारो और बौद्ध धर्म के मठो और वहाँ की घंटियों की आवाज सुनाई देंगी जो आपको व आपके मन को सम्मोहित कर देने के लिए काफी होती है।
त्रिउंड चोटी धौलाधार के पहाड़ो से घिरी हुई है। जहाँ एक बड़ा व खूबसूरत घास का बड़ा सा मैदान है जहाँ आप कई किस्म के जानवरो को चुगते हुए भी देख सकते है। यहाँ पर चरवाहे अपनी बकरियों को चराने के लिए भी ले जाते है। घास के मैदान में चरती हुई बकरियाँ व दूर-दूर तक बर्फ से ढके हुए पहाड़ो को देखकर पर्यटक वहाँ की खूबसूरती को देखता ही रह जाता है व पर्यटकों का वहाँ से आने का मन ही नहीं करता है। यहाँ की यात्रा का अनुभव आपके जीवन भर की कभी न भूलने वाली यात्रा हो सकती है।
यह ट्रैक हिमाचल के अन्य ट्रैक की अपेक्षाकृत आसान है व 8 साल से बड़े बच्चे भी इस ट्रैक को आसानी से पार कर सकते है। आपने इससे पहले अगर कोई ट्रैक किया है तो आप इस ट्रैक को आसानी से पूरा कर सकते है।

Things to Carry to go Triund Trek
साथ ले जाने वाली वस्तुएँ
त्रिउंड ट्रैक पर जाते समय आपको स्वयं सावधानी बरतने के साथ रोजाना के प्रयोग होने वाली जरूरत की चीजों को भी अपने साथ ले जाना आवश्यक होता है साथ ही आपको छोटी मोटी शारीरिक परेशानियों के लिए सर दर्द, पैट ख़राब व अन्य रोगो के उपचार हेतु फर्स्ट ऐड की चीजे व दवाइयां भी जरूर ले जानी चाहिए ताकि आवस्यकता अनुसार जरूरत के समय ये प्रयोग में लाई जा सके।
वहाँ का मौसम प्रति घंटे के हिसाब से बदलता रहता है जिस कारण वहाँ ठण्ड भी अधिक रहती है। इस कारण आपको ठण्ड व बारिश से बचाव हेतु रैनकोट, फुल स्लीव्स पतली जैकेट्स, मंकी कैप, ट्रैकिंग शूज, गर्म मोज़े, मफलर, तौलिए, धुप से बचाव हेतु अच्छे किस्म के चश्मे, कोल्ड क्रीम, लिप बाम, सनस्क्रीन लोशन, एल०ई०डी टॉर्च, गर्म पानी की बोतल, ट्रैकिंग पोल, सिरदर्द की दवाइयाँ जैसे क्रोसिन, डिस्प्रिन, कॉटन, बैंड-ऐड, मूव स्प्रे, गौज, क्रैप बैंडेज आदि चीजे है जो आपको ट्रैक पर जाते समय अपने साथ रखनी चाहिएA इनकी जरूरत आपको ट्रैक पर जाते वक्त कभी भी पड़ सकती है।
यात्रा कार्यक्रम
प्रथम दिवस: मैक्लोडगंज या धर्मकोट से त्रिउंड पीक ट्रैक (9 किमी, लगभग 5 से 6 घंटे)
दूसरा दिवस: त्रिउंड पीक से मैक्लोडगंज या धर्मकोट (9 किमी, लगभग 5 से 6 घंटे)

How to reach Triund Trek
त्रिउंड पीक ट्रैक पर कैसे जायेप्रथम दिवस: आपके ट्रैक की शुरुवात मैक्लोडगंज या धर्मकोट से होती है। त्रिउंड ट्रैक की ऊंचाई समुद्र तल से 9,435 फ़ीट है व यहाँ तक पहुंचने में आपको 5 से 6 घंटे तक का समय लग जाता है। इस पूरे ट्रैक के दौरान आपको घने देवदार, ओक व रोडोडेंड्रोन के पेड़ दिखाई देंगे जो आपकी यात्रा में चार चाँद लगा देते है।वही यहाँ का हर पल बदलता मौसम व बर्फ से ढकी धौलाधार पर्वत श्रंखला आपके जीवन में कभी न भूलने वाला अनुभव होगा। रास्ते में आपको खाने व पीने के लिए छोटे–छोटे रेस्टॉरेंट आदि बने हुए है जिसमे आप मैग्गी व दाल चावल जैसी खाने पीने की चीज उपलब्ध हो जाएगी।
यह ट्रैक कुल 9 किमी का होने के कारण 8 साल के बच्चे से शुरू होकर कोई भी इस ट्रैक को आसानी से पूरा कर सकते है बस आपको ट्रैक में जाते हुए अतिरिक्त सावधानी की आवस्यकता होती है। यहाँ कभी भी बरसात शुरू हो जाती है जिस कारण ट्रैक पर फिसलन बनी रहती है व आपको यहाँ जाना मुश्किल हो सकता है। जिस कारण आपको पकड़ पकड़ कर जाने की सलाह दी जाती है।
दूसरा दिवस: रात भर त्रिउंड पीक पर रुकने के बाद अगली सुबह आप वापस नीचे को मैक्लोडगंज या धर्मकोट की तरफ उतरना होता है। इस दिन प्रातः उठकर आप यहाँ होने वाला सूर्योदय को देख सकते है।
नीचे की तरफ उतरते समय आना अपेक्षाकृत आसान होता है परन्तु नीचे उतरते हुए सारा जोर आपके घुटनो में रहता है जिस कारण आपको संभल संभल कर नीचे उतरना चाहिए। नीचे उतरने में आपको लगभग 3 से 4 घंटे तक का समय लग जाता है। वही यहाँ का हर पल बदलता मौसम व बर्फ से ढकी धौलाधार पर्वत श्रंखला आपके जीवन में कभी न भूलने वाला अनुभव होगा। रास्ते में आपको खाने व पीने के लिए छोटे छोटे रेस्टॉरेंट बने है जिसमे आप मैग्गी व दाल चावल जैसी खाने पीने की चीज उपलब्ध हो जाएगी।

त्रिउंड ट्रैक कैसे जाये
How to go Triund TrekTriund Trek By Air: हवाई मार्ग द्धारा: त्रिउंड ट्रैक पर जाने के लिए सबसे पास स्थित हवाई अड्डा गग्गल में है जो की धर्मशाला से 13 किमी की दूरी पर स्थित है। नई दिल्ली से यहाँ तक के लिए आपको फ्लाइट की सुविधा आसानी से उपलब्ध हो जाएगी और यदि दिल्ली के अतिरिक्त आप कही और से त्रिउंड ट्रैक पर आना चाह रहे है तो आपको चंडीगढ़ तक ही विमान सेवा उपलब्ध हो पायेगी। वहाँ से आप सरकारी वाहन द्धारा या प्राइवेट टैक्सी बुक कर धर्मशाला तक पहुंच सकते है। धर्मशाला से चंडीगढ़ तक की दूरी लगभग 275 किमी आसपास पड़ती है।
Triund Trek By Bus: सड़क मार्ग द्धारा: त्रिउंड ट्रैक पर जाने के लिए सबसे पास स्थित बस स्टेशन धर्मशाला है। यहाँ से आप टैक्सी द्धारा धर्मकोट तक पहुंच सकते है। धर्मशाला देश के अधिकतर हिस्सों से आसानी से जुड़ा हुआ है इसके अतिरिक्त आप पठानकोट तक ट्रैन द्धारा पहुँचकर वहाँ से हिमाचल की सरकारी बस या किराये की टैक्सी करके धर्मशाला तक आसानी से पहुंच सकते है। पठानकोट से धर्मशाला तक की दूरी लगभग 91 किमी होती है। वही दिल्ली से धर्मशाला तक बस से दूरी लगभग 520 किमी पड़ती है।
त्रिउंड ट्रैक पर कब जाये
When to go Triund Trek
वैसे तो आप इस ट्रैक पर कभी भी जा सकते है फिर भी त्रिउंड ट्रैक पर जाने के लिए सबसे अच्छा समय मार्च से जून और सितम्बर से लेकर नवम्बर तक का होता है। उसके बीच सावन का मौसम होने के कारण ट्रैक पर फिसलन रहती है जिस कारण ट्रैकर्स को जाने में काफी परेशानियों व फिसलन के कारण गिरने का डर बना रहता है।
वही दिसम्बर से फ़रबरी तक यहाँ जम के बर्फवारी होने के कारण यहाँ चारो और बर्फ ही बर्फ दिखाई पड़ती है जिस कारण ट्रैकर्स का यहाँ आना मुश्किल हो जाता है। सही मौसम पर यहाँ आकर आप यहाँ पर प्रकर्ति का भरपूर आनंद ले सकते है।
