उत्तराखंड के प्रमुख चिड़ियाघर
Zoo in Uttarakhand
उत्तराखण्ड का वन्यजीव पर्यटन के क्षेत्र में भी मुख्य स्थान हैं उत्तराखण्ड का अधिकांश हिस्सा पहाडो व जंगलो के अधीन होने के कारण यहाँ पर्याप्त संख्या में वन्य जीव देखने को मिलते है जिसे देखने हेतु प्रतिवर्ष हजारों व लाखों की संख्या में पर्यटक आते है। यहाँ के राष्ट्रीय पार्क और वन्यजीव अभ्यारण्य यहाँ कें कुल क्षेत्रफल के 13.8 प्रतिशत किस्से पर पाये जाते है।
यहाँ अनेकों प्रकार के जीव–जन्तु, पशु–पक्षिया, तेंदुंए, बाध, चीता, मोर, हिरण, मस्क डियर, हिम तेंदुआ, जंगली कुते, जंगली सुअर व सापों की भी कई प्रजातियाँ पाई जाती है, परन्तु यहाँ के वन्य जीवों पर अन्तराष्ट्रीय तस्करों की भी नजर रहती है जो इनका अवैघ ढंग से शिकार कर इनके अंगो व खालों को पाकिस्तान, बांग्लादेश व अन्य अन्तराष्ट्रीय बाजार में उच्च कीमत पर बेच दिया करते है।
उत्तराखण्ड राज्य व राज्य बनने से पूर्व की उत्तर–प्रदेश सरकार द्वारा वन्य–जीवों के संरक्षण हेतु यहाँ वन्य जीव विहारों, चिड़ियाघर तथा राष्ट्रीय पार्को की स्थापना की जहाँ वन्य जीवो का संरक्षण किया जा सकें। उत्तराखण्ड के अन्दर ही पक्षियों की 1,000 सें ज्यादा किस्में पाई जाती है।
उत्तराखण्ड में कई चिड़ियाघर है जिसमें से नैनीताल चिडियाघर व देहरादून का मालसी चिड़ियाघर प्रमुख है।
उत्तराखंड के प्रमुख चिड़ियाघर
Zoo in Uttarakhandक्रम० स० | चिड़ियाघर का नाम | स्थान | राज्य |
1 | डियर पार्क | अल्मोड़ा | उत्तराखण्ड |
2 | मालसी डियर पार्क | देहरादून | उत्तराखण्ड |
3 | गोविन्द बल्लभ पंत | नैनीताल | उत्तराखण्ड |
मालसी डियर पार्क
Malsi Deer Park
मालसी डियर पार्क उत्तराखण्ड के प्रमुख चिड़ियाघरों में से एक है जो शिवालिक रेंज के अंतर्गत आता है। यह चिड़ियाघर देहरादून से 10 किमी की दूरी पर स्थित है। इस पार्क में बच्चो के झूलने हेतु झूले भी लगे हुए है जहाँ पर बच्चे झूलो का आनंद भी ले सकते है।
यह एक प्रमुख पर्यटक स्थल भी है जिसमे दूर-दूर से पर्यटक पिकनिक बनाने हेतु आते है। यह पार्क चारो और से घने जंगलो से घिरा हुआ है जिस के अंदर आपको हिरण, मोर, नील गाय आदि देखने को मिल जायेंगे। इसके अंदर जाने के लिए 10 रूपए का मामूली शुल्क देकर कोई भी आसानी से अंदर प्रवेश कर सकता है। वही यहाँ पर्यटको के लिए वाहन पार्किंग हेतु पार्किंग स्थल भी बना हुआ है। अभी हाल में ही इस चिड़ियाघर को भारत के टॉप 10 चिड़ियाघरों में स्थान दिया गया है।
मालसी डियर पार्क लगभग 25 एकड़ में फैला हुआ है यह चिड़ियाघर प्रातः 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुलता है। वही ये चिड़ियाघर सोमवार के दिन बंद रहता है।
मालसी डियर पार्क कैसे जाये
मालसी डियर पार्क देहरादून में स्थित है जो मसूरी हाइवे पर देहरादून से 10 किमी की दूरी पर स्थित है। आप बस स्टेशन या रेलवे स्टेशन से टैक्सी या विक्रम द्धारा यहाँ तक आसानी से पहुंच सकते है। यह रेलवे स्टेशन से 11 किमी तथा जॉलीग्रांट एयरपोर्ट से 33 किमी की दूरी पर है।
गोविन्द बल्लभ पंत चिड़ियाघर
Govind Ballabh Pant Zoo
गोविन्द बल्लभ पंत चिड़ियाघर उत्तराखण्ड के सबसे खूबसूरत चिड़ियाघर में से एक है जो जिला नैनीताल में स्थित है। यह चिड़ियाघर नैनीताल से 1 किमी की दूरी पर स्थित है तथा समुद्र तल से लगभग 2,100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसका नाम भारत रत्न प्राप्त श्री गोविन्द बल्लभ पंत जी के नाम पर रखा गया था।
नैनीताल चिड़ियाघर अधिक हाईटैक होने के कारण यहाँ आने वाले यात्रियो को ज्यादा शुल्क भी ज्यादा चुकाना होता है। यहाँ बच्चों के लिए 50 रूपये, बडों के लिए 100 रूपये व विदेश से आने वाले पर्यटको को 200 रूपये चुकाने पडते है।
इस चिड़ियाघर की स्थापना 1984 में हुई थी तथा इसे पर्यटको के लिए सन 1995 में खोला गया। ये चिड़ियाघर शेर का डांडा नामक पहाड़ी पर स्थित है तथा लगभग 4.6 हेक्टेयर अर्थात 11 एकड़ जमीन में फैला हुआ है जिसे देखने कई देशी व विदेशी लोग हर साल यहाँ आते है। इस चिड़ियाघर में सांभर, हिमालयी भालू, तिब्बती भेड़िए, बंगाल टाइगर जैसे पशु भी देखने को मिल जायेंगे। वही यहाँ पर आपको उच्च हिमालयी पक्षी भी देखने को मिल जायेंगे।
यह चिड़ियाघर प्रातः 9:30 को खुलता है तथा शाम 4:30 बजे बंद होता है वही सोमवार के दिन यह चिड़ियाघर बंद रहता है।
गोविन्द बल्लभ पंत चिड़ियाघर कैसे जाये
How to go Govind Ballabh Pant Zoo
गोविन्द बल्लभ पंत चिड़ियाघर नैनीताल में स्थित है। ये चिड़ियाघर तल्लीताल बस स्टेशन से लगभग 1.5 किमी की दूरी पर स्थित है। यहाँ तक आने के लिए आपको बस स्टेशन से पैदल ही जाना होता है।
हैलो, दोस्तों मैं पंकज पंत एक ब्लॉगर। दोस्तों लिखने, पड़ने व म्यूजिक (खासतौर से मैगज़ीन जैसे इंडिया टुडे व क्रिकेट सम्राट वगैरह) का शौक पहले से ही था तो सोचा क्यों न कुछ लिखा जाये और लिखा भी वो जाये जिसे पढ़कर पाठको को आनन्द भी आये व उसे पढ़कर उनके ज्ञान में भी कुछ वृद्धि हो सके। परन्तु लिखने के लिए एक लेखन सामग्री की आवश्यकता होती है तो सोचा किस विषय पर लिखा जाये। सोचते हुए दिमाग में आया की क्यों न अपने ही गृह राज्य उत्तराखंड के बारे में लिखा जाये जिसकी पृष्टभूमि बहुत ही विशाल होने के साथ-साथ यहाँ की संस्कृति और सभ्यता भी बहुत विकसित है। वही ये एक शानदार पर्यटक स्थल होने के अलावा धार्मिक दृस्टि से भी परिपूर्ण है। यहाँ हर साल हजारो की संख्या में मेलो व त्योहारों का आयोजन होता रहता है जिसे देखने व इनमे शामिल होने के लिए देश-विदेश से लाखो-करोडो लोग उत्तराखंड आते है व इन मेलों को देखने के साक्षी बनते है। इस कारण मैंने लिखने की शुरुवात की अपने उत्तराखंड से। अपनी इस वेबसाइट में मैंने उत्तराखंड की संस्कृति एवं सभ्यता, उत्तराखण्ड के प्रमुख पर्यटक स्थल, उत्तराखण्ड के प्रमुख मंदिरो, उत्तराखण्ड के प्रमुख नृत्य व संगीत, उत्तराखण्ड के प्रमुख ट्रेक्किंग स्थलों, उत्तराखण्ड के मुख्य डैम, उत्तराखण्ड की झीलों व ग्लेशियर के अलावा यहाँ की प्रमुख पर्वत चोटियों व अन्य विषयो को पाठको के समक्ष प्रस्तुत किया है। जैसे- जैसे मुझे अन्य कोई जानकारी मिलती जाएगी में उन्हें अपने पाठको के समक्ष प्रस्तुत करता रहूँगा। धन्यवाद पंकज पंत
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