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खीरगंगा ट्रैक
"Kheer Ganga Trek" A Wonderful Trek in Himachal Pradeshखीरगंगा ट्रैक्(Kheerganga Trek) हिमाचल के खूबसूरत ट्रैक्स में से एक है जो अपने चारो और के विशाल पर्वतो, गर्म पानी के कुण्ड व अपनी ताजी आबोहवा के कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। ये ट्रैक पार्वती घाटी में स्थित है तथा यहाँ तक जाने के लिए कसोल से 10 किमी का ट्रैक कर आप यहाँ तक पहुंच सकते है।
यहाँ पर वहाँ के लोगो द्धारा अपनी दिनचर्या चलाने हेतु पर्यटकों के रहने हेतु टेंटों की व्यवस्था की हुई है जिंनमे पर्यटक आकर रूक सकते है जिससे उन लोगो की दिनचर्या का खर्च निकलता रहता है। ये ट्रैक चारो और हरियाली, बर्फ से ढके पर्वतो से घिरा रहता है जिस कारण यहाँ पर गर्मियों में भी ठण्ड बनी रहती है।यहाँ का तापमान गर्मियों में भी 10 डिग्री से 20 डिग्री के बीच रहता है जिस कारण पर्यटकों को यहाँ पर गर्मियों में भी गर्म कपड़ो की आवश्यकता रहती है।
खीर गंगा समुद्र तल से 3,978 मीटर(Height of Kheerganga Trek) अर्थात 13,051 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है।यह स्थान कई कारणों से पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। प्राचीन मान्यता के अनुसार पहले इस स्थान पर भगवान शिव की दिव्य दृस्टि के कारण खीर की नदी बहती थी बाद में लोगो के लालच के कारण यहाँ भीड़ बढने लगी जिस कारण परशुराम जी द्धारा श्राप दे दिया गया था तब से यहाँ खीर की नदी निकलनी बंद हो गई अपितु अब इस जगह से दूध की मलाई जैसे चीज दिखाई पड़ती है।
वही एक और पौराणिक कथानुसार इस स्थान पर भगवान शिव व पार्वती के पुत्र कार्तिकेय द्धारा कई सालो तक इस स्थान पर रूककर तपस्या तथा प्रार्थना की थी।
यह पूरा ट्रैक लगभग 26 किमी का होता है जिसे 2 दिन में आसानी से पूरा किया जा सकता है। इस ट्रैक पर किसी भी उम्र के लोग आसानी से जा सकते है तथा पहली बार ट्रैक करने वालो के लिए ये ट्रैक सबसे आदर्श ट्रैक है। सर्दियों ये पूरा ट्रैक बर्फ से ढका रहता है जिस कारण ट्रैकर्स का यहाँ पर जाना मुश्किल होता हैA
ये ट्रैक जिला कुल्लू में स्थित है तथा कुल्लू के बर्षेनी नाम के गांव शुरू होता है। वैसे इस ट्रैक पर जाने के तीन अन्य रास्ते भी है ट्रैकर्स स्वयं से अपने रास्ते को चुन सकता है।
नखतान रुट: यह रास्ते खीरगंगा का सबसे प्रचलित रास्ता है अधिकतर लोग खीरगंगा जाने के लिए इसी रास्ते का इस्तेमाल करते है। इस रास्ते से ट्रैकर्स सबसे पहले खीरगंगा तक पहुंच सकते है। इस ट्रैक पर जाने में लगभग 4 घंटे का समय लग जाता है। बर्षेनी गांव पहुंच कर आपको पुल से उलटी तरफ नखतान गांव की और से जाना होता है। इस रुट पर जाते हुए आपको पार्वती नदी के साथ साथ खूबसूरत हरी भरी घाटियों के साथ विशाल पर्वतो के भी दर्शन होते है।
कलगा रुट: इस रास्ते पर जाने के लिए आपको बर्षेनी गांव के पुल से सीधे हाथ अर्थात कलगा गांव की तरफ जाना होता है। यह ट्रैक अन्य ट्रैक की अपेक्षाकृत मुश्किल माना जाता है इस कारण इस ट्रैक पर जाते हुए गाइड को अपने साथ अवश्य ले जाना चाहिए अन्यथा रास्ते के भूलने के डर भी बना रहता है। इस ट्रैक पर पर आपको घने जंगलो के बीच से होकर जाना होता है।
तोश गांव: ये खीरगंगा जाने हेतु एक अन्य रास्ता है जो तोश गांव से होता हुआ जाता है। तोश खीरगंगा ट्रैक के मध्य में स्थित एक छोटा से गांव है जहाँ आप रात्रि विश्राम भी कर सकते है। यहाँ पर आपको रुकने के लिए होम स्टे मिल जायेंगे जिनका किराया भी 200 या 300 तक ही होता है। इस रुट पर जाने पर आप तोश नदी की खूबसूरती को भी निकट से देख सकते है। तोश नदी आगे जाकर पार्वती नदी में पुलगा में जाकर मिल जाती है।
Things to Carry
साथ ले जाने वाली वस्तुएँ
खीरगंगा ट्रैक पर जाते समय आपको स्वयं सावधानी बरतने के साथ रोजाना के प्रयोग होने वाली जरूरत की चीजों को भी अपने साथ ले जाना आवश्यक होता है। साथ ही आपको छोटी मोटी शारीरिक परेशानियों के लिए सर दर्द, पैट ख़राब व अन्य रोगो के उपचार हेतु फर्स्ट ऐड की चीजे व दवाइयां भी जरूर ले जानी चाहिए ताकि अवश्यकता अनुसार जरूरत के समय ये प्रयोग में लाई जा सके।
वहाँ का मौसम प्रति घंटे के हिसाब से बदलता रहता है जिस कारण वहाँ ठण्ड भी अधिक रहती है। इस कारण आपको ठण्ड व बारिश से बचाव हेतु रैनकोट, फुल स्लीव्स पतली जैकेट्स, मंकी कैप, ट्रैकिंग शूज, गर्म मोज़े, मफलर, तौलिए, धुप से बचाव हेतु अच्छे किस्म के चश्मे, कोल्ड क्रीम, लिप बाम, सनस्क्रीन लोशन, एल०ई०डी टॉर्च, गर्म पानी की बोतल, ट्रैकिंग पोल, सिरदर्द की दवाइयाँ जैसे क्रोसिन, डिस्प्रिन, कॉटन, बैंड-ऐड, मूव स्प्रे, गौज, क्रैप बैंडेज आदि चीजे है जो आपको ट्रैक पर जाते समय अपने साथ रखनी चाहिए। इनकी जरूरत आपको ट्रैक पर जाते वक्त कभी भी पड़ सकती है।
ट्रैक पर जाने से 2 या 3 दिन पहले आपको अधिक मात्रा में पानी भी पीना चाहिए जिससे आप Dehydration से बचे रह सके।
यात्रा कार्यक्रम
Itineraryप्रथम दिवस: मनाली से कसौल से बर्षेनी
दूसरा दिवस: बर्षेनी से खीरगंगा (10 किमी) से मनाली
खीरगंगा ट्रैक पर कैसे जाये
How to go Kheer Ganga Trekप्रथम दिवस: यह ट्रैक ज्यादा लम्बा न होकर इस पर आने व जाने में लगभग 2 दिन का समय लग जाता है। पहले दिन आप भुंतर से मनाली, मणिकरण तथा कसोल होते हुए बर्षेनी गांव तक जाना होता है।यहाँ पर आप रात्रि विश्राम कर सकते है। यहाँ पर आपको गेस्ट हॉउस व होम स्टे की सुविधा भी मिल जायेगी। यही पर आपके भोजन की व्यवस्था भी बहुत कम पैसे देकर हो जाती है।
दूसरा दिवस: आपके दूसरे दिन की शुरुवात बर्षेनी गांव से होतीं है। इस दिन का ट्रैक लगभग 10 किमी का होता है जिस पर जाने में 7 से 8 घंटे तक का समय लग जाता है इस ट्रैक पर जाने हेतु तीन रास्ते हैA पहला बर्षेनी गांव से दूसरा तोश गांव व तीसरा कलगा गांव से होकर जाता है।
खीरगंगा ट्रैक कैसे जाये
How to go Kheer Ganga Trek
By Air: हवाई मार्ग द्धारा: खीरगंगा ट्रैक्स पर जाने के लिए सबसे पास स्थित हवाई अड्डा भुन्तर में है जो की मनाली से 52 किमी की दूरी पर स्थित है।
नई दिल्ली और चंडीगढ़ से आपको कुल्लू के भुंतर के लिए आसानी से हवाई सुविधा मिल जाएगी भुन्तर हवाई अड्डे से बाहर से लगातार सरकारी बसे भी मनाली के लिए चलती रहती है तथा प्राइवेट टैक्सी वाले भी 24 घंटे आपको हवाई अड्डे के बाहर ही खड़े मिल जायेंगे। आप यहाँ से बस या टैक्सी कर आसानी से बर्षेनी या कसौल तक पहुंच सकते है। प्राइवेट टैक्सी वाले आपसे मनाली तक पहुंचाने के लिए अधिकतम 1000 रुपए से 1500 रुपया तक का किराया लेते है।
By Bus: सड़क मार्ग द्धारा: खीरगंगा ट्रैक्स पर जाने के लिए सबसे पास स्थित बस स्टेशन मनाली है जो
देश के अधिकतर भागो से आसानी से जुड़ा हुआ है। दिल्ली से मनाली की दूरी लगभग 550 किमी हैA दिल्ली से बर्षेनी या कसौल के लिए आपको हर समय बस की सेवा उपलब्ध हो जाएगी।
वही चंडीगढ़ से भी आप मनाली तक आसानी से पहुंच सकते है। चंडीगढ़ से मनाली की दूरी 310 किमी है जहाँ आपको पहुंचने में लगभग 8 घंटे का तक का समय लग जाता है। मनाली से आप अपने वाहन या रोडवेज़ की बस द्धारा आसानी से कसौल या बर्षेनी गांव तक पहुंच सकते है।
खीरगंगा ट्रैक पर कब जाये
When to go Kheer Ganga Trekखीरगंगा ट्रैक पर जाने के लिए सबसे अच्छा मौसम अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक का होता है उसके बाद बारिश का सीजन होने के कारण ट्रैक पर फिसलने का खतरा रहता है। अप्रैल से अक्टूबर के दौरान यहाँ का मौसम अधिकतर साफ़ रहता है जिस कारण आप यहाँ प्रकर्ति का भरपूर आनंद ले सकते है।
हैलो, दोस्तों मैं पंकज पंत एक ब्लॉगर। दोस्तों लिखने, पड़ने व म्यूजिक (खासतौर से मैगज़ीन जैसे इंडिया टुडे व क्रिकेट सम्राट वगैरह) का शौक पहले से ही था तो सोचा क्यों न कुछ लिखा जाये और लिखा भी वो जाये जिसे पढ़कर पाठको को आनन्द भी आये व उसे पढ़कर उनके ज्ञान में भी कुछ वृद्धि हो सके। परन्तु लिखने के लिए एक लेखन सामग्री की आवश्यकता होती है तो सोचा किस विषय पर लिखा जाये। सोचते हुए दिमाग में आया की क्यों न अपने ही गृह राज्य उत्तराखंड के बारे में लिखा जाये जिसकी पृष्टभूमि बहुत ही विशाल होने के साथ-साथ यहाँ की संस्कृति और सभ्यता भी बहुत विकसित है। वही ये एक शानदार पर्यटक स्थल होने के अलावा धार्मिक दृस्टि से भी परिपूर्ण है। यहाँ हर साल हजारो की संख्या में मेलो व त्योहारों का आयोजन होता रहता है जिसे देखने व इनमे शामिल होने के लिए देश-विदेश से लाखो-करोडो लोग उत्तराखंड आते है व इन मेलों को देखने के साक्षी बनते है। इस कारण मैंने लिखने की शुरुवात की अपने उत्तराखंड से। अपनी इस वेबसाइट में मैंने उत्तराखंड की संस्कृति एवं सभ्यता, उत्तराखण्ड के प्रमुख पर्यटक स्थल, उत्तराखण्ड के प्रमुख मंदिरो, उत्तराखण्ड के प्रमुख नृत्य व संगीत, उत्तराखण्ड के प्रमुख ट्रेक्किंग स्थलों, उत्तराखण्ड के मुख्य डैम, उत्तराखण्ड की झीलों व ग्लेशियर के अलावा यहाँ की प्रमुख पर्वत चोटियों व अन्य विषयो को पाठको के समक्ष प्रस्तुत किया है। जैसे- जैसे मुझे अन्य कोई जानकारी मिलती जाएगी में उन्हें अपने पाठको के समक्ष प्रस्तुत करता रहूँगा। धन्यवाद पंकज पंत
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