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About Uttarakhand
उत्तराखण्ड राज्य भारत देश का 27 वां राज्य है जो कि भारत का एक पश्चिमोंत्तर राज्य है। यह राज्य चारों तरफ से पर्वतीय राज्यों से घिरा हुआ है, जो उत्तर–पश्चिम में हिमाचल प्रदेश, उत्तर–पूर्व में तिब्बत, दक्षिण–पूर्व में नेपाल और दक्षिण में उत्तर प्रदेश से घिरा हुआ है। यह उत्तर प्रदेश से अलग कर बनाया गया राज्य है। यह भारत का 11 वां हिमालयी राज्य बना। इससे पूर्व असम पहला जम्मू व कश्मीर दूसरा नागालैंड तीसरा व अन्य के पश्चात उत्तराखण्ड का निर्माण हुआ।
उत्तराखण्ड राज्य बनाने हेतु यहा के लोगों ने कई सालों तक आन्दोलन कर अपनी जाने गवाई, जिसका जीता–जागता उदाहरण रामपुर तिराहा कांड है, अलग राज्य आन्दोलन हेतु 2 अक्टूबर को नंई दिल्ली में रैली प्रस्तावित थी, आन्दोलनकारी 24 बसों में भरकर दिल्ली जा रहें थे, परन्तु 1 दिन पहले ही 1 अक्टूबर की रात्रि को पुलिस बल व समाजवादीयों द्वारा आन्दोलनकारियों पर गोलियां चला दी गई जिसमें कई आन्दोलनकारी जिसमें महिलाए, पुरूष व बच्चे मारे गये थे तथा कई अन्य घायल हुए।
उनमें से कई आन्दोलनकारीयों का आज तक कुछ अता पता नही लग पाया है, जिन्हें समाजवादीयों द्वारा रात के अंधेरे में ही दफन कर दिया गया था।
महिलाओं को जंगल में ले जाकर उनके साथ सामूहिक ब्लात्कार कर उनकी हत्या कर दी गई। उनकी अस्मत के साथ खिलवाड किया गया, उन महिलाओं का आज–तक कोई अता–पता नही लग पाया है। बाद में तलाशी के दौरान जंगल सें उन महिलाओं के कपडे बरामद हुए थे। उस समय उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी तथा वहा के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव थे। ये सब उन्ही के आदेश पर हुआ था।
इन सब आन्दोलनों के फलस्व़रूप ही सन 9 नवम्बर 2000 को उत्तराखण्ड का जन्म हुआ। राज्य बननें के समय इसका नाम उत्तरांचल था परन्तु सन 2007 में यहॉ के लोगो की भावनाओं को देखते हुए इसका नाम बदलकर उत्तराखण्ड रख दिया गया। जिसकी अनिश्चितकालीन राजधानी देहरादून बना दी गई।
उत्तराखण्ड शब्द संस्कृत भाषा से बना हुआ शब्द है जिसमें उत्तराखण्ड में उत्तरा का अर्थ उत्तर दिशा है व खण्ड का अर्थ भूमि से है अर्थात उत्तर दिशा की भूमि।
उत्तराखण्ड का उल्लेख पौराणिक शास्त्रों में भी किया गया है, जिसे शास्त्रों में केदारखण्ड, मानसखण्ड व देवभूमि भी कहा गया है। उत्तराखण्ड मुख्यतः दो क्षेत्रों में बटा हुआ है जिसमें एक कुमॉऊ क्षेत्र व दूसरा गढवाल क्षेत्र है। कुमॉऊ को मानसखंड और गढवाल को केदारखण्ड के नाम से भी जाना जाता है। कुमाऊॅ का नाम कुर्म पर्वत के नाम पर कुमाऊॅ पडा।
उत्तराखण्ड एक पहाडी राज्य होने के कारण यहॉ के लोगो की मॉग थी कि इसकी राजधानी पहाडों में ही होनी चाहिये जिसके चलते गैरसैड को राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया परन्तु विवादो व संसाघनो के अभाव में इसकी राजधानी देहरादून बना दी गई जो अब भी अस्थायी राजधानी बनी हुई है, परन्तु लोगो की भावनाओं को देखते हुए इसका ग्रीष्मकालीन सत्र अब गैरसैड में भी होने लगा है।
देहरादून, राजधानी होने के साथ–साथ राज्य का सबसे बडा नगर भी है जिसे दून वैली के नाम से भी जाना जाता है।
उत्तराखण्ड का कुल क्षेत्रफल 53,483 वर्ग किलोमीटर है जिसमें कुल क्षेत्रफल का 86 प्रतिशत हिस्सा पहाड व 65 प्रतिशत हिस्सा जंगल के अन्तर्गत आता है। यहॉ की जनसंख्या 1,00,86,359 करोड है जो देश की कुल जनसंख्या का 0.83 प्रतिशत है। यहॉ अलग–अलग धर्मो को मानने वाले भी बहुतायत से पाये जाते है।
हिन्दू के अलावा यहॉ सिख, मुस्लिम, ईसाई, जैन व बौद धर्म के लोग भी रहते है। 2011 की जनगणना के अनुसार हिन्दू 82.9 प्रतिशत, सिख 2.35 प्रतिशत, क्रिश्चियन 0.37 प्रतिशत, बौद् 0.15 प्रतिशत और जैन धर्म के 0.09 प्रतिशत लोग आवासित है। क्षेत्रफल की दृष्टि से उत्तराखण्ड भारत का 18 वा राज्य है।
1 2014 – 10.17 मिलियन
2 2015 – 11.22 मिलियन
3 2016 – 10.28 मिलियन
4 2017 – 10.32 मिलियन
5 2018 – 10.37 मिलियन
इस प्रकार से देखा जाये तो उत्तराखण्ड की आबादी प्रति वर्ष 0.0372 मिलियन के हिसाब से बढ रही है यहॉ राज्य बनने के समय यहॉ की आबादी 84.89 लाख थी जो अब बढकर लगभग 1.5 करोड हो चुकी है।
उत्तराखण्ड में अनेकों भाषाए बोली जाती है जिसमें हिन्दी, संस्कृत, कुमाऊॅनी व गढवाली के अलावा जौनसारी, बोक्साडी, बांगला के अलावा अन्य भाषाए भी बोली जाती है। कुमाऊॅनी व गढवाली भाषा मुख्यतः कुमाऊॅ व गढवाल तथा जौनसारी व भोटिया भाषा पश्चिम और उत्तर, देहरादून से सटे ईलाकों व आदिवासी इलाकों में बोली जाती है।
यहा हिन्दी के अलावा संस्कृत भाषा को भी अधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया है।
कुमॉऊ क्षेत्र की भाषा
Language of Kumaon Region in Hindi:कुमाऊॅ क्षेत्र के अन्तर्गत 13 भाषाए बोली जाती है जिसमें कुमैया, गंगोल, सोर्याली, जौहरी, अस्कोटी, पचाई व अन्य भाषाए आती है। कुमैया भाषा नैनीताल से सटे हुए काली कुमाऊॅ क्षेत्र में, गंगोल भाषा गंगोली भाग में, सोर्याली भाषा सोर्याल क्षेत्र, पछाई भाषा अल्मोडा से लगी गढवाल सीमा, अस्कोटी भाषा अस्कोट क्षेत्र तथा बोक्साडी भाषा बोक्सा जनजाति के लोगो द्वारा बोली जाती है।
कुमॉऊ क्षेत्र की कई जगह नेपाल से सटी हुई है इस कारण भारत और नेपाल में रोटी बेटी का रिश्ता माना जाता है।नेपाल देश से कई लोग रोजगार हेतु भी यहा आते रहते है जिसमें से कई ऐसे भी है जो सालों से यही पर बस गया है। जिस कारण यहॉ पर नेपाली भाषा भी बहुत बोली जाती है।
गढवाल क्षेत्र की भाषा
Language of Garhwal Region in Hindi:गढवाली लोग इण्डो–आर्यन सभ्यता के लोग है इसलिए यहा के लोग इण्डो–आर्यन गढवाली भाषा का प्रयोग करते है। गढवाल क्षेत्र में मार्ची, जैधी, सैलानी, भौटिया, नेपाली, जौनसारी, संस्कृत व हिन्दी भाषाएं बोली जाती है। इन भाषाओ को टिहरी गढवाल, पौढी गढवाल, उत्तरकाशी, चमोली, रूद्रप्रयाग, देहरादून व हरिद्वार में लगभग 2,267,315 लोगो द्वारा बोली जाता है जिस कारण गढवाली भाषा का फैलाव भी बहुत तेजी से हो रहा है। इन सब भाषाओं को मिलाकर पहाडी भाषा भी कहा जाता है।
उत्तराखण्ड की साक्षरता दर व लिंगानुपात
Literacy Rate in Uttarakhand in Hindi:
2011 की जनगणना के अनुसार यहॉ की साक्षरता दर 78.82 प्रतिशत है, जिसमें महिलायें 87.40 प्रतिशत व पुरूष साक्षरता दर 70.01 प्रतिशत है। साक्षरता में उत्तराखण्ड का भारतवर्ष में 17 वा स्थान है। यहॉ का लिंगानुपात 963/1000 है अर्थात 1000 पुरूषों पर 963 महिलायें आती है।
उत्तराखण्ड का राजकीय पुष्प, पशु, पक्षी, वृक्ष व राजकीय चिन्ह।
Uttarakhand State Flower, Animal, Bird and State Logoउत्तराखण्ड का राजकीय पक्षी
Uttarakhand State Bird:उत्तराखण्ड का राजकीय पक्षी मोनाल(Monal) है जो हिमालयी मयूर के नाम सें भी जाना जाता है। ये बर्फ से ढके उच्च हिमालयी क्षेत्रों व घने जंगलों जिनकी ऊॅचाई लगभग 2500 से 5000 मीटर होती है में पाये जाते है।
उत्तराखण्ड के अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश व नेपाल का राष्ट्रीय पशु भी मोनाल ही है जिसका वैज्ञानिक नाम लोफोफोरस इंपीजेनस है।
ये उत्तराखण्ड के अलावा कश्मीर, नेपाल, असम आदि में भी पाया जाता है जो नीले, हरे, काले रंग के मिश्रण का होता है। यह अपना धोसला नही बनाती है तथा पेड या चटटानों में खडडे बनाकर अपने अण्डे देती है।
यह हिमालयी दुर्लभ पक्षी क्षेत्र के व विश्व के सबसे खूबसूरत पक्षियों में से एक माना जाता है। इनका मुख्य आहार कीडे–मकोडे, वनस्पति व आलू है। ये पक्षी गर्मी के समय पहाड के ऊपरी हिस्सें में चले जाते है तथा बरसात व ठंड पडने पर सें पहाड के निचले हिस्से में आ जाते है। मादा मोनाल एक बार में लगभग 6 अडडे देती है।
इसका अवैध शिकार होने के कारण इसकी संख्या दिनों दिन घटती जा रही है जिसे बचाने के लिए सरकार द्वारा कई अभ्यारण्य पार्क खोले गये है।
उत्तराखण्ड का राजकीय पशु
Uttarakhand State Animal:यहाँ का राज्य पशु कस्तूरी मृग है जो उच्च स्थानो व बर्फ से ढके पहाडो पर पाया जाते है। इसकी कुल चार प्रजातियाँ होती है जो उत्तराखण्ड के अलावा अधिकांशतः जम्मू–कश्मीर, सिक्किम व हिमाचल प्रदेश में पाया जाता है। इसे कस्तूरी मृग और हिमालयन मस्क डियर नाम से भी जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम माइक्स कइसोगास्टर है।
यें 3600 से 4400 मीटर की उॅचाई वाले स्थान पर पाये जाते है। कस्तूरी केवल नर मृग में ही पाया जाता है तथा एक मृग से एक बार में लगभग 30 से 45 ग्राम तक कस्तूरी पाया जाता है। ये कस्तूरी मृग की नाभि में पाई जाती है जो काफी सुगन्धित होती है। सुगन्धित रसायन होने के कारण इसका प्रयोग परफ्यूम बनाने व कई प्रकार की दवाईयों को बनाने में होता है।
ये पशु एक पैर में चार खुर तथा छोटी पूँछ व बाल रहित होता है। इसका अवैध शिकार व तस्करी होने के कारण इसकी संख्या दिनों दिन घटती जा रही है जिसे बचाने के लिए सरकार द्वारा कई अभ्यारण्य पार्क खोले गये है, जहाँ इनको रखा जाता है।
चमोली स्थित केदारनाथ वन्यजीव विहार में कस्तूरी मृग विहार व कांचुला खर्क में कस्तूरी मृग प्रजनन एवं संरक्षण केन्द्र की स्थापना की गई है।
उत्तराखण्ड का राजकीय पुष्प
Uttarakahnd State Flower:यहाँ का राजकीय पुष्प ब्रहमकमल है जो अधिकतर अधिक उॅचाई और बर्फ से ढकी हुई चोटियाँ पर पाया जाता है। यह अधिकांशतः 5000 सें 6000 मीटर की ऊॅचाई वाले स्थानों पर पाये जाते है। इसका वैज्ञानिक नाम सोसुरिया अबवेलेटा है तथा स्थानीय भाषा में इसे कौल पदम भी कहा जाता है।
यह उत्तराखण्ड में 24 प्रजातियों में पाया जाता है तथा विश्व में इसकी कुल 210 प्रजातिया है, ये बैंगनी रंग के तथा तेज खुशबू वाले होते हैं। ये जुलाई से सितम्बर के महीने तक खिलते है। इन पुष्पों का उल्लेख वेदों में भी पाया जाता है तथा ब्रहमाजी के नाम पर इसका नाम ब्रहम कमल रखा गया है जो मुख्यतः भगवान शिव को अर्पण करनें के काम में आते है।
उत्तराखण्ड का राजकीय वृक्ष
Uttarakhand State tree:
उत्तराखण्ड का राजकीय वृक्ष बुरांस है। ये बसंत ऋतु में होने वाला पुष्प है जो चटक लाल रंग का होता है। यह मुख्यतः उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है, जिसे मैदानो में नही उगाया जा सकता। यह मुख्यतः 1500 से 4000 मीटर की ऊॅचाई पर पाया जाता है।
यह फूल मकर–संक्रान्ति के अवसर पर खिलना प्रारम्भ होता है तथा बैशाखी तक खिल कर पूरा तैयार हो जाता है। उसके बाद धीरे–धीरे गर्मी बढने पर ये अपने आप सूखकर झड जाता है।
इसका फूल हल्का लाल, गहरा लाल व सफेद रंग का होता है। इसका वैज्ञानिक नाम रोडोडेंडोन अरबोरियम है। औषधीय गुणों के कारण भी बुरांस काफी उपयोगी होती है, इसके फूलो का जूस बनाया जाता है जो हदय के रोग वाले व्यक्तियों के लिए बहुत उपयोगी होता है।
उत्तराखण्ड का राजकीय चिन्ह
Uttarakhand State Logo:उत्तराखण्ड के राजकीय चिन्ह में उत्तराखण्ड का भौगोलिक रूप का चित्रण दिखाई देता है। इस चिन्ह में तीन पर्वतो की चोटियों की श्रंखला है। नीचे की तरफ गंगा की चार लहरों को दर्शाया गया है। बीच में स्थित चोटी अन्य दोनो चोटियों से उॅची है और उसके मध्य में अशोक का लाट अंकित है। अशोक लाट के नीचे मुंडक उपनिषद से लिया गया वाक्य सत्समेव जयते अंकित है।
हैलो, दोस्तों मैं पंकज पंत एक ब्लॉगर। दोस्तों लिखने, पड़ने व म्यूजिक (खासतौर से मैगज़ीन जैसे इंडिया टुडे व क्रिकेट सम्राट वगैरह) का शौक पहले से ही था तो सोचा क्यों न कुछ लिखा जाये और लिखा भी वो जाये जिसे पढ़कर पाठको को आनन्द भी आये व उसे पढ़कर उनके ज्ञान में भी कुछ वृद्धि हो सके। परन्तु लिखने के लिए एक लेखन सामग्री की आवश्यकता होती है तो सोचा किस विषय पर लिखा जाये। सोचते हुए दिमाग में आया की क्यों न अपने ही गृह राज्य उत्तराखंड के बारे में लिखा जाये जिसकी पृष्टभूमि बहुत ही विशाल होने के साथ-साथ यहाँ की संस्कृति और सभ्यता भी बहुत विकसित है। वही ये एक शानदार पर्यटक स्थल होने के अलावा धार्मिक दृस्टि से भी परिपूर्ण है। यहाँ हर साल हजारो की संख्या में मेलो व त्योहारों का आयोजन होता रहता है जिसे देखने व इनमे शामिल होने के लिए देश-विदेश से लाखो-करोडो लोग उत्तराखंड आते है व इन मेलों को देखने के साक्षी बनते है। इस कारण मैंने लिखने की शुरुवात की अपने उत्तराखंड से। अपनी इस वेबसाइट में मैंने उत्तराखंड की संस्कृति एवं सभ्यता, उत्तराखण्ड के प्रमुख पर्यटक स्थल, उत्तराखण्ड के प्रमुख मंदिरो, उत्तराखण्ड के प्रमुख नृत्य व संगीत, उत्तराखण्ड के प्रमुख ट्रेक्किंग स्थलों, उत्तराखण्ड के मुख्य डैम, उत्तराखण्ड की झीलों व ग्लेशियर के अलावा यहाँ की प्रमुख पर्वत चोटियों व अन्य विषयो को पाठको के समक्ष प्रस्तुत किया है। जैसे- जैसे मुझे अन्य कोई जानकारी मिलती जाएगी में उन्हें अपने पाठको के समक्ष प्रस्तुत करता रहूँगा। धन्यवाद पंकज पंत
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